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नगर निगम का विस्तार हुआ तो जिले में बचेगी सिर्फ एक नगर पालिका और तीन नगर पंचायतें

संवाददाता

गाजियाबाद। लोनी और खोड़ा नगर पालिका को शामिल किए जाने के प्रस्ताव के साथ-साथ अब शहर से सटी मुरादनगर नगर पालिका परिषद और डासना नगर पंचायत के क्षेत्र को भी निगम में शामिल किए जाने के प्रस्ताव पर मंथन शुरू हो गया है। इन चार नगर निकायों का विलय नगर निगम में हुआ तो जिले में सिर्फ एक मोदीनगर नगर पालिका और तीन नगर पंचायतें फरीदनगर, पतला व निवाड़ी बचेंगी। विस्तार हो जाने के बाद नगर निगम के अधिकारियों और मेयर के लिए इन क्षेत्रों में विकास कार्य कराने की चुनौती होगी।

बीते माह प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की जनसभा की तैयारियों को देखने आए मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के समक्ष साहिबाबाद और लोनी विधायक ने खोड़ा नगर पालिका व लोनी नगर पालिका को नगर निगम में शामिल कराए जाने का प्रस्ताव रखा था। मुख्यमंत्री ने डीएम राकेश कुमार सिंह को इस पर रिपोर्ट बनाकर भेजने के निर्देश दिए थे। इसके बाद अब स्थानीय सांसद व केंद्रीय मंत्री वीके सिंह ने शहर से जुड़ी मुरादनगर नगर पालिका और डासना नगर पंचायत को भी निगम में शामिल करने का प्रस्ताव मुख्यमंत्री, नगर विकास मंत्री और डीएम को भेजा है। वहीं, राज्यसभा सांसद अनिल अग्रवाल ने भी बीते 14 अक्तूबर को मुरादनगर नगर पालिका क्षेत्र को नगर निगम में शामिल करने का प्रस्ताव भेजा था। इसके बाद अब जिला प्रशासन के अधिकारी नगर निगम का विस्तार करके इन चार नगर निकायों को इसमें शामिल किए जाने का प्रस्ताव तैयार कर शासन को रिपोर्ट भेजने की तैयारी कर रहे हैं।
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पूर्व राज्यमंत्री नहीं नगर निगम विस्तार के पक्ष में
पूर्व राज्यमंत्री बालेश्वर त्यागी नगर निगम के विस्तार के पक्ष में नहीं है। उन्होंने अपनी फेसबुक वॉल पर इस संबंध में लंबी-चौड़ी पोस्ट डाली है। उन्होंने लिखा है कि अपने अनुभव के आधार पर उन्हें यह प्रस्ताव समस्याओं के समाधान के स्थान पर इन्हें बढ़ाने वाला दिख रहा है। प्रशासनिक क्षमता का सिद्धांत है कि जो यूनिट जितनी छोटी होगी, उसकी प्रशासनिक व्यवस्था उतनी ही प्रभावी होगी। इसी आधार पर भाजपा ने छोटे राज्यों का न केवल समर्थन किया, बल्कि उत्तराखंड, झारखंड, छत्तीसगढ़ जैसे राज्य बनाए। आंध्र प्रदेश का बंटवारा कर तेलंगाना राज्य बनाने का समर्थन किया। इसी आधार पर सहारनपुर मंडल का विभाजन कर मेरठ मंडल बनाया। गाजियाबाद, खोड़ा, लोनी और मुरादनगर हमारी स्मृतियों से पहले से अलग-अलग यूनिट हैं। चारों यूनिटों की अलग-अलग संस्कृति और समस्याएं हैं। उन्होंने लिखा है कि उड़ान की भाषा में कहें तो गाजियाबाद टेकऑफ की स्थिति में है और बाकी निकायों में तो अभी हवाई पट्टियों का निर्माण होना है। इसलिए इन सभी को एक करने से गाजियाबाद का विकास रुक जाएगा। उनकी इस पोस्ट पर नगर निगम के छह बार पार्षद रह चुके अनिल स्वामी पर समर्थन दिया है।

मुरादनगर क्षेत्र गाजियाबाद से बिल्कुल सटा हुआ हैं। शहर का विस्तार मुरादनगर तक हो चुका है। इसलिए अगर इसे नगर निगम में शामिल कर लिया जाए तो विकास बेहतर और सुनियोजित होगा। इसी आधार पर मुरादनगर नगर पालिका को भी नगर निगम सीमा में शामिल करने का प्रस्ताव अक्तूबर में ही मुख्यमंत्री को भेज दिया था। – अनिल अग्रवाल, राज्यसभा सांसद

मुरादनगर विधानसभा क्षेत्र का बड़ा हिस्सा नगर निगम सीमा में शामिल है। इस नगर पालिका का पूरा क्षेत्र निगम में शामिल हो जाएगा तो बेहतर विकास होगा। गाजियाबाद शहर का विकास डासना तक हो चुका है और दोनों में कोई अंतर नहीं रहा। इसलिए दोनों निकायों को निगम में शामिल करने का प्रस्ताव दिया है। – वीके सिंह, स्थानीय सांसद व केंद्रीय मंत्री

लोनी और खोड़ा के साथ-साथ मुरादनगर पालिका को भी शामिल कर नगर निगम विस्तार का प्रस्ताव तैयार किया जा रहा है। इसमें कनावनी को भी शामिल किया जाएगा। इन क्षेत्रों की मैपिंग कराने के लिए विशेषज्ञों को बुलाकर मदद ली जाएगी। जल्द ही यह प्रस्ताव बनाकर शासन को भेज दिया जाएगा। – रणविजय सिंह, एडीएम प्रशासन
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निकाय क्षेत्रफल आबादी
नगर निगम 222 वर्ग किलोमीटर 25 लाख
लोनी नगर पालिका 58.26 वर्ग किलोमीटर 5.81 लाख
खोड़ा नगर पालिका 4.50 वर्ग किलोमीटर 1.90 लाख
कनावनी 3.73 वर्ग किलोमीटर 7080

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