संवाददाता
नई दिल्ली। दिल्ली में हर साल सर्दियों के दिनों में होने वाली वायु प्रदूषण की समस्या को लेकर सुप्रीम कोर्ट में कई याचिकाएं डाली गई हैं, जिसकी आज सुनवाई हुई।
शुरुआत में अदालत ने पंजाब में जलने वाली पराली की समस्या पर सुनवाई की और उसके बाद दिल्ली सरकार को आरआरटीएस प्रोजेक्ट के लिए पैसा न देने को लेकर लताड़ लगाई और ये भी कहा कि आप का विज्ञापन बजट रोक देंगे।
अदालत में सुनवाई के दौरान क्या-क्या हुआ
सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई शुरू करते हुए पंजाब में पराली जलने के मामलों के बारे में पूछा। अदालत ने हर हाल में पराली जलने से रोकने की बात कही।
साथ ही आदेश में यह भी कहा कि राज्य और केंद्र सरकार को यहां राजनीति भूलकर ये देखना चाहिए कि ये सब कैसे होगा। अगर ब्लेम गेम चलता रहा तो पंजाब राज्य सूखा हो जाएगा, यहां से पानी खत्म हो जाएगा क्योंकि धान के अलावा अन्य फसलों पर एमएसपी नहीं है। आपमें से कोई भी एक नियत समूह को नाराज नहीं करना चाहता।
इसके बाद अदालत ने खुले में कूड़ा जलाने को लेकर दिल्ली और यूपी दोनों सरकारों को फटकार लगाई। अदालत ने कहा अब भी खुले में कूड़ा जल रहा है, यह यूपी और दिल्ली दोनों ही जगह की समस्या है।
जस्टिस संजय सिंह कौल ने कहा, नवंबर बीते छह सालों में सबसे प्रदूषित रहा। सभी को कारण पता है। लोगों को इससे फर्क नहीं पड़ता कि आप कैसे करेंगे। अदालत का यह काम नहीं है कि आप कैसे करेंगे। अदालत काम है कि आपसे आपका काम करवाए। आपसे जो अपेक्षा है अगर आप वो नहीं करते हैं तो हमारा काम है कि हम आपको टास्क दें।
इस पर वरिष्ठ वकील विकास सिंह ने कहा कि आज की स्थिति भोपाल गैस त्रासदी की तरह दूरगामी प्रभाव दिखाएगी। हमारे बच्चे इसका प्रभाव 20 साल बाद जानेंगे।
इस बीच बेंच ने खुले में कूड़ा जलाने के लोकेशन पर चर्चा कर कहा, गाजियाबाद कहेगा कि लोनी में जला, लोनी कहेगा गाजियाबाद में जला। दिल्ली कहेगा कि यूपी में जला और यूपी कहेगा कि दिल्ली में जला। ये चाहे एक किलोमीटर इधर हो या उधर लोगों को परेशानी हो रही है। यह अंतिम बात है। बेंच ने आगे कहा कि हम यूपी और दिल्ली दोनों से अपेक्षा करते हैं कि इसके खिलाफ कार्रवाई करें और हमें रिपोर्ट दें।
इसी बीच अदालत में कलर कोडेड स्टिकर और प्राइवेट निर्माण साइट पर काम को लेकर भी मुद्दा उठा। इन दोनों मामलों पर बेंच ने कैबिनेट सेक्रेटरी लेवल की कमेटी को नजर रखने को कहा।
इसके बाद अदालत में आरआरटीएस प्रोजेक्ट के लिए दिल्ली सरकार द्वारा बजट का प्रावधान न करने का मुद्दा भी उठा। इस पर जस्टिस कौल नाराज हो गए और वरिष्ठ वकील एएनएस नाडकरणी से पूछा, आखिर क्यों दिल्ली सरकार ने इसका पालन नहीं किया। मैंने आपको पहले भी कहा था, मैं आपका विज्ञापन बजट रोक दूंगा। मैं उसे अटैच कर यहां लाऊंगा।
अदालत ने आगे कहा कि राज्य सरकार के आश्वासन पर इस अदालत ने जो निर्देश दिए थे, उनका पूरी तरह से उल्लंघन किया गया है। अप्रैल में हुई सुनवाई में हमने विशेष रूप से उस बात का उल्लेख किया था कि दिल्ली सरकार को कितनी राशि देनी है। वह राशि अब तक नहीं दी गई है… अगर तीन साल का बजट देखें तो आरआरटीएस के लिए लगभग 1100 करोड़ के बजट का प्रावधान था जबकि इस साल केवल 550 करोड़ का प्रावधान है।
अगर ऐसे राष्ट्रीय महत्व के प्रोजेक्ट प्रभावित होंगे और पैसे विज्ञापन पर बहाए जाएंगे तो हमें मजबूर होकर पैसों को आधारभूत संरचना पर खर्च करने का निर्देश देना पडे़गा।