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कौन है अंतरात्मा की आवाज पर बाजी पलटने और क्रॉस वोटिंग करने वाले सपा के विधायक…जानिए बगावत की असली वजह

विशेष संवाददाता

नई दिल्ली। उत्तर प्रदेश के राज्यसभा चुनाव में हुई क्रॉस वोटिंग ने अखिलेश यादव के प्लान-3 पर पानी फेर दिया है. क्रॉस वोटिंग की वजह से सपा के 2 ही प्रत्याशी राज्यसभा पहुंच पाए, इसे लेकर तमाम तरह की चर्चाएं यूपी की सियासी गलियारों में हैं.

बगावत कर वोट डालने वाले विधायकों ने अंतरात्मा की आवाज पर मतदान करने की बात कही है. हालाँकि सपा विधायकों की बगावत पर अखिलेश यादव ने कहा है कि जो लाभ लेने वाले हैं, वो चले जाएंगे. पीडीए (पिछड़े, दलित और अल्पसंख्यक) को लेकर विधायकों की यह एक परीक्षा थी. अब सब कुछ साफ हो गया है.

कौन-कौन सपा बागी विधायक जिन्होंने पलट दी बाजी ?

जानकारी के मुताबिक, ऊंचाहार से विधायक मनोज पांडे, कालपी से विनोद चतुर्वेदी, चायल से पूजा पाल, गौरीगंज से राकेश सिंह, गोसाईगंज से अभय सिंह, जलालपुर से राकेश पांडे, बिसौली से आशुतोष मौर्य और अमेठी से महाराजी प्रजापति ने अंतरात्मा के नाम पर वोट देने की बात कही है.

ये सभी विधायक अखिलेश यादव के डिनर पार्टी में भी नहीं पहुंचे थे. सपा सूत्रों के मुताबिक 3 दिन पहले से इन विधायकों का संपर्क सपा हाईकमान से टूट चुका था.

क्यों जागी अंतरात्मा, एक-एक की कहानी पढ़िए…

  1. अभय सिंह- अयोध्या जिले के गोसाईगंज के विधायक अभय सिंह ने अंतरात्मा की आवाज पर राज्यसभा चुनाव में वोटिंग की है. अभय की गिनती यूपी के बाहुबली नेताओं में होती है. वह कभी बाहुबली मुख्तार अंसारी के काफी करीबी माने जाते थे.

अभय 2012 में पहली बार गोसाईगंज सीट से विधायक चुने गए. 2017 में उन्हें बीजेपी के खब्बू तिवारी ने हरा दिया, लेकिन 2022 में सिंह फिर से इस सीट को पाने में कामयाब रहे. चुनावी हलफनामे के मुताबिक अभय सिंह पर कुल 9 एफआईआर दर्ज हैं. यह मुकदमा लखनऊ, अयोध्या और वाराणसी के अलग-अलग थानों में दर्ज हैं. हत्या, हत्या के प्रयास, गैंगस्टर और आर्म्स एक्ट जैसे गंभीर आरोपों में केस दर्ज है. सभी मामलों की सुनवाई अभी निचली अदालत में चल रही है.

  1. राकेश प्रताप सिंह- अमेठी के गौरीगंज के विधायक राकेश प्रताप सिंह की छवि भी दबंग विधायक की है. सपा में आने से पहले राकेश भारतीय जनता पार्टी में ही थे. 2021 में योगी सरकार का विरोध करते हुए उन्होंने पार्टी छोड़ दी थी.

2022 विधानसभा चुनाव में राकेश ने चंद्र प्रकाश मटियारी को करीब 7 हजार वोटों से चुनाव हराया. 2023 में राकेश का एक वीडियो सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल हुआ था. इस वीडियो में राकेश गौरीगंज के नगरपालिका अध्यक्ष उम्मीदवार के पति को पीट रहे थे.

चुनावी हलफनामे के मुताबिक राकेश पर 2022 के चुनाव तक 4 एफआईआर दर्ज हैं. यह मुकदमा सुल्तानपुर और अमेठी के अलग-अलग थानों में दर्ज हैं. आईपीसी की 153, 506, 353 और 143 की धाराओं में केस दर्ज है.

  1. राकेश पांडे- अंबेडकरनगर के जलालपुर से विधायक राकेश पांडे ने भी अंतरात्मा की आवाज पर राज्यसभा चुनाव में वोटिंग की है. पांडे की अंतरात्मा जागने की बड़ी वजह उनके बेटे रितेश पांडे का राजनीतिक मूव है.

अंबेडकरनगर से बीएसपी के सांसद रितेश ने हाल ही में भारतीय जनता पार्टी का दामन थामा है. बेटे के राजनीतिक भविष्य को देखते हुए राकेश ने पलटी मार दी है.

सपा में आने से पहले राकेश बहुजन समाज पार्टी में थे. राकेश की कोशिश अपने बेटे को सपा से टिकट दिलवाने की थी, लेकिन अखिलेश ने यहां लालजी वर्मा को उम्मीदवार बना दिया. चुनावी हलफनामे के मुताबिक राकेश पर लखनऊ के हजरतगंज थाने में एक मुकदमा दाखिल है. यह मुकदमा साजिश और अपराध छिपाने से जुड़ा हुआ है.

  1. महाराजी प्रजापति- पूर्व केंद्रीय मंत्री गायत्री प्रजापति की पत्नी और अमेठी सदर से सपा विधायक महाराजी प्रजापति ने भी अंतरात्मा की आवाज पर राज्यसभा चुनाव में वोटिंग की है. वोटिंग से पहले महाराजी ने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से मुलाकात भी की. महाराजी के पति गायत्री अभी जेल में बंद हैं और उम्रकैद की सजा काट रहे हैं. उनके खिलाफ मनी लॉन्ड्रिंग और आईपीसी के कई गंभीर धाराओं में भी केस दर्ज हैं. गायत्री की जमानत याचिका हाईकोर्ट से भी खारिज हो चुकी है. बात महाराजी की करें तो उन्होंने 2022 के चुनाव में अमेठी सदर सीट से बीजेपी के संजय सिंह को चुनाव हराया था.
  2. विनोद चतुर्वेदी- जालौन के कालपी से विधायक विनोद चतुर्वेदी ने भी राज्यसभा चुनाव में अंतरात्मा की आवाज पर वोटिंग की है. चतुर्वेदी के क्रॉस वोटिंग करने के पीछे स्थानीय समीकरण बताया जा रहा है.

2022 में चतुर्वेदी ने सपा के सिंबल पर निषाद पार्टी के छोटे सिंह को हराया था. हालांकि, जीत का मार्जिन काफी कम था. चतुर्वेदी सपा में आने से पहले कांग्रेस में थे.

  1. मनोज पांडे- रायबरेली के ऊंचाहार से विधायक मनोज पांडे ने वोटिंग के बीच सपा के मुख्य सचेतक पद से इस्तीफा दे दिया है. पांडे ने भी अंतरात्मा की आवाज पर वोटिंग करने की बात कही है.

पांडे को अखिलेश यादव का करीबी माना जाता रहा है. 2012 में वे जब पहली बार विधायक बने, तो उन्हें कैबिनेट में शामिल किया था. मनोज पांडे के मन बदलने की बड़ी वजह रायबरेली लोकसभा सीट है. इस बार भी यह सीट समझौते के तहत सपा ने कांग्रेस को दे दिया है, जबकि पांडे खुद यहां से चुनाव लड़ना चाहते थे. बताया जा रहा है कि पांडेय के मंत्रित्व काल में हुए कुछ भू घोटालों के विजिलेंस जाँच cm yogi ने करवाई थी जिसमें वे बुरी तरह फंसे हुए है. सूत्रों का दावा है कि पांडे को क्रॉस वोटिंग का ईनाम भी जल्द ही मिल सकता है. उन्हें रायबरेली सीट से लोकसभा का चुनाव लड़वाया जा सकता है.

  1. आशुतोष मौर्य- बदायूं के बिसौली से विधायक आशुतोष मौर्य का भी क्रॉस वोटिंग करने वालों में नाम है . आशुतोष कद्दावर नेता स्वामी प्रसाद मौर्य के करीबी माने जाते हैं. मौर्य के पाला बदलने के पीछे बदायूं का स्थानीय समीकरण है.

अखिलेश यादव ने बदायूं से कद्दावर नेता शिवपाल यादव को लोकसभा चुनाव के मैदान में उतारा है. यहां स्वामी प्रसाद अपने या परिवार के लिए टिकट चाह रहे थे.

  1. पूजा पाल- चायल से विधायक पूजा पाल के भी क्रॉस वोटिंग करने की खबर है. पूजा पूर्व विधायक राजू पाल की पत्नी हैं. 2022 के चुनाव में पूजा ने अपना दल के नागेंद्र पटेल को हराया था. पूजा के सपा छोड़ने की चर्चा 2019 से ही लग रही थी, लेकिन 2022 के चुनाव में अखिलेश ने उन पर भरोसा जताया.

2023 में अतीक अहमद के एनकाउंटर के बाद उनकी नजदीकी सरकार से बढ़ गई थी. कहा जा रहा है कि पूजा के यू-टर्न लेने के पीछे लोकसभा चुनाव का समीकरण है. बीजेपी पूजा को कौशांबी या फूलपुर से चुनाव लड़वा सकती है.

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