संवाददाता
नई दिल्ली। देश में प्रति व्यक्ति स्वास्थ्य खर्च बढ़ा है और लोग इसके प्रति जागरूक हुए हैं। सरकारी आंकड़ों के मुताबिक यह पिछले 15 वर्षों में इसमें अच्छी खासी बढ़ोतरी हुई है। केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय के राष्ट्रीय स्वास्थ्य लेखा के प्रकाशित अनुमानों के अनुसार, 2004-05 के बाद से 2019-20 में भारत में वास्तविक प्रति व्यक्ति स्वास्थ्य खर्च सबसे अधिक रहा। इसमें सरकार की हिस्सेदारी भी तेजी से बढ़ रही है। एनएचए भारत की स्वास्थ्य प्रणाली में वित्तीय प्रवाह का विवरण देता है। इसका आधा हिस्सा सरकार द्वारा खर्च किया गया। परिवारों का आउट-ऑफ-पॉकेट स्वास्थ्य खर्च भी महामारी से ठीक पहले वित्तीय वर्ष में तीन साल के उच्च स्तर पर था। स्वास्थ्य व्यय में सरकार और घरेलू योगदान 2019-20 में 41.4% और 47.1% था।
सरकार की हिस्सेदारी भी बढ़ी
केंद्रीय स्वास्थ्य सचिव राजेश भूषण ने कहा कि महत्वपूर्ण बातों में से एक यह है कि सरकार द्वारा किए गए स्वास्थ्य खर्च का हिस्सा काफी बढ़ गया है। प्रति व्यक्ति के लिहाज से देखें तो 2014-15 में सरकार प्रति व्यक्ति लगभग 1100 रुपये खर्च करती थी और 2019-20 में यह बढ़कर 2014 रुपये हो गया, जो लगभग दोगुना है। प्रतिशत के संदर्भ में यह पहले सकल घरेलू उत्पाद का 1.13% था और 2019-20 में सकल घरेलू उत्पाद का 1.35% हो गया।
एनएचए के अनुमान के अनुसार, 2019-20 में भारत का कुल स्वास्थ्य खर्च 655800 करोड़ रुपये था। यह 2018-19 की तुलना में 9.96% अधिक है, जो 2013-14 के बाद से साल-दर-साल सबसे तेज वृद्धि है। एनएचए के अनुमान 2004-05 के लिए भी उपलब्ध हैं, लेकिन 2013-14 से ही लगातार आंकड़े जुटाए जा रहे हैं।
2019-20 में 3,516 रुपये था
हालांकि, मौजूदा कीमतों के अनुसार कुल स्वास्थ्य बिल के आंकड़े भ्रामक हो सकते हैं। ऐसा इसलिए क्योंकि जनसंख्या में वृद्धि के कारण देश का कुल स्वास्थ्य बिल भी बढ़ सकता है। स्थिर कीमतों में प्रति व्यक्ति खर्च जनसंख्या के साथ-साथ मुद्रास्फीति के अनुपात में होता है। इससे पता चलता है कि भारत का प्रति व्यक्ति स्वास्थ्य खर्च 2019-20 में 2011-12 की कीमतों के मुताबिक 3,516 रुपये था। यह 2018-19 की तुलना में 202 रुपये या 6.1% अधिक है और लोगों द्वारा किसी भी वर्ष में स्वास्थ्य पर खर्च किया गया सबसे अधिक व्यय है। 2019-20 से पहले भारत ने 2016-17 में स्वास्थ्य पर सबसे अधिक 3,503 रुपये खर्च किया था।