संवाददाता
नई दिल्ली। दिल्ली पुलिस में तय समय से ट्रांसफर नहीं होने के कारण सवाल उठ रहे है की क्या जानबूझकर पुलिस मुख्यालय द्वारा बनाए गए नियमों की अनदेखी हो रही है, क्या ट्रांसफर पोस्टिंग का लेखा जोखा रखने वाला सिस्टम हैंग हो गया है। क्यूंकि काफी समय से ट्रांसफर पेंडिंग चल रहे हैं। दिल्ली के एक जिले में डीसीपी कार्यभार संभाल रहे एक पुलिस अधिकारी का तो यव भी कहना है कि जो एसएचओ जिले में दो साल पूरे कर चुके हैं, वह अब काफी लापरवाह हो गए हैं।
डीसीपी की भी नहीं सुन रहे वो एसएचओ
जो एसएचओ अपना दो साल का कार्यकाल पूरा कर चुके हैं, अब इन्हें पता है कि ट्रांसफर तो होना ही है, इसलिए अब इनसे काम करवाना मुश्किल हो गया है। यह कहना है इन दिनों दिल्ली के एक जिले में डीसीपी कार्यभार संभाल हुए एक पुलिस अधिकारी का। दरअसल उनका कहना है कि जो एसएचओ मेरे डिस्ट्रिक्ट में दो साल पूरे कर चुके हैं, वह अब काफी लापरवाह हो गए हैं। आलम यह है कि वह अब डीसीपी तक की बात सुनने को तैयार नहीं हैं। वह अपनी मनमानी से काम कर रहे हैं क्योंकि उन्हें पता है कि ऊपर से कोई सख्त एक्शन नहीं होना है। यह हाल सिर्फ उसी एक जिले का नहीं है। बल्कि अन्य जिलों में भी पुलिस अधिकारी इसी तरह की परेशानी का सामना कर रहे हैं। इससे कामकाज पर काफी असर पड़ रहा है।
एसीपी बन गए मगर पोस्टिंग कब
एक अन्य पुलिस सूत्र ने बताया, दिल्ली पुलिस के पूर्व कमिश्नर राकेश अस्थाना ने अपने कार्यकाल में फंक्शनल रैंक (एफआर) देते हुए करीब 800 नए इंस्पेक्टर बनाए थे। इससे पहले दिल्ली पुलिस में कुल 1274 इंस्पेक्टर थे। एफआर इंस्पेक्टर्स को अब तक नई पोस्टिंग नहीं मिल पाई है। केवल जो एफआर इंस्पेक्टर ट्रैफिक में थे, उन्हें ही टीआई (ट्रैफिक इंस्पेक्टर) बना दिया गया है, मगर यह भी चौंकाने वाला है। कारण कि इससे पहले तक केवल सीनियर इंस्पेक्टर जो थाने आदि डिपार्टमेंट इंस्पेक्टर का काम देख चुका होता है, उसे ही टीआई लगाया जाता था। इनके अलावा जो इंस्पेक्टर जहां थे, वो वहीं हैं। इसी तरह इन एफआर इंस्पेक्टर्स के साथ कुछ एफआर एसीपी भी बनाए गए थे। सवा साल हो जाने के बाद भी ऐसे कई एफआर एसीपी हैं, जो अभी तक थानों में एसएचओ का काम देख रहे हैं। सूत्र का कहना है कि इनका तो फिर ठीक है कि कम से कम थाने की कुर्सी तो मिली हुई है। उनका सोचिए जो किसी यूनिट आदि में ही अभी तक इंस्पेक्टर का काम देख रहे हैं। उन्हें अब तक एसीपी पोस्टिंग नहीं मिल पाई है।
सूत्र ने बताया, जिन एफआर एसीपी को सब डिविजन एसीपी में लगा दिया गया है, वह भी गलत हुआ है, क्योंकि ऐसे में नारकोटिक्स के मुकदमे दर्ज करने में काफी परेशानी आएगी। कारण कि एक केस में कोर्ट का ऑर्डर आया था कि रेगुलर एसीपी ही इन केस में सारे एक्शन लेगा या सब कुछ उसकी सुपरविजन में होगा, यहां तक कि रेड भी। अब एक जिले की हालत ऐसी है कि वहां केवल दो ही रेगुलर एसीपी हैं। ऐसे में सोचने वाली बात यह है कि दो एसीपी कैसे पूरे जिले में नारकोटिक्स के केस देखेंगे। यह दिक्कत और भी जगह हो सकती है।
एसएचओ के लिए बना रूल ठंडे बस्ते में
सूत्र ने बताया मौजूदा दिल्ली पुलिस कमिश्नर संजय अरोड़ा ने ही एक ऑर्डर निकालकर एसएचओ लगाए जाने का पैमाना तैयार किया था। इसके तहत साल में दो बार एक पैनल बनेगा जो एसएचओ की पोस्ट के लिए इंस्पेक्टर के इंटरव्यू लेगा। 125 नंबर की उस प्रक्रिया में जो इंस्पेक्टर 87.50 नंबर ले आएगा, वह एसएचओ बनने के लिए क्वॉलिफाई हो जाएगा। जनवरी में इंटरव्यू हुए, मगर इसके बाद जुलाई से कोई इंटरव्यू नहीं हुआ है, अब दिसंबर आ चुका है।
एक अन्य वरिष्ठ पुलिस अधिकारी ने कहा, आंख बंद कर के दिल्ली में पोस्टिंग की जा रही है। 2008 बैच के दो दानिप्स ऑफिसर इस समय दो अलग-अलग जिलों में अडिशनल डीसीपी-2 का काम देख रहे हैं। जबकि 2011 का एक दानिप्स ऑफिसर ऐसा है, जो एक जिले में अडिशनल डीसीपी-1 का काम देख रहा है। यानी जूनियर अपने सीनियर से बड़े पद पर हैं। इसी तरह एक जिले में एसीपी ऑपरेशन की पोस्ट पर एफआर एसीपी तैनात है। अब उसी के अंदर आने वाली साइबर यूनिट की एसएचओ की पोस्ट पर भी एफआर एसीपी तैनात है यानी एक बैच के दो अधिकारी बड़े और छोटे पद पर तैनात हैं, वो भी एक ही जगह।
इसलिए किसी को कोई डर नहीं
डीसीपी रैंक के एक अधिकारी ने बताया, जी-20 से पहले दिल्ली पुलिस के एक स्पेशल सीपी ने अपने जोन में तैनात दो डीसीपी को हटाए जाने की सिफारिश दिल्ली पुलिस कमिश्नर से की थी। इस सिफारिश के साथ हवाला दिया गया था कि दोनों के खिलाफ करप्शन की काफी शिकायतें आ रही हैं। उस समय कहा गया था कि जी-20 के बाद उन्हें हटा दिया जाएगा, मगर अब तक वे दोनों डीसीपी वहीं तैनात हैं। यह तो सिर्फ एक मामला है। रोजाना करप्शन के अलावा लापरवाही के कई मामले सामने आ रहे हैं, मगर किसी पर कोई एक्शन नहीं लिया जा रहा है।वरिष्ठ पुलिस अधिकारी का कहना है कि आगामी चुनाव के मद्देनजर सभी डिस्ट्रिक्ट से ऐसे पुलिसकर्मियों की लिस्ट मांगी गई है, जो वर्षों से एक ही थाने या एक ही डिपार्टमेंट में जमे बैठे हुए हैं।
सूत्र ने बताया मौजूदा दिल्ली पुलिस कमिश्नर संजय अरोड़ा ने ही एक ऑर्डर निकालकर एसएचओ लगाए जाने का पैमाना तैयार किया था। इसके तहत साल में दो बार एक पैनल बनेगा जो एसएचओ की पोस्ट के लिए इंस्पेक्टर के इंटरव्यू लेगा। 125 नंबर की उस प्रक्रिया में जो इंस्पेक्टर 87.50 नंबर ले आएगा, वह एसएचओ बनने के लिए क्वॉलिफाई हो जाएगा। जनवरी में इंटरव्यू हुए, मगर इसके बाद जुलाई से कोई इंटरव्यू नहीं हुआ है, अब दिसंबर आ चुका है।
एक अन्य वरिष्ठ पुलिस अधिकारी ने कहा, आंख बंद कर के दिल्ली में पोस्टिंग की जा रही है। 2008 बैच के दो दानिप्स ऑफिसर इस समय दो अलग-अलग जिलों में अडिशनल डीसीपी-2 का काम देख रहे हैं। जबकि 2011 का एक दानिप्स ऑफिसर ऐसा है, जो एक जिले में अडिशनल डीसीपी-1 का काम देख रहा है। यानी जूनियर अपने सीनियर से बड़े पद पर हैं। इसी तरह एक जिले में एसीपी ऑपरेशन की पोस्ट पर एफआर एसीपी तैनात है। अब उसी के अंदर आने वाली साइबर यूनिट की एसएचओ की पोस्ट पर भी एफआर एसीपी तैनात है यानी एक बैच के दो अधिकारी बड़े और छोटे पद पर तैनात हैं, वो भी एक ही जगह।