विशेष संवाददाता
अजमेर । 1993 सीरियल ब्लास्ट (1993 Serial Bomb Blast) के आरोपी अब्दुल करीम टुंडा (Abdul Karim Tunda ) को अजमेर की टाडा कोर्ट ने बरी कर दिया है। कोर्ट ने फैसले में कहा कि टुंडा के खिलाफ कोई सीधा सबूत नहीं मिला है। 30 साल पुराने इस मामले में न्यायाधीश महावीर प्रसाद गुप्ता ने दो अन्य हमीदुद्दीन और इरफान को आजीवन कारावास की सजा सुनाई है। वहीं मोहम्मद यूसुफ ,मोहम्मद सलीम, मोहम्मद निसरुद्दीन और मोहम्मद जहीरुद्दीन को सुप्रीम कोर्ट से राहत मिली थी। उधर, इस मामले में निसार अहमद और मोहम्मद तुफैल अभी फरार बताए जा रहे हैं।
कौन है टुंडा ?
मुंबई बम ब्लास्ट में संलिप्त होने से पहले टुंडा ने जालीस अंसारी के साथ मिलकर मुंबई में मुस्लिम समुदाय के लिए काम करने के उद्देश्य से एक संस्था ‘तंजीम इस्लाह-उल-मुस्लिमीन’ की स्थापना की थी। मध्य दिल्ली के दरियागंज में छत्ता लाल मियां इलाके में एक गरीब परिवार में जन्मे टुंडा ने अपने पैतृक गांव उत्तर प्रदेश के गाजियाबाद में पिलखुआ गांव के बाजार खुर्द इलाके में कारपेंटर का काम शुरू किया था।
उन्होंने अपने पिता को मदद देनी शुरू कर दी, टुंडा के पिता जिंदगी गुजराने के लिए तांबा, जस्ता और एल्युमिनियम जैसे धातुओं को गलाने का काम करते थे। पिता की मौत के बाद टुंडा ने आजीविका के लिए कबाड़ का काम शुरू किया। साथ ही उन्होंने कपड़ों का कारोबार भी किया था। 80 के दशक में पाकिस्तानी गुप्तचर एजेंसी आईएसआई के गुर्गो के माध्यम से लश्कर-ए-तैयबा के संपर्क में आने के बाद टुंडा ने कट्टरपंथ को अपना लिया। गाजियाबाद में पिलखुआ गांव के बाजार खुर्द इलाके में कारपेंटर का काम शुरू किया था।
65 साल की उम्र में रचाई थी शादी
आपकी जानकारी के लिए बता दे कि अब्दुल करीम टुंडा ने तीन बार शादी की थी। ऐसा कहा जाता है उन्होंने तीसरी शादी 65 साल की उम्र में 18 साल की लड़की से की थी। बता दें टुंडा का छोटा भाई अब्दुल मलिक आज भी कारपेंटर है। वह टुंडा के परिवार का भारत में जीवित एकमात्र सदस्य है। साल 1992 में भारत से बांग्लादेश भाग गए टुंडा ने बांग्लादेश और बाद में पाकिस्तान में आतंकवादियों को बम बनाने का प्रशिक्षण कर दिया था।