पटेल नगर में 53 साल पुराने मकान को ध्वस्त कराने की आपाधापी में मेयर साहिबा सुप्रीम कोर्ट की गाइडलाइन भी भूल गई
विशेष संवाददाता
गाजियाबाद। उत्तर प्रदेश में अपराधियों और माफियाओं की अपराध से अर्जित की गई संपत्तियां नेस्तानाबूद करने के लिए मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने बुलडोजर का जो फॉर्मूला शुरू किया था। बाद में ये फॉर्मूला पूरे देश में मॉडल बन गया। लेकिन अब इसी बुलडोजर फॉर्मूला को भगवा दल से जुड़े लोग अपने सियासी फायदे और हनक के लिए बदनाम करने में जुटे है। गाजियाबाद के पटेल नगर सेकेंड में पिछले 53 साल से एक मकान में रहने वाले परिवार को सूर्यास्त के बाद नगर निगम के बुलडोजर ने ध्वस्त कर बेघर कर दिया। जबकि उसी मकान के ध्वस्त करने के आदेश पर इलाहाबाद हाईकोर्ट ने स्थगनादेश जारी किया था। लेकिन निगम के अधिकारियों ने इस आदेश का मानने से इंकार कर दिया। हैरानी की बात ये है कि मकान के ध्वस्तीकरण को अपने सामने अंजाम दिलाने वाले मेयर व डिप्टी मेयर और इलाके की पार्षद अब मामले के तूल पकडने के बाद बैक फुट पर दिखाई दे रहे हैं।
नगर निगम के वार्ड 9 के अर्न्तगत पटेल नगर सेकेंड सोम बाजार रोड पर करीब सौ गजे के मकान में पिछले 53 साल से मरियम अस्पताल में काम करने वाले जॉन का परिवार रहता था। जॉन के परिवार में उसकी पत्नी व एक बेटा-बेटी हैं। पिछले कुछ दिन पहले वार्ड 9 की सभासद शीतल चौधरी की शिकायत पर नगर निगम ने जॉन के मकान को नाले की जमीन पर कब्जा करके मकान बनाने का दावा करते हुए इसे तोडने का निर्देश दिया। जिसके बाद जॉन ने नोटिस पर आपत्ति जताते हुए नगरायुक्त विक्रमादित्य सिंह मलिक को अपने मकान की 1968 की रजिस्ट्री समेत बिजली पानी व हाउस टैक्स के के बिल दिखाए तो नगरायुक्त ने ध्वस्तीकरण की कार्रवाई नहीं करने का आश्वासन दिया।
लेकिन स्थानीय पार्षद ने मकान को अवैध कब्जा मानते हुए इसके ध्वस्तीकरण की जिद्द ठान ली। बताया जा रहा है कि 22 नंबवर को नगरायुक्त के स्तर पर कोई कार्रवाई न किए जाने के बाद स्थानीय पार्षद शीतल चौधरी कुछ अन्य पार्षदों और कुछ बीजेपी कार्यकर्ताओं को लेकर मेयर सुनीता दयाल के आवास पर पहुंच गई और मकान को ध्वस्त होंने तक धरना देने की धमकी दी। दबाव में मेयर ने देर शाम संपत्ति अधिकारी को जॉन के मकान की फाइल के साथ तलब किया और दस्तावेज की जांच पड़ताल के बाद उसी शाम मकान को ध्वस्त कराने के लिए बुलडोजर व संपत्ति विभाग की टीम को पटेल नगर सेकेंड में बुलवा लिया।
प्रत्यक्षदर्शियों के मुताबिक जब जॉन के मकान पर ध्वस्तीकरण की कारवाई कर विरोध हुआ तो मेयर के कहने पर स्थानीय पुलिस को बुला लिया गया । पुलिस ने बलपूर्वक परिवार को काबू में किया और नगर निगम के बुलडोजर ने अगले एक घंटे में 53 साल पुराने मकान को ध्वस्त कर दिया। ध्वस्तीकरण की कार्रवाई के दौरान मेयर व डिप्टी मेयर कार में वहीं मौजूद रहे जबकि स्थानीय पार्षद शीलत चौधरी ध्वस्तीकरण के दौरान मौके पर मौजूद रही। हैरानी की बात है कि जॉन ने ध्वस्तीकरण की कार्रवाई के खिलाफ स्थगनादेश हासिल कर लिया था लेकिन निगम के कर्मचारियों ने उसे देखकर भी मानने से इंकार कर दिया।
22 नंवबर कोई ध्वस्तीकरण की इस कार्रवाई में जॉन की गृहस्थी का सारा सामान मकान के अंदर मलबे में दब गया और पूरा परिवार जान पहचान वालों के यहां आसरा लेने को मजबूर हैं।
पीडित जॉन के सर्मथन में कई दलित संगठन अब इस मामले का हाईकोर्ट के साथ मुख्यमंत्री के दरबार में ले जाने की तैयारी में हैं।
अवैध निर्माण के नाम पर नगर निगम द्वारा की गई ध्वस्तीकरण की इस कार्रवाई में कई ऐसे पहलू है जो पूरी कार्रवाई पर सवालिया निशान खड़े करते हैं। मसलन
सुप्रीम कोर्ट के दिशा निर्देशों के मुताबिक शाम पांच बजे के बाद ध्वस्तीकरण की कार्रवाई नहीं की जा सकती। लेकिन यहां तो कार्रवाई ही शाम करीब सात बजे शुरू हुई।
इस मामले में मेयर सुनीता दयाल, डिप्टी मेयर राजीव शर्मा का दिलचस्पी लेना कई सवाल खड़े करता हैं। स्थानीय पार्षद की इस मकान को तुडवाने में इतनी दिलचस्पी क्यों थी।
जब मकान की सालों पुरानी रजिस्ट्री, बिजली, पानी और हाउस टैक्स के बिल मौजूद है तो बिना उन्हें गैर कानूनी घोषित किए निगम ने किस आधार पर मकान को अवैध बताकर तोड़ा
जिस खसरा खतौनी की रजिस्ट्री को निगम ने अवैध मानकर तोड डाला उसी खतौनी की रजिस्टी से आसपास दर्जनों दुकान में मकान बने है लेकिन उन्हें निगम ने अवैध नहीं माना आखिर क्यों ।
इस मामले में क्या वजह रही है भगवा पार्टी दो फोड हो गई है। महागनर संगठन के कई पदाधिकारी और विधायक ध्वस्तीकरण की कार्रवाई को गलत बता रहे हैं और कुछ पार्षद व मेयर जो उस दिन अवैध निर्माण हटाने पर आमदा थे अब मामला तूल पकडने के बाद चुप्पी साध ली है।
पीडित जॉन के सर्मथन में कई दलित संगठन अब इस मामले का हाईकोर्ट के साथ मुख्यमंत्री के दरबार में ले जाने की तैयारी में हैं।