संवाददाता
गाज़ियाबाद। राष्ट्रव्यापी स्तर पर सीमावर्ती क्षेत्रों में लिए कार्य करने वाली गैर-सरकारी संगठन सीमा जागरण मंच ने रविवार को गाज़ियाबाद के कौशांबी स्थित रेडिशन ब्लू होटल में ‘सीमा क्षेत्र का एकीकृत विकास – एनजीओ की भूमिका’ विषय पर ‘मंथन 2023’ कार्यक्रम का आयोजन किया जिसमें 150 से अधिक एनजीओ के प्रतिनिधियों समेत 300 से ज़्यादा लोगों ने भाग लिया। इस कार्यक्रम के मुख्य अतिथि केंद्रीय कानून मंत्री अर्जुन राम मेघवाल जी रहे जिन्होंने मंथन कार्यक्रम का उद्घाटन किया।
कार्यक्रम की शुरुआत में सीमा जागरण मंच के दिल्ली प्रांत के अध्यक्ष लेफ्टिनेंट जनरल नितिन कोहली जी ने स्वागत भाषण दिया । उन्होंने कहा कि आज सीमावर्ती क्षेत्रों में सबसे बड़ी चुनौती घुसपैठ, मादक पदार्थों की तस्करी और धर्मांतरण से जुडी हुई हैं। इसके पीछे कारण है सीमावर्ती क्षेत्रों में संसाधनों की कमी और वहां के लोगों की आवश्यकताओं की पूर्ति नहीं होना। देश विरोधी तत्व रुपयों का लालच देकर सीमावर्ती क्षेत्रों में रहने वाले मासूम लोगों को धोखा देते हैं। हमें ऐसे ही देश विरोधी तत्वों के खिलाफ लड़ना है और उन्हें रोकना है। सीमा जागरण मंच निरंतर ऐसी गतिविधियों की रोकथाम के लिए कार्य करने में जुटा हुआ है। सीमा जागरण मंच सीमावर्ती क्षेत्रों में शिक्षा केन्द्रों को संचालित करता है, स्वास्थ्य से जुड़ी गतिविधियां करता है जैसे उन क्षेत्रों में कई एंबुलेंस की व्यस्था करना इत्यादि। आज सीमावर्ती क्षेत्रों के लोगों की आवाज़ जन-जन तक पहुंचे के लिए जन जागरण की अत्यधिक आवश्यकता है। समाज के हर वर्ग सीमावर्ती क्षेत्रों के हितों की रक्षा के लिए आगे बढ़ने की आवश्यकता है। जब हम एक साथ काम करेंगे तभी तो होगा सुरक्षित सीमा समर्थ भारत।
इसके बाद कानून मंत्री अर्जुन राम मेघवाल ने कार्यक्रम में आए लोगों को संबोधित किया। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सीमावर्ती क्षेत्रों को लेकर दूरगामी सोच है, उनका कहना है कि सीमावर्ती क्षेत्रों को मजबूत करने के लिए वहां का इंफ्रास्ट्रक्चर मजबूत होना बेहद जरूरी है। कानून मंत्रियों कहा कि जम्मू कश्मीर में जो समस्याएं थी उसकी देन स्वतंत्रता के पश्चात शासन करने वाले लोग थे। उस दौरान की सरकारों ने जम्मू कश्मीर को पहाड़ी क्षेत्र बताकर वहां का विकास करने में रुचि नहीं दिखाई, जम्मू कश्मीर की बजाय अन्य राज्यों के विकास पर ज्यादा ध्यान दिया गया। जब जम्मू कश्मीर में अनुच्छेद 370 लागू था उस दौरान वहां के लोग खुद को आतंकियों के चलते खुद को असुरक्षित महसूस करते थे लेकिन आज अनुच्छेद 370 हटने के बाद इस सीमावर्ती राज्य के लोग खुद को सुरक्षित महसूस करते हैं। वहां आतंकवाद न के बराबर है। सीमा जागरण मंच द्वारा मंथन कार्यक्रम का आयोजन करना एक अच्छी पहल है जिससे समाज में सीमावर्ती क्षेत्रों में जो समस्याएं है जो उसको दूर करने में सहायक होंगी।
कानून मंत्री ने कहा सीमावर्ती क्षेत्र प्राकृतिक रूप से भी काफी सुंदर हैं चाहे जम्मू कश्मीर, लद्दाख हो या पूर्वोत्तर भारत के राज्य। हमें सीमावर्ती राज्यों में पर्यटन को बढ़ावा देना चाहिए। कई राज्यों में ऐसे अद्भुत जगह हैं जिसकी सुंदरता आपको मोहित कर देगी। सीमा जागरण मंच इसी से सम्बंधित एक अनूठा कार्य कर रहा है जिसके लिए संगठन प्रशंसनीय योग्य है। सीमा जागरण मंच वर्ष में 2-3 बार सीमा दर्शन यात्रा के ज़रिए अपने कार्यकर्ताओं को सीमावर्ती क्षेत्रों में यात्रा करवाते हैं जिससे वहां की परिस्थिति का बोध हो सके और वहां पर्यटन को बढ़ावा मिल सके। समाज के अन्य लोगों को सीमावर्ती क्षेत्रों में पर्यटन को बढ़ावा देने में अपना योगदान देना चाहिए।
कार्यक्रम में कई अलग-अलग सत्र आयोजित किए गए जिसमें प्रमुख रूप से सीमावर्ती क्षेत्रों से पलायन, सीमावर्ती क्षेत्रों में पर्यटन, जनसांख्यिकीय बदलाव पर शोध, खतरों और उपायों, बुनियादी ढांचे के विकास, कृषि विकास और पर्यावरणीय चुनौतियों जैसे बिंदुओं पर गहनता से चर्चा की गई और इस पर समन्वयक रूप से कार्य करने की योजना बनी। इसके अलावा कई एनजीओ के प्रतिनिधियों ने सीमा जागरण मंच के मंथन 2023 के जरिए विभिन्न पब्लिक सेक्टर यूनिट के सीएसआर प्रमुखों के सामने प्रस्तुतिकरण देकर आपसी समन्वय स्थापित करने का प्रयास किया। सीमा जागरण मंच की मंथन के ज़रिए सीमावर्ती क्षेत्रों की सुरक्षा के लिए शुरू की गई यह पहल निश्चित रूप से उन चुनौतियों में उभरती चुनौतियों की पहचान करने और समाधान प्राप्त करने में मदद करेगी जो वे सीमा क्षेत्र के विकास के लिए अपनी कार्य योजना को क्रियान्वित कर रहे है।