सुनील वर्मा
बरेली। बरेली में पुराना शहर के मोहल्ला जोगी नवादा में कांवड़ यात्रा के दौरान रविवार को एक बार फिर बवाल हो गया। पुलिस ने कांवड़ियों पर लाठीचार्ज कर दिया। इसे शासन ने गंभीर मानकर एसएसपी प्रभाकर चौधरी को हटा दिया। उन्हें 32वीं पीएसी (लखनऊ) भेजा गया है। सीतापुर के एसपी घुले सुशील चंद्रभान नए एसएसपी होंगे। इधर, बारादरी थाने के इंस्पेक्टर अभिषेक सिंह और जोगी नवादा चौकी प्रभारी अमित कुमार को निलंबित कर दिया गया है।
सुबह से चल रही रस्साकसी के बीच शाम पांच बजे एसएसपी प्रभाकर चौधरी के नेतृत्व में पुलिस ने पहले सख्ती दिखाते हुए बलपूर्वक हटाया, फिर लाठीचार्ज करना पड़ा। एसएसपी का दावा था कि अराजकतत्वों ने हवाई फायरिंग की, इस कारण लाठीचार्ज करना पड़ा। डीएम शिवाकांत द्विवेदी की मौजूदगी में हुए लाठीचार्ज में कांवड़ियों समेत कुछ महिलाएं भी घायल हुईं। कुछ लोगों को हिरासत में लेकर डीजे जब्त कर लिया गया।
कांवड़ जत्थे में शामिल डीजे पर बजाए जा रहे गानों को लेकर पुलिस के आपत्ति करने से यह पूरा बवाल हुआ। कांवड़ियों पर लाठीचार्ज को सपा व दूसरी विपक्षी पार्टियों के मुद्दा बनाने पर शासन गंभीर हुआ।
अराजकतत्व ने की फायरिंग- एसएसपी
एसएसपी प्रभाकर चौधरी ने कहा कि एक पक्ष को समझा दिया गया था। वह लोग गलियों में 150 मीटर अंदर चले गए थे। कांवड़ यात्रा निकलने से पहले उसमें शामिल अराजक तत्वों ने हवाई फायरिंग कर दी। तब लाठी चलवाकर लोगों को खदेड़ना पड़ा। स्थिति नियंत्रण में है। मौके पर फोर्स मौजूद है। पूरे घटनाक्रम का वीडियो व फुटेज मौजूद है। इसके आधार पर कार्रवाई की जाएगी।
पिछले रविवार को भी हुआ था बवाल
पिछले रविवार को जोगी नवादा में कांवड़ यात्रा के दौरान दो समुदाय के लोग आमने सामने आ गए थे। पत्थरबाजी भी हुई। इस रविवार को चक महमूद से इसी इबादत स्थल के पास से होकर कांवड़ियों का जत्था निकाला जाना था। सुबह नौ बजे से यहां तनातनी की माहौल था। कांवड़िये डीजे के साथ इसी रास्ते से निकलने पर अड़ गए। वहीं दूसरी समुदाय डीजे को साथ ले जाने को नई परंपरा बताकर विरोध करने लगा।
कौन हैं प्रभाकर चौधरी?
प्रभाकर चौधरी 2010 बैच के आईपीएस अधिकारी हैं। वे अंबेडकरनगर जिले के रहने वाले हैं। उनके पिता का नाम पारस नाथ चौधरी है। प्रभाकर चौधरी ने अपने पहले ही प्रयास में सिविल सर्विसेज की परीक्षा में सफलता हासिल की। उन्हें आईपीएस के रूप में चुना गया। यूपी कैडर में उन्हें तैनाती दी गई। प्रभाकर चौधरी ने देवरिया, बिजनौर, बलिया, बुलंदशहर और कानपुर देहात में एसपी के पद पर काम किया है।
प्रभाकर चौधरी वाराणसी, मुरादाबाद, मेरठ और आगरा में एसएसपी का पदभार संभाल चुके हैं। बरेली के एसएसपी पद पर मार्च में उनका ट्रांसफर हुआ था। उन्होंने तब कहा था कि यह उनका 19वां जिले में तैनाती है। इससे पहले मेरठ के एसएसपी थे, वहां उन्होंने अपना एक साल का कार्यकाल पूरा किया था। अन्य जिलों में प्रभाकर चौधरी सिर्फ छह से सात महीने का ही कार्यकाल पूरा कर पाए।
काम करने वाले अधिकारी के रूप में पहचान
प्रभाकर चौधरी को काम करने वाले अधिकारी के रूप में पहचान मिली हुई है। वह अपने अलग अंदाज के लिए जाने जाते हैं। उनका काम करने का स्टाइल भी बिल्कुल अलग है। ईमानदार छवि के कारण उन्हें अलग पहचान मिली हुई है। 15 जून 2021 को प्रभाकर चौधरी को मेरठ एसएसपी के पद पर तैनात किया गया था। इस दौरान वे दो दिनों की छुट्टी पर चले गए। 17 जून तक वे मेरठ को छानते रहे। फिल्मी स्टाइल में उन्होंने पूरे शहर का जायजा लिया। पुलिसिया कमजोरियों को देखा। उसके आधार पर अपनी योजना बनाकर काम करने लगे।
सादगी के लिए भी मिली पहचान
प्रभाकर चौधरी की सादगी के भी सभी कायल हैं। पुलिसिया महकमें अधिकारी उनके कानपुर देहात एसपी की तैनाती का किस्सा सुनाते हैं। देवरिया से ट्रांसफर के बाद उन्होंने सरकारी गाड़ी नहीं ली। बस पकड़ा और कानपुर देहात पहुंच गए। बस स्टैंड पर उतरे। टेंपो पकड़ा और एसपी आवास पर पहुंच गए। गार्डों ने पूछना शुरू कर दिया, कौन हैं, किनसे मिलना है? जवाब में अपना परिचय दिया तो गार्ड हैरान रह गए। पीठ पर बैग लादे, बिना सुरक्षा या गाड़ी के उन्हें देखकर हर कोई उन्हें हैरत भरी नजरों से देख रहा था।
गार्ड जब नहीं माना तो उन्होंने अपना आईडेंटिटी कार्ड दिखाया। इसके बाद बंगले का गेट खोला गया। इसके बाद प्रभाकर चौधरी आवासीय ऑफिस में पहुंचे। स्टेनो के पास जाकर अपना सीयूजी सिम मांग लिया। स्टेनो का वही सवाल था, कौन हैं, सिम क्यों मांग रहे। जवाब में कहा, मैं प्रभाकर चौधरी, नया एसपी। यह सुनते ही पुलिसकर्मियेां में हड़कंप मच गया था।
मेरठ में जली कोठी इलाके में दशकों से चोरी की गाड़ियों को काटने के खेल में शामिल माफियाओं को गिरफ्तार कर कबाड़ के कारोबार पर तालाबंदी लगाने वाले प्रभाकर चौधरी को शासन ने कई बार ऐसे जिलों में विशेष रुप से तैनाती दी जहां दूसरे पुलिस अधिकारी कानून व्यवस्था संभालने में असफल हो गए थे। लेकिन ईमानदार छवि के और बिना किसी दबाव में आकर काम करने के लिए चर्चित इस आईपीएस अफसर को बार-बार सिस्टम की लाचारी का शिकार होना पड़ा है।