नई दिल्ली। भगवान महावीर स्वामी के 2550 वें निर्वाण महोत्सव वर्ष की सार्थकता तभी है जब हम उनके संदेशों को जन जन के मन तक पहुंचायें। यह उद्गार गच्छाधिपति आचार्य श्री धर्मधुरंधर जी महाराज ने आज यहां मासिक संक्रांति के अवसर पर व्यक्त किए।
आचार्य श्री ने कहा कि समस्याएं चाहे व्यक्तिगत हो पारिवारिक हो, सामाजिक हो, राष्ट्रीय हो चाहे वैश्विक हो महावीर स्वामी ने हर समस्या का समाधान दिया है। उन्होंने कहा कि अगर हम भगवान महावीर स्वामी की वाणी और संदेशों में से अपनी समस्या का समाधान खोजें तो हर समस्या का समाधान मिल सकता है।
आचार्य श्री धर्मधुरंधर जी ने कहा कि आज सम्पूर्ण विश्व में जिस तरह से हिंसा और युद्ध का बोलबाला बढ़ रहा है तथा आए दिन नई नई समस्याएं सिर उठा रही हैं उनका समाधान आसानी से हो सकता है बस जरूरत है तो भगवान महावीर स्वामी के संदेशों को जन जन और लोगों के मन तक पहुंचाने की। उन्होंने कहा कि अपने धर्म को निभाने और उसकी अच्छाइयों को बताने का अधिकार तो सबको है लेकिन दूसरे धर्म के प्रति असहिष्णु बनने का अधिकार आपको किसने दिया। अपने धर्म की अच्छाइयां अवश्य देखें लेकिन दूसरे धर्म के प्रति नफ़रत और हिंसा फैलाने का आपको कोई अधिकार नहीं है।
आचार्य श्री ने कहा कि मंदिर हमारी संस्कृति की पहचान है यदि हमें अपनी संस्कृति को सुरक्षित रखना है तो अपने मंदिरों और धर्मायतनों को सुरक्षित बचा कर रखना होगा लेकिन जिस तरह से आज मंदिरों और धर्मायतनों पर हमले हो रहे हैं उनके मूल स्वरूप को बदलने की साजिशें रची जा रही हैं वह एक चिंतनीय विषय है। उन्होंने कहा कि जहां पर भी किसी जाति या धर्म के लोगों का बाहुल्य होता है वे अल्पसंख्यक दूसरे धर्म के मंदिरों पर कब्जा कर या तो उसका स्वरूप बदल देते हैं इसे रोकना होगा।
आचार्य श्री धर्मधुरंधर जी ने कहा कि यदि समय रहते इस तरह की घटनाओं पर रोक नहीं लगाई गई तो वह दिन दूर नहीं जब इस देश की संस्कृति और धर्मनिरपेक्षता की भावना को गहरा आघात पहुंचेगा। उन्होंने कहा कि जिस देश की संस्कृति अच्छुण और सुरक्षित रहती है तो उस देश की सीमाएं भी सुरक्षित रहती हैं। इसलिए हम सबकी जिम्मेदारी और कर्तव्य है कि अपने देश की महान व दूसरों के लिए अनुकरणीय संस्कृति को सुरक्षित रखने के लिए स्वयं को समर्पित कर दें।