संवाददाता
गाजियाबाद। विधायक सुनील शर्मा की आपत्ति के बाद नगर आयुक्त विक्रमादित्य मलिक ने टेंडर की जांच बैठा दी। जांच टीम में तीन अधिकारियों को शामिल किया गया है। इनमें एमएनएलपी विवेक सिंह, विधि अधीक्षक विशाल गौरव और जलकल विभाग के अधिशासी अभियंता अश कुमार शामिल है।
तीन दिनो के अंदर नगर आयुक्त ने इस पर रिपोर्ट देने के लिए कहा है। हाल ही में इस मामले को लेकर शिकायत की गई थी। इस प्रकरण में कई ठेकेदारों की ओर से शिकायत की गई थी। बाद में पार्षद अजय शर्मा ने भी इस मामले में शिकायत की। इसके बाद साहिबाबाद से विधायक सुनील शर्मा, पार्षद सचिन डागर आदि की ओर से इस मामले में शिकायत की गई थी।
नगर आयुक्त विक्रमादित्य मलिक ने शिकायत को गंभीरता से लिया। इसके बाद उन्होंने इस प्रकरण में जांच बैठा दी। माना जा रहा है कि इस मामले में अब हकीकत का पता चल जाएगा कि खेल आखिर हुआ कहां है। आरोप है कि जिस ठेकेदार की हैसियत प्रमाण पत्र सितंबर में समाप्त हो गया था। उस फर्म को टेंडर में नगर निगम के निर्माण विभग की ओर से पास कर दिया गया।
बता दे कि पार्षद अजय शर्मा ने नगर निगम अधिकारियों पर टेंडर में गडबडी करने का आरोप लगाया था कि निगम अधिकारियों ने नियमों को ताक पर रखते हुए अपने चहेते ठेकेदारों को टेंडर जारी कर दिए हैं जिससे निगम को काफी आर्थिक नुकसान हुआ है। निगम ने हाल ही में 37 विकास कार्यो को लेकर टेंडर छोडे हैं जो करीब 15 करोड की लागत से होने हैं। पार्षद का आरोप है कि निगम अधिकारियों ने अपने चहेते ठेकेदारो की टेंडर में कमियों को दरकिनार कर दिया और अन्य ठेकेदारों के टेंडर महज छोटी-छोटी कमियों के कारण निरस्त कर दिए।
पांच कम्पनियों को काम का ठेका दिया गया है। बरेली की सुनील गर्ग की कम्पनी का अनुभव हॉट मिक्स के काम था, लेकिन निगम ने उसे आरएनजी के कार्य का ठेका दिया साथ ही कम्पनी का शपथ पत्र भी टेंडर के साथ नहीं लगाया गया। इस ठेकेदार को पांच करोड 39 लाख का टेंडर दिया गया है। एक दूसरे मामले में पांच पैसे बिलो रेट पर ठेका दिया गया जबकि अन्य टेंडरों को निरस्त कर दिया गया जिसमें बिलो रेट दो रुपए 99 पैसे तक पहुंच सकता था लेकिन निगम अधिकारियों ने ऐसे टेंडरों को पहले ही बाहर कर दिया।
विधायक सुनील शर्मा का कहना है कि निगम अधिकारियों की इस मिलीभगत के चलते निगम को करोडों रुपए का अर्थिक नुकसान हुआ है।