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Police commissionrate ghaziabad: जहां प्रदेश में सबसे ज्यादा अपराध, वहां जमीन न मिलने से 13 नए थानों का प्रस्ताव अधर में, कैसे लगे अपराध पर लगाम

संवाददाता

गाजियाबाद। प्रदेश के थानों में हर साल औसतन 368 एफआइआर दर्ज की जाती हैं, लेकिन गाजियाबाद कमिश्नरेट में यह आंकड़ा 798, यानी दो गुने से भी अधिक हैं। गाजियाबाद के थानों में प्रदेश में सबसे ज्यादा केस दर्ज होते हैं।

साल 2022 में गाजियाबाद कमिश्नरेट में 19,954 एफआइआर दर्ज हुई थीं, जबकि प्रदेश में शीर्ष राजधानी लखनऊ में 20,870 रिपोर्ट दर्ज हुई थीं। अपराध के मामले में गाजियाबाद राजधानी से ज्यादा पीछे नहीं है, लेकिन लखनऊ के मुकाबले यहां थाने आधे से भी कम हैं। 13 नए थाना बनाए जाने के लिए प्रस्ताव शासन को भेजा था, लेकिन पांच माह में एक भी थाने के लिए जमीन नहीं मिल पाई है।

55 लाख के करीब है शहर की अनुमानित आबादी

प्रदेश के ग्रामीण क्षेत्र में 75 हजार और शहरी क्षेत्र में 50 हजार की जनसंख्या पर थाना होना चाहिए। कमिश्नरेट बनने के बाद गाजियाबाद महानगर घोषित हो गया है। इसलिए यहां 50 हजार की आबादी पर एक थाना होना चाहिए। शहर की अनुमानित आबादी 55 लाख के करीब है।

यहां सिर्फ 25 थाने हैं, जो आबादी के मुकाबले एक चौथाई से भी कम हैं। इसी कारण गाजियाबाद में हर थाने में दर्ज होने वाली एफआइआर की औसत संख्या प्रदेश के दो गुने से अधिक है। थाना स्वीकृत करने के लिए 1600 वर्ग मीटर जमीन होनी चाहिए। इन सभी थानों के लिए 20,800 वर्ग मीटर जमीन की जरूरत है।

इन थानों के लिए चाहिए जमीन
साइबर थाना
नंदग्राम थाना क्षेत्र से राज नगर एक्सटेंशन थाना
सिहानी गेट थाना क्षेत्र से पटेल नगर थाना
कवि नगर थाना क्षेत्र से अवंतिका थाना
खोड़ा थाना की नेहरू गार्डन चौकी व अन्य क्षेत्र को दामोदर विहार थाना
विजय नगर थाना क्षेत्र से सिद्धार्थ विहार थाना
साहिबाबाद थाना क्षेत्र से हरनंदी थाना व रामप्रस्थ पार्क थाना
इंदिरापुरम थाना क्षेत्र से नीति खंड थाना व वसुंधरा थाना
मुराद नगर थाना क्षेत्र से रावली थाना
मुराद नगर थाना क्षेत्र व मोदी नगर के पश्चिम क्षेत्र से गंगनहर थाना
मोदी नगर थाना क्षेत्र और निवाड़ी थाना क्षेत्र से गोविंदपुरी थाना

चौकी में शुरू किए जाएं थाने
क्रासिंग रिपब्लिक, नंदग्राम, कौशांबी, टीला मोड़ और शालीमार गार्डन में समेत कई थाने पूर्व में चौकी की इमारत में ही शुरू कर दिए गए थे। सेवानिवृत्त डिप्टी एसपी एलएस मौर्य का कहना है कि थाना स्वीकृत होने पर पुलिसकर्मियों की संख्या के साथ संसाधन में भी इजाफा होता है।

फरियादियों की मदद के लिए पहली सीढ़ी भी थाना ही है। गाजियाबाद में थानों की संख्या कम है। इसीलिए अधिकांश पीड़ितों को उच्चाधिकारियों से गुहार लगानी पड़ती है। थानों की संख्या बढ़ेगी तो कानून-व्यवस्था मजबूत होगी और लोग अधिक सुरक्षित महसूस करेंगे। इसीलिए पूर्व की तरह जहां भी चौकी का भवन उपलब्ध हो, वहां शासन को तुरंत थाना की स्वीकृति देकर इसे शुरू कराना चाहिए।

सातों कमिश्नरेट में दर्ज एफआइआर का आंकड़ा
कमिश्नरेट प्रति थाना औसत रिपोर्ट कुल थाने कुल एफआइआर

गाजियाबाद 798 25 19954

गौतमबुद्ध नगर 477 27 12890

प्रयागराज 421 43 18117

लखनऊ 393 53 20870

वाराणसी 296 32 9493

आगरा 293 48 14100

कानपुर नगर 284 53 15083

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