संवाददाता
नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली सरकार को कड़ी फटकार लगाई है। सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली सरकार से पिछले 3 साल का बजट मांगा है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि आपके पास विज्ञापन के लिए पैसा है। आपके पास परियोजनाओं के लिए पैसा क्यों नहीं है। सुप्रीम कोर्ट ने रीजनल रैपिड ट्रांसपोर्ट सिस्टम (आरआरटीएस) परियोजना के लिए धन उपलब्ध कराने में असमर्थता व्यक्त करने के लिए इसकी आलोचना की। न्यायमूर्ति संजय किशन कौल और न्यायमूर्ति सुधांशु धूलिया की दो-न्यायाधीश पीठ ने आम आदमी पार्टी के नेतृत्व वाली दिल्ली सरकार को पिछले तीन वित्तीय वर्षों में आरआरटीएस परियोजना के विज्ञापनों पर अपने खर्च का विस्तृत विवरण प्रस्तुत करने का निर्देश दिया।
गौरतलब है कि शीर्ष अदालत ने 21 अप्रैल 2023 को एक आदेश में दिल्ली सरकार को दस दिनों के भीतर परियोजना के लिए 500 करोड़ रुपये जमा करने का निर्देश दिया था। हालांकि, 3 जुलाई को दिल्ली सरकार ने धनराशि जमा करने में असमर्थता जताई थी। अदालत ने दिल्ली-मेरठ क्षेत्रीय रैपिड ट्रांसपोर्ट सिस्टम (आरआरटीएस) परियोजना के कार्यान्वयन में देरी पर आप के नेतृत्व वाली दिल्ली सरकार की आलोचना की। केंद्र सरकार और उत्तर प्रदेश सरकार ने पहले ही वह धनराशि उपलब्ध करा दी है जो उन्हें परियोजना के लिए जमा करनी थी। हालाँकि, दिल्ली सरकार ने परियोजना के लिए भुगतान करने में अनिच्छा दिखाई है और दावा किया है कि केंद्र को लागत वहन करनी चाहिए।
अदालत ने सरकार से सवाल किया कि उसने विज्ञापनों के लिए धन आवंटित करने पर विचार करते हुए एक परियोजना के लिए बजट में धन का प्रावधान क्यों नहीं किया जो सुचारू परिवहन सुनिश्चित करेगा। अदालत ने कहा कि यदि आपके पास विज्ञापनों के लिए पैसा है, तो आपके पास उस परियोजना के लिए पैसा क्यों नहीं है जो सुचारू परिवहन सुनिश्चित करेगी? इसके अलावा, अदालत ने दिल्ली सरकार को पिछले तीन वित्तीय वर्षों में आरआरटीएस के विज्ञापनों पर खर्च किए गए धन का विस्तृत ब्योरा देने का निर्देश दिया।