सुनील वर्मा
नई दिल्ली/बंगलुरू। कर्नाटक में अगला मुख्यमंत्री कौन होगा इसके लिए दिल्ली में लगातार बैठक हो रही है। इन बैठक का हिस्सा बनने के लिए कर्नाटक कांग्रेस के अध्यक्ष डीके शिवकुमार भी दिल्ली के लिए रवाना होने वाले हैं। इसके लिए वह हवाई अड्डे पर पहुंच गए हैं। हांलाकि कांग्रेस दफ्तर से मिल रही जानकारी के अनुसार गांधी परिवार की पहली पसंद होंने के बावजूद कई ऐसे कारण हैं जिसके चलते शिवकुमार को सीएम नहीं बनाने का फैंसला लिया जा चुका है, इसके पीछे पूर्व सीएम और इस रेस में शामिल सिद्धारम़ैया की जिद भी एक बडा कारण हैं। इसीलिए उनके नाम का ऐलान करने से पहले डी के शिवकुमार काेे दिल्ली बुलाकर तमाम हालातों से अवगत कराकर उन्हीें की उपस्थिति में सिद्धारम्मैया को सीएम बनाने की घोषणा की जा सकती है।
शिवकुमार ने दिल्ली रवाना होने से पहले पत्रकारों से बात करते हुए कहा कि हमने यह पार्टी (कांग्रेस) बनाई है, हमने यह घर बनाया है। मैं इसका हिस्सा हूं। एक मां अपने बच्चे को सब कुछ देगी। उन्होंने कहा कि हमारा एक संयुक्त घर है, हमारी संख्या 135 है। मैं यहां किसी को बांटना नहीं चाहता। वे मुझे पसंद करें या न करें, मैं एक जिम्मेदार आदमी हूं। मैं न तो पीठ पीछे वार करूंगा और न ही ब्लैकमेल।
कर्नाटक कांग्रेस अध्यक्ष ने कहा कि सोनिया गांधी हमारी आदर्श हैं… कांग्रेस सभी के लिए परिवार है। हमारा संविधान बहुत महत्वपूर्ण है, इसलिए हमें सभी के हितों की रक्षा करनी होगी। उन्होंने कहा कि 20 सीटें जीतना (लोकसभा चुनाव में) हमारी अगली चुनौती है। हमारा संयुक्त सदन है, मैं यहां किसी को बांटना नहीं चाहता। मैं एक जिम्मेदार व्यक्ति हूं।
बता दें कि कर्नाटक में कांग्रेस को प्रचंड बहुमत से जीत मिली है, जिसके दो ही हीरो बताए जा रहे हैं। एक पूर्व सीएम और कांग्रेस के वरिष्ठ नेता सिद्धारमैया और दूसरे हैं पार्टी के लिए हनुमान की भूमिका निभाने वाले डीके शिवकुमार… बहुतम मिलने के बाद से ही कर्नाटक में दोनों नेताओं के पोस्टर लग रहे हैं, समर्थक अपने नेता को सीएम के तौर पर पेश करने लगे हैं। हालांकि अब आखिरी फैसला कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे को ही लेना है। फिलहाल सबसे ज्यादा चर्चा डीके शिवकुमार को लेकर है, जो लंबे अरसे से सीएम की कुर्सी पर बैठने का इंतजार कर रहे हैं। हालांकि डीके को सीएम बनाना पार्टी के लिए खतरनाक भी साबित हो सकता है, इसीलिए वो ताकतवर होने के बाद भी सिद्धारमैया से एक कदम पीछे ही खड़े दिख रहे हैं। इन तमाम पहलुओं को समझने के लिए कुछ बातें जानना जरूरी है।
एक जमाने में देवेगौड़ा परिवार लिए सबसे बड़ा सिरदर्द बने डीके शिवकुमार इस बार सीएम पद के सबसे बड़े दावेदार थे, उन्होंने पार्टी को हर बार मुश्किलों से निकालने का काम किया और जो काम दिया गया उसे ईमानदारी से पूरा भी किया। इस सबके बावजूद कुछ ऐसी चीजें हैं, जो डीके शिवकुमार और मुख्यमंत्री की कुर्सी के बीच आ रही हैं। इन्हीं वजहों के चलते डीके शिवकुमार को सीएम पद नहीं दिए जाने की बात चल रही है।
सीबीआई और ईडी के मामले
डीके शिवकुमार ने जब अपना पहला चुनाव लड़ा था, तब उन्हें इसके लिए अपनी जमीन गिरवी रखनी पड़ी थी। लेकिन इसके बाद हर साल डीके की संपत्ति में इजाफा होने लगा। आज डीके शिवकुमार कर्नाटक के सबसे अमीर नेताओं में शामिल हैं। डीके के पास करीब 1400 करोड़ से ज्यादा की संपत्ति है। यही वजह रही कि वो मोदी सरकार में केंद्रीय एजेंसियों की रडार पर आए। उनके खिलाफ पहले सीबीआई ने भ्रष्टाचार का मामला दर्ज किया। जिसके बाद ईडी ने भी मनी लॉन्ड्रिंग के मामले में केस दर्ज किया। डीके शिवकुमार से सितंबर 2019 में ईडी ने पूछताछ शुरू की। मनी लॉन्ड्रिंग मामले में करीब चार दिन तक लगातार पूछताछ के बाद डीके को गिरफ्तार कर लिया गया। इसके बाद करीब 50 दिन तक डीके शिवकुमार जेल में रहे। इसके बाद सोनिया गांधी खुद डीके से मिलने जेल पहुंचीं थीं। जिसकी जानकारी उन्होंने जीत के बाद दी। उन्होंने तब सोनिया से कहा था कि वो कर्नाटक में पार्टी को जीत दिलाकर रहेंगे। फिलहाल डीके शिवकुमार के खिलाफ मनी लॉन्ड्रिंग, टैक्स चोरी और आय से अधिक संपत्ति के करीब 19 से ज्यादा मामला दर्ज हैं। जिनमें से कई मामलों में डीके पर गिरफ्तारी की तलवार लटक रही है। ईडी कई बार उन्हें पूछताछ के लिए भी बुला चुकी है।
साल 2019 में बीएस येदियुरप्पा सरकार ने डीके शिवकुमार के खिलाफ सीबीआई जांच को हरी झंडी दी थी। राज्य सरकार की तरफ से की गई सिफारिश के बाद डीके के खिलाफ सीबीआई ने आय से अधिक संपत्ति का मामला दर्ज किया और जांच शुरू की गई, इसके बाद डीके कर्नाटक हाईकोर्ट पहुंचे और इस फैसले को चुनौती दी। उन्होंने कहा कि सीबीआई जांच के लिए कर्नाटक सरकार का आदेश गलत है। हालांकि कर्नाटक हाईकोर्ट से भी उन्हें राहत नहीं मिली। चुनाव से ठीक पहले अप्रैल 2023 में हाईकोर्ट ने डीके की याचिका को खारिज कर दिया।
कांग्रेस को सता रहा इस बात का खतरा
अब कर्नाटक में डीके शिवकुमार के मुख्यमंत्री बनने के रास्ते में सीबीआई और ईडी के यही मामले रोड़ा अटका रहे हैं। हांलाकि डीके ने सोनिया गांधी से जो कर्नाटक में कांग्रेस को वापस लाने का जो वायदा किया था वो पूरा कर दिखाया लेकिन कांग्रेस को इसी बात का खतरा है कि अगर डीके को सीएम बनाया जाता है तो केंद्रीय एजेंसियों का शिकंजा उन पर कस फिर से कस सकता है। क्योंकि डीके पहले ही जमानत पर बाहर चल रहे हैं, ऐसे में उन पर गिरफ्तारी की तलवार लटक रही है। वहीं सीबीआई वाले मामले में भी हाईकोर्ट की तरफ से डीके को झटका लगा है। ऐसे में कांग्रेस डीके को सीएम बनाने का रिस्क नहीं लेना चाहती। इसके अलावा अब डीके शिवकुमार के धुर विरोधी आईपीएस प्रवीण सूद को सीबीआई का नया डाइरेक्टर बना दिया गया है।
आने वाले चुनावों पर पड़ सकता है असर
डीके शिवकुमार को अगर कांग्रेस ने मुख्यमंत्री बना दिया और उनके खिलाफ चल रहे मामलों में गिरफ्तारी की तलवार लटकी तो ये पार्टी के लिए एक बड़ा दाग होगा, जिसे आने वाले चुनावों तक साफ कर पाना काफी मुश्किल साबित होगा। यानी सीएम रहते अगर डीके गिरफ्तार होते हैं तो बीजेपी आने वाले चुनावों में इसे जमकर भुना सकती है, जो कांग्रेस कतई नहीं चाहेगी। क्योंकि 2024 से पहले राजस्थान, छत्तीसगढ़ और मध्य प्रदेश जैसे हिंदी बेल्ट वाले राज्यों में चुनाव होने हैं, जहां कांग्रेस को जीत की उम्मीद है। इनमें से दो राज्यों में कांग्रेस सत्ता में भी है। ऐसे में कांग्रेस डीके को सीएम बनाकर कोई भी रिस्क नहीं उठाना चाहेगी।
सिद्धारमैया को मिल रहा फायदा
डीके शिवकुमार के खिलाफ तमाम मामलों और गिरफ्तारी की लटक रही तलवार का सीधा फायदा सिद्धारमैया को होता दिख रहा है। हालांकि उनके खिलाफ डीके समर्थक ये तर्क दे रहे हैं कि वो पांच साल सीएम रह चुके हैं, वहीं रिटायरमेंट का भी ऐलान कर चुके हैं। ऐसे में जब अगले चुनाव आएंगे तो पार्टी का सीएम ही चुनाव नहीं लड़ेगा। हालांकि डीके शिवकुमार के मुकाबले सिद्धारमैया का पलड़ा इसलिए भारी है, क्योंकि उनकी पहुंच राज्य के हर तबके में है। खासतौर पर दलित, मुसलमान और पिछड़े वर्ग (अहिंदा) में सिद्धारमैया की पैठ है। कांग्रेस नहीं चाहेगी कि ये बड़ा वोट बैंक उससे नाराज हो जाए। इससे कांग्रेस की लोकप्रियता कर्नाटक में कम हो सकती है। जानाधार के तौर पर देखा जाए तो सिद्धारमैया का कद डीके से ऊंचा ही नजर आता है।
दो मुख्यमंत्रियों का फॉर्मूला
हालांकि कर्नाटक में एक नए फॉर्मूले की भी खूब चर्चा है, जिसमें दो मुख्यमंत्रियों का प्रस्ताव रखने की बात कही जा रही है। कांग्रेस पार्टी में बगावत से बचने के लिए पहले दो साल सिद्धारमैया और आखिरी के तीन साल डीके शिवकुमार को सीएम बनाने के फॉर्मूले पर मुहर लगा सकती है। कहा जा रहा है कि सिद्धारमैया की तरफ से भी पार्टी को ये सलाह दी गई है। इस पर अमल की संभावना इसलिए भी ज्यादा है कि तब तकै 2024 के लोकसभा चुनाव तथा पांच राज्यों के चुनाव संपन्न हो जाऐंगे और तब शिवकुमार को सीएम बनाने के बाद गिरफ्तार होने की दशा में पार्टी को उतने बडे नुकसान की आशंका नहीं हैै जितनी अब होगी।