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कौन है महाठग अनूप चौधरी जिसकी गिरफ्तारी के बाद गाजियाबाद से लखनऊ तक मचा हड़कंप

3 साल तक फर्जीवाड़ा कर शासन प्रशासन से लेता रहा ‘VIP ट्रीटमेंट’, आँखों पर पट्टी बांधे सोता रहा सिस्टम

संवाददाता

गाज़ियाबाद। करोड़ों रुपये की ठगी के आरोप में एसटीएफ द्वारा अयोध्या में जालसाज अनूप चौधरी की गिरफ्तारी से खुद को हाईटेक बताने वाली गाजियाबाद कमिश्नरेट पुलिस की लापरवाही उजागर हुई है।

गाजियाबाद कमिश्नरेट पुलिस ने जालसाज को फर्जी लेटरहेड पर तीन साल में कई बार गनर उपलब्ध कराया है। जिसकी बदौलत वह न केवल प्रदेश बल्कि देश की विभिन्न राज्यों में रौब दिखाता रहा।

सुरक्षा में तैनात गनर निलंबित

एसटीएफ द्वारा अनूप चौधरी की गिरफ्तारी के बाद कमिश्नरेट पुलिस की नींद टूटी और गलती का एहसास होने पर आरोपित के खिलाफ वीआइपी सेल प्रभारी की ओर से कविनगर थाने में रिपोर्ट दर्ज कराई गई है। इसके साथ ही आरोपित की सुरक्षा में तैनात गनर पवन के निलंबित कर दिया गया है।

फर्जी लेटर हेड भेज जालसाज खुद को बताता था पदाधिकारी

वीआइपी सेल प्रभारी मयंक अरोरा ने कविनगर थाने में दर्ज कराई रिपोर्ट में बताया है कि मूलत: अयोध्या के रौनाही थानाक्षेत्र के पिलखावा गांव का और वर्तमान में वैशाली का रहने वाला अनूप चौधरी खुद को केंद्र और प्रदेश सरकार के विभिन्न मंत्रालयों और आयोगों का पदाधिकारी बताकर फर्जी लेटरहेड पर लिखा पत्र ईमेल कर सुरक्षा प्राप्त करता था।

लापरवाह कमिश्नरेट पुलिस जालसाज को मुहैया कराती रही गनर

उसने 18 अक्टूबर 2020 को अपनी ईमेल आईडी से गाजियाबाद के डीएम और एसएसपी को ईमेल भेजकर गनर प्राप्त किया। लेटरपैड में उसने खुद को भाजपा अनुसूचित जाति मोर्चा का महाराष्ट्र का प्रभारी, फिल्म सेंसर बोर्ड सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय, भारत सरकार का पूर्व केंद्रीय सलाहकार सदस्य और फिल्म विकास परिषद उत्तर प्रदेश का पूर्व सदस्य दर्शाया था।

इसके बाद उसने छह दिसंबर 2020, 18 दिसंबर 2020, 24 अगस्त 2022 और 30 अगस्त 2022 को सुरक्षा के लिए आवेदन किया और उसे गनर उपलब्ध कराया गया। गाजियाबाद के कमिश्नरेट बनने के बाद अनूप चौधरी ने 27 फरवरी 2023, 10 जुलाई 2023 और 14 सितंबर 2023 को भी गनर प्राप्त किया।

विभिन्न अवसरों पर सुरक्षा की मांग के लिए भेजे गए पत्र में उसने खुद को उत्तर रेलवे का अतिरिक्त प्रदेश सदस्य, फिल्म विकास परिषद उत्तर प्रदेश का पूर्व सदस्य, भारतीय खाद्य निगम की सलाहकार समिति का सदस्य बताया है।

पुलिस की जांच में सामने आया है कि अनूप चौधरी ने न केवल उत्तर प्रदेश बल्कि उत्तराखंड, मध्यप्रदेश, राजस्थान सहित अन्य प्रदेश में भी फर्जी लेटरहेड के सहारे सुरक्षा की मांग की है। उसके खिलाफ उत्तराखंड, उत्तर प्रदेश और राजस्थान में केस दर्ज हैं। उसके द्वारा वैशाली का जो पता पुलिस को बताया गया है, वह भी गलत निकला है।

सिपाही को किया गया निलंबित

यूपी एसटीएफ ने अयोध्या में सर्किट हाउस से पकड़े गए अनूप चौधरी की गिरफ्तारी के वक्त उसके साथ मौजूद गाजियाबाद कमिश्नरेट के सिपाही पवन की सूचना पुलिस अधिकारियों को दी। इसके बाद सिपाही काे निलंबित किया गया है।

आरोप है कि वह बिना अनुमति के गाजियाबाद से बाहर उसके साथ गया था। हालांकि, इस मामले में आरोपित को गनर मुहैया कराने वाले अधिकारियों पर अभी कोई कार्रवाई नहीं की गई है। इस मामले में रिपोर्ट दर्ज कराने वाले वीआइपी सेल प्रभारी भी सवालों के घेरे में हैं।

इस मामले में यह भी पता चला है कि सिपाही पवन को अनूप चौधरी ने फोन कर गाजियाबाद से अयोध्या बुलाया था, वह खुद अयोध्या में मौजूद था। गाजियाबाद से अयोध्या तक सिपाही अनूप चौधरी के ड्राइवर फिरोज के साथ गया था।

पुलिस कमिश्नर अजय कुमार मिश्र ने कहा है कि आरोपित को पहले डीएम कार्यालय की रिपोर्ट के आधार पर गनर मिला था, इसके बाद कमिश्नरेट बनने के बाद भी उसे अस्थायी तौर पर गनर पहले की रिपोर्ट देखते हुए मुहैया कराए गए। केंद्र और प्रदेश सरकार द्वारा प्रोटोकाल उपलब्ध कराने के लिए जारी होने वाली वीआइपी लोगों की सूची में उसका नाम नहीं है। पत्र मिलने पर पहले की तरह गाजियाबाद में सुरक्षा के लिए उसे गनर दिया गया था, लेकिन नियमों का उल्लंघन कर गनर पवन अयोध्या चला गया। इस कारण उसे निलंबित किया गया है। एडीसीपी प्रोटोकाल वीरेंद्र कुमार को मामले की जांच सौंपी गई है।

बनाया हुआ था जबरदस्त भौकाल

अनूप चौधरी खुद को बीजेपी का वरिष्‍ठ पदाधिकारी बताकर लोगों पर खूब रौब जमाता था। ट्विटर अकाउंट पर तो उसने अपने आप को भारत सरकार का सदस्‍य और यूपी सरकार का पूर्व सदस्‍य लिख रखा है। इतना ही नहीं, चौधरी सबको बताता था कि वह महाराष्‍ट्र बीजेपी के अनुसूचित मोर्चे का पदाधिकारी, बीजेपी युवा मोर्चा का बिहार सह प्रभारी और बीजेपी अनुसूचित मोर्चे की राष्‍ट्रीय कार्यसमिति का सदस्‍य भी रह चुका है। रेल मंत्रालय की क्षेत्रीय रेल उपभोक्‍ता सलाहकार समिति और भारतीय खाद्य निगम का सदस्‍य बताकर भी उसने फर्जीवाड़ा किया है। वह लक्‍जरी गाड़ी में अपने साथ एक ओएसडी और सरकारी गनर भी लेकर चलता था। उसका जलवा देखकर लोग झांसे में आ जाते थे।

और तो ओर, अनूप चौधरी कई मीडिया चैनलों में बीजेपी नेता के रूप में इंटरव्‍यू भी दे चुका है। उत्‍तर प्रदेश, उत्‍तराखंड और राजस्‍थान ने उसके ऊपर इनाम रखा हुआ है। इन राज्‍यों में उसके ऊपर 10 मुकदमे दर्ज हैं। हैरानी की बात तो ये है कि गाजियाबाद पुलिस सालों से इस महाठग को सुरक्षा उपलब्‍ध करा रही है। अनूप चौधरी की सुरक्षा में तैनात पुलिसकर्मी गाजियाबाद पुलिस में तैनात है। प्रधानमंत्री के काम को आम जनता तक पहुंचाने के नाम पर अनूप विभिन्‍न राज्‍यों में सरकारी सुविधाओं का लाभ उठाता था।

ओएसडी भेजता था फर्जी लेटरपैड और ईमेल

सरकारी गेस्‍ट हाउसों में रुकने से लेकर पुलिस एस्‍कार्ट तक के लिए फर्जीवाड़ा करता था। वह जिस राज्‍य भी अपने ठगी के धंधे को अंजाम देने जाता था, फर्जी लेटरपैड भेजकर वीआईपी प्रोटोकॉल दिए जाने की मांग करता था। उसका तामझाम देखकर अफसर भी ज्‍यादा पूछताछ नहीं किया करते थे। अनूप ने बाकायदा श्रीनिवास नराला नाम के एक व्‍यक्ति को अपना ओएसडी नियुक्‍त कर रखा था। सरकारी सुविधाओं की मांग संबंधी लेटर और ईमेल वगैरह भेजने का काम यही करता था। उत्‍तराखंड पुलिस ने उस पर 15 हजार रुपये का इनाम घोषित कर रखा है।

बाकायदा कंपनी बना करता था ठगी

आम जनता को झांसे में लेकर ठगी करने के लिए अनूप चौधरी ने एक कंपनी बना रखी थी। खुद को बीजेपी का सक्रिय सदस्‍य दिखाने के लिए व‍ह अपने ट्विटर और फेसबुक पेज पर लगातार प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और अन्‍य बड़े नेताओं की योजनाओं की सराहना करता रहता था। अयोध्‍या में सोमवार देर रात जब यूपी एसटीएफ ने अनूप को अरेस्‍ट किया, उस समय वह मंदिर में दर्शन के लिए जा रहा था। स्‍कॉर्पियो गाड़ी में आगे की सीट पर पवन कुमार नाम का सरकारी गनर बैठा हुआ था। उसने एसटीएफ को बताया कि उसकी तैनाती गाजियाबाद पुलिस में है।

पकड़े जाने से पहले लखनऊ के कारोबारी को ठगने की कोशिश में था

अनूप चौधरी अयोध्‍या के सर्किट हाउस में भी ठगी के धंधे को लेकर रुका हुआ था। वह लखनऊ के कारोबारी सतेंद्र वर्मा को झूठ बोलकर अयोध्‍या ले आया था। एसटीएफ से पूछताछ में सतेंद्र ने बताया कि अनूप और उनकी मुलाकात एयरपोर्ट पर हुई थी। वह तीर्थस्‍थलों पर दर्शन करवाने के लिए हेलीकॉप्‍टर सेवा को लेकर एक कंपनी बनाना चाहता था। वह उनको इस कंपनी का पार्टनर बनाना चाहता था। अनूप चौधरी ठगी की अपनी एक और कोशिश में सफल होता, इससे पहले ही एसटीएफ ने उसे धर लिया।

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