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फर्जी वेब सीरीज देख नकली फेक करेंसी छापने का आइडिया आया और गैंग बना लिया, क्राइम ब्रांच ने सरगना समेत 5 को दबोचकर 19 लाख के नकली नोट किए बरामद

संवाददाता

नई दिल्ली। हाल ही में ओटीटी प्लेटफॉर्म “अमेज़ॅन प्राइम वीडियो” पर एक वेब सीरीज “फर्ज़ी” का प्रसारण हुआ था। उसी से प्रभावित होकर एक शख्स ने 500 रूपए के ऐसे नकली नोट छापने का कारखाना तैयार कर ऐसा गैंग बनाया जो देशभर में इस नकली करेंसी को सप्लाई करने लगा। लेकिन दिल्ली पुलिस की क्राइम ब्रांच की निगाहों से बच नहीं सका। पुलिस ने नकली नोटों छापकर सप्लाई करने वाले गिरोह का भांडा फोड़कर गिरोह के सरगना समेत पांच लोगों को गिरफ्तार किया है और उनके कब्जे से 500 रूपए की करीब 19 लाख की करेंसी बरामद की है। फेक करेंसी छापने के लिए इस्तेमाल होने वाला प्रिंटर, वॉटरमार्क, लैमिनेटर, रसायन, स्याही आदि सहित कच्चा माल और उपकरण जब्त कर पुलिस ने सिम कार्ड सहित मोबाइल हैंडसेट व जाली नोटो की तस्करी में इस्तेमाल की गई दो कारें जब्त की हैं।

स्पेशल कमिश्नर रविंद्र यादव ने बताया कि ईस्ट रेंज की अपराध शाखा टीम ने अंतर्राज्यीय स्टार पर जाली नोटों की सप्लाई करने वाले गिरोह के 5 प्रमुख सदस्यों को गिरफ्तार किया हैं।उनकी पहचान (1) सकूर मोहम्मद, उम्र 25 वर्ष, निवासी ग्राम बेरुंडा, तहसील रियाबादी, जिला नागौर, राजस्थान, (2) लोकेश यादव, उम्र 28 वर्ष, निवासी ग्राम पादरा, तहसील सागवाड़ा, जिला डूंगरपुर, राजस्थान, (3) हिमांशु जैन, उम्र 47 वर्ष, निवासी पुनर्वास सागवाड़ा, डूंगरपुर, राजस्थान, (4) शिव लाल, उम्र 30 वर्ष, निवासी ग्राम रलियावटे, पोस्ट राजलोटा, जिला नागौर, राजस्थान और (5) संजय गोदारा, उम्र 22 वर्ष, निवासी ग्राम रलियावटे, पोस्ट राजलोटा, जिला नागौर, राजस्थान के रुप में हुई है। उनके कब्जे से 500 मूल्य वर्ग के उन्नीस लाख चौहत्तर हजार के बराबर उच्च गुणवत्ता वाले जाली भारतीय मुद्रा नोट बरामद किए गए हैं। अपराधियों की निशानदेही पर जाली भारतीय करेंसी नोटों की छपाई के लिए प्रयुक्त जाली भारतीय मुद्रा नोटों की छपाई के लिए प्रयुक्त सामग्री/उपकरण भी बरामद किए गए हैं।

दरअसल ब्रांच की ईस्ट रेंज टीम के सहायक उप निरीक्षक गवर्नर व अजय चौहान को दो अपराधियों सकूर मोहम्मद और लोकेश यादव, जो नकली भारतीय मुद्रा नोट की सप्लाई में लिप्त है उनके बारे में सूचना मिली की दोनों आरोपी अक्षर धाम मंदिर, दिल्ली के क्षेत्र में एफ.आई.सी.एन की खेप देने के लिए आएंगे। अगर समय पर कार्यवाही की जाए तो उन्हें वहाँ से पकड़ा जा सकता है।

डीसीपी सतीश कुमार ने एसीपी रोहिताश कुमार की देखरेख में इंस्पेक्टर दीपक पांडे के नेतृत्व में एक टीम का गठन किया गया। जिसमे उप निरीक्षक अवधेश दीक्षित, सहायक उप निरीक्षक गवर्नर, अजय चौहान, अजय यादव, प्रधान सिपाही नितिन, देवेंद्र, अंकुर, विनीत, अजय मावी, रे सिंह और सिपाही आकाश शामिल थे ।इस सूचना के आधार पर टीम ने अक्षर धाम मंदिर, दिल्ली के पास जाल बिछाया गया और आरोपी सकूर मोहम्मद व लोकेश यादव को सफलतापूर्वक पकड़ लिया। तलाशी के दौरान उनके कब्जे से 500 रुपए मूल्य के लगभग 6 लाख के बराबर उच्च गुणवत्ता वाले भारतीय जाली नोट बरामद किए।

पूछताछ के दौरान, आरोपियों ने खुलासा किया कि उन्हें बरामद जाली भारतीय मुद्रा नोट उसके सहयोगियों हिमांशु जैन, शिव लाल और उसके भाई संजय गोदारा निवासी राजस्थान से प्राप्त हुयी थी। यह भी पता चला कि आरोपी व्यक्तियों राधे, सकूर मोहम्मद और शिवलाल ने लाभ कमाने के लिए अजमेर, राजस्थान में जाली भारतीय नोट छापने के लिए एक सेटअप स्थापित करने की साजिश रची थी। इसके बाद, वे अजमेर, राजस्थान में एक किराए के मकान में जाली भारतीय करेंसी नोट छापने और दिल्ली/एनसीआर के क्षेत्र में जाली भारतीय मुद्रा नोटों के परिचालन में संलिप्त एक गिरोह चला रहे थे।इस जानकारी के बाद पुलिस टीम ने अजमेर, राजस्थान में छापे मारे गए और इस गिरोह के सरगना सकूर मोहम्मद और इस गिरोह के शेष सदस्यों हिमांशु जैन, शिव लाल और संजय गोदारा को गिरफ्तार किया। उनके कब्जे से 500 मूल्य वर्ग के लगभग 11,00,000 के बराबर जाली भारतीय नोट भी बरामद कर लिए।आगे जांच करने पर जाली भारतीय नोट प्रिंट करने के लिए उपयोग किए जाने वाले उपकरण 02 लैपटॉप, 03 कलर प्रिंटर, 02 लैमिनेशन मशीन, 02 पेन ड्राइव, पेपर शीट, स्याही व रसायन सहित एफ.आई.सी.एन पर संख्या 500 अंकित करने के लिए उपयोग किए जाने वाले फ्रेम किराए के घर पंचशील नगर, अजमेर, राजस्थान से बरामद किए गए। इसके अलावा, जाली भारतीय मुद्रा नोटों के परिचालन में सभी आरोपियों द्वारा इस्तेमाल किए गए मोबाइल हैंडसेट व सिम कार्ड, एक क्रेटा व स्विफ्ट कार भी जब्त की गई।

पूछताछ में पता आरोपी सकूर मोहम्मद बीए पास और पेशे से पेंटर था व प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी के लिए वर्ष 2015 में अजमेर आया था । वह गिरोह का सरगना है। उसने हाल ही में ओटीटी प्लेटफॉर्म “अमेज़ॅन प्राइम वीडियो” पर प्रसारित की गई वेब सीरीज “फर्ज़ी” देखी और उससे प्रभावित होकर जाली भारतीय नोट छापने के लिए प्रेरित हुआ। इसके बाद उसने आरोपी शिव लाल और राधे के साथ अजमेर, राजस्थान में जाली नोट छापने के लिए एक सेटअप स्थापित किया। एक चित्रकार होने के नाते, उसे स्याही का अच्छा ज्ञान था और वो नोट छापने में उनका इस्तेमाल करता था |दूसरा आरोपी शिव लाल जिसने ग्रेजुएशन की पढ़ाई बीच में ही छोड़ वह एन.सी.सी सी-सर्टिफिकेट धारक भी हैं। वह प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी के लिए वर्ष 2011 में अजमेर आया था । कर्ज़ से निकलने व अधिक पैसे कमाने के लिए उसने आरोपी सकूर मोहम्मद और राधे के साथ मिलकर साजिश रची। उन्होंने एक मकान अजमेर, राजस्थान में किराए पर लिया, जहां वह अपने सहयोगियों के साथ जाली नोट की छपाई और कटिंग का कार्य करते थे ।तीसरा आरोपी हिमांशु जैन ग्रेजुएट है। बाद में, उसने अकाउंट्स (टैली) में कंप्यूटर कोर्स किया। वह राजस्थान के सागवाड़ा में विभिन्न दुकानों पर एकाउंटेंट के रूप में काम करता है। वह वर्ष 2011 में सागवाड़ा में अपनी ई-मित्र दुकान पर आरोपी लोकेश यादव के संपर्क में आया। यह वह व्यक्ति है, जिसे सकूर मोहम्मद और लोकेश यादव के साथ ग्राहकों की खोज करने और नकली नोटों के सौदे को अंतिम रूप देने का काम सौंपा गया था।चौथे आरोपी लोकेश यादव ने बीए व बीएड में स्नातक किया है। यह राजस्थान में ग्रेड-3, शिक्षक के रूप में चयनित हुआ था। वह राजस्थान के डूंगरपुर के सागवाड़ा में ई-मित्र की दुकान भी चलाता हैं। वह हिमांशु जैन का करीबी है और उसे जाली नोटों की आपूर्ति करने का काम सौंपा गया था।पांचवा आरोपी संजय गोदारा राजस्थान से 12वीं तक पढ़ा है और प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी के लिए वर्ष 2018 में अजमेर आया था। वह आरोपी शिव लाल का सगा भाई है और उसे जाली नोटों की मुद्रित शीट काटने का काम सौंपा गया था।

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