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छत्‍तीसगढ़ कैडर के 1988 बैच के आईपीएस रवि सिन्‍हा बने रॉ के नए मुखिया

संवाददाता

नई दिल्‍ली केंद्रीय मंत्रिमंडल ने वरिष्ठ आईपीएस अधिकारी रवि सिन्हा को देश की खुफिया एजेंसी रॉ का नया चीफ नियुक्त करने की मंजूरी दे दी है। रवि सिन्हा, सामंत कुमार गोयल की जगह लेंगे, जिनका रॉ चीफ का कार्यकाल 30 जून को पूरा हो रहा है। रवि सिन्हा का कार्यकाल दो साल के लिए होगा। रवि सिन्हा फिलहाल कैबिनेट सचिवालय में विशेष सचिव के पद पर सेवा दे रहे हैं। कैबिनेट की अपॉइंटमेंट कमेटी ने सिन्हा के नाम को मंजूरी दी है।

रवि सिन्‍हा जिन सामंत गोयल का स्‍थान लेंगे उन्‍हें जून 2019 में दो साल के लिए रॉ प्रमुख नियुक्त किया गया था। बाद में उन्हें 2021 और जून 2022 में एक-एक साल का दो बार सेवा विस्तार दिया गया था। सामंत गोयल ने पाकिस्तान के बालाकोट में फरवरी 2019 के सर्जिकल स्ट्राइक की योजना बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी। सर्जिकल स्ट्राइक पुलवामा आतंकी हमले का बदला लेने के लिए की गई थी। पुलवामा हमले में केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल के 40 जवान शहीद हो गए थे।

रवि सिन्हा मूलत: बिहार के भोजपुर जिले से आते हैं। दिल्ली के सेंट स्टीफेंस कॉलेज से पढ़ाई करने वाले रवि सिन्हा ने 1988 में यूपीएससी की परीक्षा पास की और इन्हें भारतीय पुलिस सेवा के अधिकारी के तौर पर मध्य प्रदेश काडर मिला। वर्ष 2000 में तत्कालीन अटल बिहारी वाजपेयी सरकार ने मध्यप्रदेश को काटकर छत्तीसगढ़ राज्य का निर्माण किया, तो रवि सिन्हा तकनीकी तौर पर छत्तीसगढ़ काडर में चले गये, लेकिन छत्तीसगढ़ की स्थापना के महज कुछ महीनों के अंदर ही वो रॉ के अधिकारी के तौर पर दिल्ली में केंद्रीय प्रतिनियुक्ति पर आ गये।

देश की अंतरराष्ट्रीय मामलों की खूफिया एजेंसी रॉ से रवि सिन्हा का लंबे समय से जुड़ाव रहा है। रवि सिन्हा रॉ की ऑपरेशनल विंग के प्रमुख थे। सिन्हा को भारत के पड़ोसी देशों के मामले में विशेषज्ञ माना जाता है। वह जम्मू कश्मीर में भी सेवाएं दे चुके हैं और उत्तर पूर्वी राज्यों के साथ ही देश के अन्य हिस्सों में भी तैनात रह चुके हैं। सिन्हा ने ऐसे समय रॉ चीफ का पद संभालेंगे, जब दुनिया के कई देशों में सिख कट्टरपंथ तेजी से उभर रहा है। ऐसे में सिन्हा के सामने इससे निपटने की चुनौती होगी

रवि सिन्हा को खुफिया एजेसियों में काम करने का लंबा अनुभव है। उन्‍हें जासूसी की दुनिया में बेहद सम्मान के रूप में देखा जाता हैं। जम्मू-कश्मीर, पूर्वोत्तर और वामपंथी उग्रवाद के पड़ोसी मुल्‍कों में जासूसी की उनकी समझ को सभी लोहा मानते हैं।

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