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गड्डीबाज गिरोह के तीन बदमाश अपराध शाखा के हत्थे चढ़े, कागजों की गड्डी के ऊपर नीचे नोट लगाकर करते थे ठगी

संवाददाता

नई दिल्ली। अपराध शाखा की नॉर्थन रेंज सेकंड टीम ने ठगों के एक गिरोह का पर्दाफाश कर  3 जालसाजो को गिरफ्तार किया हैं।  आरोपियों की पहचान  सरवन, मोहन और शिवा के रूप में हुई है।  इनकी गिरफ़्तारी से दिल्ली में दर्ज धोखाधड़ी के 8 मामलों को सुलझाया गया है।

एएसआई कुलभूषण व हैड कांस्टेबल अजय को ठगी करने वाले गिरोह की गुप्त सूचना मिली थी। गिरोह भोले भाले लोगो को 500 रुपये के आकार में कटे हुए कागज के बंडल जिसके ऊपर एक 500 का असली नोट लगा कर दिखाते हैं और उनके गहने और नकदी की ठगी कर लेता है।

डीसीपी अपराध शाखा  विचित्र वीर सिंह ने बताया सहायक आयुक्त नरेंद्र सिंह की निगरानी में निरीक्षक संदीप तुषीर और संदीप स्वामी के नेतृत्व में टीम का गठन किया गया। जिसमें उप-निरीक्षक प्रदीप दहिया,  सतेंद्र दहिया, संजीव गुप्ता,  सुखविंदर, सहायक उप-निरीक्षक अशोक,  कुलभूषण,  सुनील, अनिल, प्रवीर, पहैड कॉन्स्टेबल प्रदीप, अजय,  सचिन, हैड कॉन्स्टेबल संजीव,  कपिल,  राज,  नवीन, महिला हैड कॉन्स्टेबल सीमा, कॉन्स्टेबल कृष्णन, विशाल डबास और सुमित शामिल थे।

टीम ने मिली सूचना के आधार पर सुभाष नगर के पास जाल बिछाया और एक आरोपी सरवन, निवासी शनि बाजार रोड, उत्तम नगर, दिल्ली को पकड़ लिया। पूछताछ पर, आरोपी सरवन ने खुलासा किया कि वह ” गड्डीबाज” कहे जाने वाले गिरोह का सक्रिय सदस्य है। वे निर्दोष लोगों को ठगते थे। इसके अलावा उसने दिल्ली में दर्ज 4 मामलों में अपनी संलिप्तता स्वीकार की। आगे की पूछताछ में, उसने इसी तरह के अपराध में शामिल अन्य आरोपियों के नामों का खुलासा किया।

इसके बाद, दो और आरोपी व्यक्तियों मोहन, 32 वर्ष, और शिवा, 22 वर्ष को भी गिरफ्तार किया। ये दोनों थाना मालवीय नगर में दर्ज एक मामले में संलिप्त पाए गए। आरोपी घटना के सीसीटीवी फुटेज में भी कैद हो गए थे व अपराध करते हुए दिखाई दे रहे थे।

पूछताछ पर आरोपियों ने खुलासा किया कि उनके गिरोह को “गड्डीबाज” कहा जाता है क्योंकि वे निर्दोष लोगों को धोखा देने के लिए कागज की गड्डी का इस्तेमाल नोटों के रूप में करते हैं। आरोपी ड्रग एडिक्ट हैं और प्लास्टिक के सामान के  बदले पुराने कपड़े खरीदने का काम करते हैं। इसलिए वे दिल्ली के इलाकों से अच्छी तरह से वाकिफ़ हैं।

गिरोह अक्सर वृद्ध और मध्यम वर्ग के व्यक्तियों विशेषकर महिलाओं को निशाना बनाते है। उनमें से एक शिकार के पास जाता है और उससे कहीं जाने का रास्ता पूछता है। वह यह भी कहता है कि उसे रास्ता नहीं पता है, और वह अपने शिकार को नोटों के नकली बण्डल दिखता है जिसके शीर्ष पर केवल एक असली नोट का उपयोग किया जाता है । तभी पास में खड़ा गिरोह का एक अन्य सदस्य उनके पास आता है और शिकार से कहता है कि यह लड़का पागल लगता है और शिकार से कहता है कि वे नोटों की गड्डी रखें और उसे कुछ पैसे या सोने के गहने दें। लालच में आकर उनका शिकार।अपने जेवरात दे देते हैं और नोटों की गड्डियां ले लेते हैं, जो बाद में नकली पाई जाती हैं।

अभियुक्त व्यक्ति अपने काम में इतने निपुण और तेज़ हैं कि उनका शिकार कुछ समय के लिए अपने दिमाग का उपयोग नहीं कर पाता और अपने गहने आरोपी सदस्यों को सौंप देता है।

तीनों जालसाजों की गिरफ़्तारी से ठगी के करीब 8 मामले पुलिस ने सुलझा लिए हैं।

पूछताछ में पता चला कि आरोपी सरवन नशे का आदी है और अपने नशे का खर्च पूरा करने के लिए वह अपराध करने लगा। जबकि रघुबीर नगर, दिल्ली का रहने वाला मोहन अनपढ़ है,  कोई नौकरी नहीं मिली तो  उसने फेरी लगाने का काम शुरू किया और प्लास्टिक के टब या टोकरी के बदले पुराने कपड़े खरीदने लगा । लेकिन वह ज्यादा नहीं कमा सका तो  उसने अपने दोस्त शिवा के साथ मिलकर गिरोह में काम करना शुरू कर दिया व लोगो के साथ ठगी करने लगा। 

शिवा भी  पुराने कपड़ों के बाजार में काम करता है। उसके मोहल्ले के कई लोग इसी गिरोह में काम करते हैं। वह भी इसी गिरोह में शामिल हो गया और अपराध करने लगा।

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