संवाददाता
गाज़ियाबाद । वैशाली सेक्टर-9 स्थित सुपरटेक एस्टेट सोसाइटी में जीडीए द्वारा स्वीकृत नक्शे के अतिरिक्त 110 फ्लैट बनाने का मामला सामने आया है। कुछ दिन पूर्व इस प्रकार का एक मामला इंदिरापुरम की एक्सप्रेस गार्डन सोसाइटी में भी देखने को मिला था। उसमें बिल्डर द्वारा स्वीकृत नक्शे के अतिरिक्त 134 फ्लैट बनाए गए थे। इस मामले में हाईकोर्ट के आदेश पर कार्रवाई शुरू हो गई है। अब इसी प्रकार का मामला वैशाली में भी सामने आया है।
क्या है पूरा मामला
गाजियाबाद के वैशाली सेक्टर-9 में स्थित सुपरटेक एस्टेट सोसाइटी में बिल्डर द्वारा भ्रष्टाचार कर अतिरिक्त फ्लैट बना दिए गए। इस पूरे मामले में जीडीए के अधिकारियों की भूमिका सवालों के घेरे में है। गाजियाबाद में इस प्रकार के मामले लगातार सामने आ रहे हैं, जहां स्वीकृत नक्शे के अतिरिक्त बिल्डर ने फ्लैट बनाकर बेचकर अवैध रूप से धन अर्जित किया। वैशाली स्थित सुपरटेक एस्टेट सोसाइटी में स्वीकृत नक्शे के अतिरिक्त 110 फ्लैट बना दिए गए। यह मामला तब प्रकाश में आया, जब सोसाइटी में स्थापित एओए के पदाधिकारी ने नियम बनाया कि सोसाइटी में बने अतिरिक्त 110 प्लेटों के स्वामी एओए चुनाव में वोट नहीं डाल सकते हैं।
सोसायटी में बने 110 अतिरिक्त फ्लैट के स्वामियों ने जीडीए के सचिव राजेश कुमार सिंह से शिकायत की। उन्होंने बताया कि बिल्डर द्वारा बनाए गए 110 अतिरिक्त फ्लैट किस प्रकार बन गए और अब उन्हें एओए में वोट डालने का अधिकार नहीं है। उन्होंने इसकी जांच कर दोषी जीडीए अधिकारियों को दंडित करने की मांग की है। जीडीए सचिव ने अधिशासी अभियंता राजकुमार वर्मा को कमेटी बनाकर इस मामले की जांच करने का आदेश दिया है। कमेटी में तीन अन्य अभियंताओं को भी शामिल किया गया है। इस मामले की पूर्ण जांच करने के बाद दोषी अधिकारियों पर कार्रवाई की जाएगी।
वैशाली सेक्टर-9 स्थित सुपरटेक एस्टेट सोसाइटी में नक्शे के अतिरिक्त 110 फ्लैट बनाने का मामला तूल पकड़ता जा रहा है। बता दें कि सुपरटेक एस्टेट सोसाइटी के लिए 2003-04 में जीडीए से नक्शा स्वीकृत कराया गया था। जीडीए ने नक्शा स्वीकृत करते हुए सोसाइटी में 247 फ्लैट बनाने की स्वीकृति प्रदान की गई थी, लेकिन बिल्डर ने जीडीए अधिकारियों से सांठगांठ कर सोसाइटी में 357 फ्लैट का निर्माण कर इन्हें बेच दिया। अब यह मामला जीडीए अधिकारियों के पास पहुंच गया है। देखने वाली बात यह होगी कि क्या जीडीए अधिकारी दोषी अधिकारियों को दंडित कर पाएंगे या यह मामला भी हाईकोर्ट में जाएगा।