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गंगा में नहीं बहाये मेडल; खिलाड़ी वापस लौटे !

विनीत शर्मा “नादान”
कवि/लेखक, पत्रकार/स्तंभकार

भारतीय कुश्ती महासंघ अध्यक्ष बृजभूषण शरण सिंह की गिरफ्तारी के लिये आंदोलनरत पहलवान साक्षी मलिक, विनेश फोगाट और बजरंग पुनिया दिल्ली से हठाये जाने के बाद भी अपने आंदोलन की आंच ठंडा पड़ता नहीं दिखाना चाहते। दरअसल जंतर-मंतर पर जब रविवार 28 मई को पहलवानों और उनके समर्थकों ने सुरक्षा घेरा तोड़कर महिला महापंचायत के लिए नए संसद भवन की ओर बढ़ने की कोशिश की थी तब साक्षी मलिक और विनेश फोगाट को दिल्ली पुलिस ने जबरदस्ती बस में डाला था। सम्भवतः इसी सोच के चलते एवं पब्लिक की नज़रों में बने रहने के तथा सहानुभूति अपने पक्ष में बनायें रखने को अगले चरण में ये तीनों ३० भी को गंगा में अपने मैडल बहाने के लिये हरिद्वार पहुंचे थे।सरकार विरोधी समस्त दल भी सरकार पर हमलावर बने रहने के उद्देश्य से इनके साथ खड़ा दिखना चाह रहे हैं जैसे कि शाहीन बाग आंदोलन तथा किसान आंदोलनों को समर्थन देकर खड़े में रहे थे। मगर इसी बीच भारतीय किसान यूनियन (टिकैत गुट) के अध्यक्ष नरेश टिकैत भी हरिद्वार पहुंचे और इन्हें मैडल गंगा में बहाने से रोक दिया। इस पर तीनों पहलवानों ने अपने मैडल नरेश टिकैत को सौंप दिया बताते हैं।

बृजभूषण शरण सिंह 

पहलवानों के इस कदम पर अलग अलग प्रतिक्रियाएं सामने आ रही हैं। कुश्ती संघ अध्यक्ष बृजभूषण सिंह ने कहा कि एक सोची-समझी रणनीति के तहत नरेश टिकैत वहां पहुंचे थे जिन्हें ये पदक दे दिए गये हैं। वहीं कुछ अन्य पहलवानों का कहना है कि इन लोगों को सरकारों द्वारा प्लाट, नौकरी तथा नगद धनराशि भी दी गयी है। यदि ये विरोध स्वरूप मैडल वापस कर रहे हैं तो वह सब कुछ भी लौटा देना चाहिए जो इन मेडल की बदौलत मिली हैं। कुछ जुनियर पहलवान यह भी आरोप लगा रहे हैं कि ये नेशनल खेलने से बचना चाहते हैं और सीधे अंतरराष्ट्रीय एंट्री चाहते हैं इसलिए यह सब कुछ हो रहा है। उनका यह भी कहना है कि साक्षी मलिक के ससुर अपना अखाड़ा चला रहे हैं और बृजभूषण सिंह से इस को लेकर भी कुछ समय से इनकी प्रतिद्वंद्वी हो गयी थी।

दूसरी तरफ कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे, पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी और सीएम अरविंद केजरीवाल ने केंद्र सरकार पर राजनीति करने का आरोप लगाते हुए निशाना साधा।पूर्व क्रिकेटर अनिल कुंबले ने दोनों पक्षों से अपील करते हुए कहा कि उम्मीद है कि आपसी बातचीत से मामला सुलझने की संभावनाएं ज्यादा होती हैं इसीलिए उस पर ही ध्यान देने की आवश्यकता है।

भारतीय किसान यूनियन अध्यक्ष नरेश टिकैत जिन्होंने हरिद्वार पहुंच कर खिलाड़ियों से मेडल अपने पास ले लिए थे, इन पहलवानों से पांच दिन का समय देने के लिए कहा है। टिकैत ने कहा कि दोषियों को बचाया जा रहा है और ये हम होने नहीं देंगे इसीलिए हमने खिलाड़ियों से वक्त मांगा है।नरेश टिकैत ने कहा कि इन खिलाड़ियों ने देश का मान बढ़ाया है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी कहते हैं कि बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ लेकिन ये तो तार तार हो गया। एक सवाल के जवाब में कि जो मैडल बहाने पर उतारू थे आपकी बात कैसे मान गए, उन्होंने कहा कि हमने बच्चों को समझाया कि हम उनका सिर नीचा नहीं होने देंगे।

वहीं बृजभूषण सिंह ने कहा कि ‘जांच होने दीजिए। हमारे अब हमारे हाथ में कुछ नहीं है, अदालत का आदेश हो चुका है और दिल्ली पुलिस अपना काम कर रही है।इन पहलवानों के निवेदन पर एफआईआर हुई और इस पर जांच चल रही है।ये लोग मेडल गंगा में बहाने गए लेकिन किसान नेता नरेश टिकैत को दे आये। मेरा कार्यकाल खत्म हो गया और मैं गलत पाया जाऊंगा तो गिरफ्तार हो जाऊंगा। उन्होंने याद दिलाया क्यों पहले ही कह चुके हैं कि दोनों पक्षों का पॉलीग्राफ टेस्ट कराया जाए जो भी दोषी हो उसके खिलाफ कार्रवाई हो जिस पर इन पहलवानों ने कोई सकारात्मक उत्तर नहीं दिया।

कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने पूछा कि आख़िर सरकार क्यों जिद पर अड़ी है जो इन बेटियों को न्याय क्यों नहीं मिल पा रहा?क्यों उन्हें मां गंगा में मेडल प्रवाह करने जैसा कदम उठाना पड़ा।वहीं कांग्रेस नेता दीपेन्द्र हुड्डा, जिनकी कुश्ती संघ में बृजभूषण सिंह से प्रतिद्वंदिता जग ज़ाहिर है ने कहा कि खिलाड़ी अपने मेडल से बच्चों से भी ज्यादा प्यार करता है। वर्षों की मेहनत के बाद ये मैडल मिलते हैं। खिलाड़ियों ने कितने दुखी मन से इतना कठोर फैसला लिया होगा।

पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने कहा कि मेडल बहाने का पहलवानों का अपना निर्णय है, लेकिन इस पर वो कुछ नहीं कह सकती। परंतु उन्हें जबरदस्ती धरने से क्यों उठाया गया। बृजभूषण शरण सिंह के खिलाफ एफआईआर हुई फिर भी उसे गिरफ्तार नहीं किया गया।
दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर हमला करते हुए कहा कि प्रधानमंत्री क्यों अपना अहंकार नहीं छोड़ पा रहे।
उधर पुलिस सूत्रों के अनुसार पहलवानों ने कहा था कि वे इंडिया गेट पर आमरण अनशन पर बैठेंगे परन्तु किसी भी प्रदर्शन को इंडिया गेट पर धरने की अनुमति नहीं दी सकती क्योंकि राष्ट्रीय स्मारक प्रदर्शनों का स्थल नहीं है और उनके प्रदर्शन के लिए वैकल्पिक स्थानों का सुझाव दिया जा सकता है।

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