संवाददाता
नई दिल्ली। दिल्ली पुलिस की इंटरस्टेट क्राइम ब्रांच टीम ने दिल्ली प्रदूषण नियंत्रण समिति (डीपीसीसी) प्रमाण पत्र दिलवाने के नाम पर ठगी करने वाले एक गिरोह का परदाफाश कर ठगी के मास्टरमाइंड को गिरफ्तार किया है। उसके कब्जे से 12 फर्जी डीपीसीसी प्रमाण पत्र, 01 लैपटॉप और अपराध में इस्तेमाल 02 मोबाइल फोन बरामद किए गए है।
डीसीपी अमित गोयल ने बताया कि 23 जुलाई को प्रीतमपुरा स्थित गोरव स्वीट्स के मालिक ने शिकायत की थी कि उनका मिठाई बनाने का कारखाना नारायणा औद्योगिक क्षेत्र, दिल्ली में है। उसे दिल्ली प्रदूषण नियंत्रण समिति (डीपीसीसी) प्रमाण पत्र की आवश्यकता थी। वह मनीष नामक व्यक्ति से मिला, जिसने दावा किया कि वह उसे दिल्ली प्रदूषण नियंत्रण समिति (डीपीसीसी) प्रमाण पत्र दिलवा सकता है। मनीष ने फीस के नाम पर 2,01,600 ले लिए व 04 डीपीसीसी प्रमाण दे दिए। बाद में वे सभी डीपीसीसी प्रमाण पत्र फर्जी पाए गए। अपराध शाखा ने मामला दर्ज कर जांच पडताल शुरू कर दी।
एसीपी रमेश चंद्र लांबा की देखरेख में इंसपेक्टर सतेन्द्र मोहन और महिपाल की टीम का गठन किया गया। जिसमे एसआई सुरेंद्र राणा, गौरव, अंकित, एएसआई यतंदर मलिक, हैड कांस्टेबल नवीन, सुनील, तरुण, विनोद और नितेश शामिल थे। एसआई गौरव को इस दौरान मुखबिर से सूचना मिली कि आरोपी ग्रेटर नोएडा, सेक्टर-03, उत्तर प्रदेश में छिपा हुआ है। अगर समय पर कार्यवाही की जाये तो उसे वहाँ से पकड़ा जा सकता है। सूचना के आधार पर टीम ने यूनिटेक हाइट्स, ग्रेटर नोएडा, सेक्टर-3, उत्तर प्रदेश में जाल बिछाया गया और आरोपी मनीष कुमार पोद्दार को पकड़ लिया गया।
पूछताछ के दौरान, आरोपी मनीष कुमार पोद्दार ने खुलासा किया कि उसने पूरी साजिश रची और नकली डीपीसीसी प्रमाण पत्र तैयार करने के लिए लैपटॉप व अन्य उपकरणों का इस्तेमाल किया। वह व्यापार संघों का दौरा करता था जहां वह विभिन्न व्यापारियों/कारखाने/दुकान मालिकों के संपर्क में आया जो आसानी से डीपीसीसी प्रमाण पत्र प्राप्त करना चाहते थे। उसने खुद को कमीशन एजेंट बताकर मौके का फायदा उठाया और उन्हें फर्जी डीपीसीसी प्रमाणपत्र दिये। उसने कई व्यापारियों को धोखा दिया। अब तक ऐसे 06 पीड़ितों की पहचान की जा चुकी है, जिन्हें उसने फर्जी डीपीसीसी प्रमाण दिये थे। आरोपियों से 12 फर्जी डीपीसीसी प्रमाण पत्र। फर्जी डीपीसीसी प्रमाण पत्र बनाने के लिए इस्तेमाल किए गए 01 लैपटॉप और 02 मोबाइल फोन बरामद किए गए हैं।
यूनिटेक हाइट्स, सेक्टर-03, ग्रेटर नोएडा, उत्तर प्रदेश, का रहने वाला आरोपी मनीष कुमार पोद्दार बी.टेक. ग्रेजूएट है। उसने गाजियाबाद, उत्तर प्रदेश के प्रतिष्ठित कॉलेज से एमबीए भी किया है। एमबीए के बाद उसने एचएसबीसी बैंक में सहायक प्रबंधक के रूप में काम किया और उसे बार्कलेज बैंक में भी नई नौकरी मिली। बाद में उसने नौकरी छोड़ दी और नारायणा, दिल्ली और उद्योग विहार, गुरुग्राम, हरियाणा में छोटे उद्योगों को सीवरेज ट्रीटमेंट प्लांट प्रदान करने के लिए अपनी फर्म शुरू की। इस दौरान उसे प्रदूषण प्रमाण पत्र और इसे प्राप्त करने की औपचारिकताओं के बारे में पता चला। वह खुद को कमीशन एजेंट बताकर लोगों को फर्जी डीपीसीसी प्रमाणपत्र देने लगा व ठगी करने लगा।