संवाददाता
गोरखपुर । यूपी एसटीफ ने गोरखपुर के कुख्यात माफिया विनोद उपाध्याय को मुठभेड़ में ढेर कर दिया है। बताया जा रहा है कि गुरुवार की रात सुल्तानपुर में एसटीफ और माफिया के बीच मुठभेड़ शुरू हो गई, जिसमें पुलिस की जवाबी कार्रवाई में माफिया ढेर हो गया। विनोद उपाध्याय के सिर गोरखपुर पुलिस ने एक लाख रुपये इनाम की घोषणा की थी। पुलिस को उसकी जमीन कब्जाने, हत्या और हत्या के प्रयास समेत कई मामलों में तलाश थी।
विनोद उपाध्याय पुत्र रामकुमार उपाध्याय मूल रूप से मयाबाजार थाना महाराजगंज, अयोध्या का रहने वाला था। अपराध की दुनिया का बड़ा नाम और उत्तर प्रदेश के टॉप 61 माफिया की सूची में शामिल माफिया विनोद कुमार उपाध्याय पर एडीजी जोन गोरखपुर ने एक लाख रुपये का इनाम घोषित किया था। शुक्रवार तडके की रात बदमाश विनोद उपाध्याय और एसटीएफ के मध्य सुल्तानपुर के थाना कोतवाली देहात क्षेत्र में मुठभेड़ हो गई।
जिसमें विनोद उपाध्याय गोली लगने से गंभीर रूप से घायल हो गया। जिसको इलाज के लिए मेडिकल कॉलेज सुल्तानपुर लाया गया। जहां इलाज के दौरान उसकी मौत हो गई। अभियुक्त विनोद के ऊपर कुल 35 मुकदमें विभिन्न जनपदों के भिन्न-भिन्न थानों में दर्ज हैं, जिसमें हत्या व हत्या के प्रयास के कई मुकदमें भी शामिल हैं। प्रदेश के बड़े माफियाओं में विनोद उपाध्याय का नाम शामिल था।
विनोद गोरखपुर के टॉप 10 माफिया की लिस्ट में शामिल था, इसलिए एसटीएफ के साथ गोरखपुर क्राइम ब्रांच भी उसके पीछे लगी हुई थी। विनोद उपाध्याय वर्ष 2004 में तब चर्चा में आया था जब उसने गोरखपुर जेल में बंद चल रहे अपराधी जीतनारायण मिश्र को किसी बात पर थप्पड़ मार दिया था। अगले साल 2005 में जीतनारायण जेल से बाहर आया तो विनोद उपाध्याय ने संत कबीरनगर में उसकी हत्या कर दी। जरायम की दुनिया में विनोद की एंट्री इसी हत्याकांड से हुई थी जिसका अंत उसके एनकाउंटर के साथ हो गया।
विनोद उपाध्याय ने अपनी पहचान छात्र राजनीति के जरिये बनाई थी। बात 2002 की है। गोरखपुर यूनिवर्सिटी में छात्रसंघ चुनाव हो रहे थे। इसमें विनोद ने अपने समर्थन के साथ छात्रसंघ पदाधिकारी का चुनाव एक शख्स को लड़वाया था। चुनाव में वह जीत गया और विनोद उपाध्याय का रुतबा बढ़ गया। 2007 में बसपा शासनकाल में विनोद उपाध्याय की हनक और बढ़ गई थी। उस समय जिला सहकारी बैंक के चेयरमैन के पद पर उसने एक पूर्व विधायक पक्ष के प्रत्याशी को हरवाकर अपने प्रत्याशी को चेयरमैन बनवाया था। इसके बाद उसने पीछे मुड़कर नहीं देखा।
लखनऊ में पड़ोसी पूर्व मंत्री के रूप में जानते थे
गोरखपुर, बस्ती और संतकबीरनगर में विनोद उपाध्याय के खिलाफ 35 मुकदमे दर्ज हैं। खास बात ये है कि इनमें से आज तक किसी मामले में उसे सजा नहीं मिल पाई। कुछ महीने पहले यूपी सरकार ने गोरखपुर के टॉप 10 अपराधियों की सूची जारी की थी। इसके बाद से ही पुलिस उसके पीछे पड़ गई। लखनऊ समेत यूपी के तमाम जिलों में उसकी तलाश की जाने लगी। जून, 2023 में गोरखपुर पुलिस की एक टीम जब विनोद को ढूंढने उसके लखनऊ स्थित फ्लैट पहुंची तो कई हैरान करने वाली जानकारियां मिलीं। यहां विनोद के पड़ोसी उसे पूर्व मंत्री के रूप में जानते थे। लखनऊ में विनोद उपाध्याय के दो फ्लैट हैं। एक में वह अपने साले के साथ रहता था जबकि दूसरे में उसके गैंग के लोग रहते थे। सर्विलांस की मदद से गोरखपुर की पुलिस टीम जब तक यहां पहुंचती, तब तक माफिया अपने साथियों के साथ फ्लैट पर ताला माकर फरार हो चुका था।
सरकारी वकील ने रंगदारी का मुकदमा कराया था
गोरखपुर के कैंट इलाके में दाउदपुर में रहने वाले पूर्व सहायक जिला सरकारी वकील प्रवीण श्रीवास्तव ने माफिया विनोद उपाध्याय, उसके भाई संजय, नौकर छोटू समेत कई के खिलाफ रंगदारी मांगने और तोड़फोड़ करने का मुकदमा दर्ज कराया था। उन्होंने आरोप लगाया कि सलेमपुर में उनकी जमीन है। विनोद उपाध्याय उनको इस जमीन का जबरन बैनाम करने या प्रति प्लाट पांच लाख रुपये रंगदारी देने का दबाव बना रहा है। गुलरिहा थाने की पुलिस ने मुकदमा दर्ज कर नौकर छोटू को गिरफ्तार कर लिया था।