निकाय चुनाव में ज्यादातर सीटों पर दोनों दलों के उम्मीदवार आमने-सामने
सुनील वर्मा
गाजियाबाद। क्या वेस्ट यूपी में समाजवादी पार्टी (सपा) और राष्ट्रीय लोकदल (आरएलडी) गठबंधन खत्म हो गया है। ये सवाल इसलिए उठ रहा है क्योंकि सपा-रालोद गंठबंधन में कुछ भी ठीक नहीं है, दोनों गठबंधन में चुनाव लड़ने का दावा तो कर रहे है लेकिन कई जगह जबरदस्त रार देखने को मिल रही है। रालोद और सपा कई सीटों पर आमने सामने आ गए। कई सीटों पर दोनों पार्टियों ने उम्मीदवार उतार दिए हैं। कोई भी पीछे हटने को तैयार नहीं है। चर्चा तो यहां तक हैं कि यूपी नगर निकाय चुनाव के दुसरे दौर की प्रक्रिया खत्म होंने के नजदीक आते-आते ऐसा लग रहा है कि यह गठबंधन खत्म हो सकता है।
पश्चिमी उप्र में सबसे ज्यादा हंगामा
दरअसल यह हंगामा पश्चिमी उप्र के जिलों में हो रहा है। रालोद का वजूद पश्चिमी उप्र में ज्यादा है। यही कारण है कि रालोद उम्मीदवार पश्चिमी उप्र की निकायों में अपने उम्मीदवार घोषित करने की बात कह रहे हैं। रालोद का मानना है कि यहां सपा को अपने उम्मीदवार घोषित नहीं करने चाहिए थे। हालांकि यही सपाई भी कह रहे हैं कि जहां रालोद का जोर है वहीं तो सपा भी लड़ेगी ताकि दोनों को लाभ हो सके। अहम यह है कि यदि यही स्थिति रही तो गठबंधन में आगे दरार आ सकती है। इसी गठबंधन के सहारे रालोद को विधानसभा चुनाव 2022 में पश्चिमी उप्र में आठ सीटें मिलीं थी जो बाद में उपचुनाव होने से नौ में बदल गई थीं। निकाय चुनाव की घोषणा के बाद मुरादाबाद मंडल में सीटों के बंटवारे के कारण गठबंधन पहले ही टूट गया था। रालोद के बड़े नेता मुंशीराम पाल ने मुरादाबाद मंडल में गठबंधन भंग होने की बात स्वीकार की थी। दरअसल, गठबंधन में दरार का कारण सपा द्वारा रालोद के हक वाली सीटों पर अपने प्रत्याशी उतारना है। इसके बाद रालोद कार्यकर्ता भड़क गए। उन्होंने गठबंधन से स्पष्ट इंकार कर दिया है। गठबंधन में दरार उस वक्त शुरू हुई जब रालोद की सीटों पर सपा ने अपने प्रत्याशी उतार दिए।
पश्चिमी उप्र में सबसे ज्यादा हंगामा
दरअसल यह हंगामा पश्चिमी उप्र के जिलों में हो रहा है। रालोद का वजूद पश्चिमी उप्र में ज्यादा है। यही कारण है कि रालोद उम्मीदवार पश्चिमी उप्र की निकायों में अपने उम्मीदवार घोषित करने की बात कह रहे हैं। रालोद का मानना है कि यहां सपा को अपने उम्मीदवार घोषित नहीं करने चाहिए थे। हालांकि यही सपाई भी कह रहे हैं कि जहां रालोद का जोर है वहीं तो सपा भी लड़ेगी ताकि दोनों को लाभ हो सके। अहम यह है कि यदि यही स्थिति रही तो गठबंधन में आगे दरार आ सकती है। इसी गठबंधन के सहारे रालोद को विधानसभा चुनाव 2022 में पश्चिमी उप्र में आठ सीटें मिलीं थी जो बाद में उपचुनाव होने से नौ में बदल गई थीं।
मेरठ में दंध
मेरठ में सपा ने अपने विधायक अतुल प्रधान की पत्नी सीमा प्रधान को महापौर पद का प्रत्याशी घोषित कर दिया है पर रालोद ने भी अब यहां से अपना उम्मीदवार उतारने का एलान कर दिया है। रालोद के प्रदेश मीडिया संयोजक सुनील रोहटा के मुताबिक बैठक में यह निर्णय लिया गया है कि मेरठ में भी रालोद उम्मीदवार उतारेगा। यहां की 42 सीटों पर पार्षद के उम्मीदवार भी उतारे जा चुके हैं। उन्होंने कहा कि कई सीटों सपा ने अपने उम्मीदवार गलत ढंग से उतारे हैं। उधर सपा इस पर बोलने को तैयार नहीं है।
शामली की कांधला नगर पालिका के लिए दोनों ने उतारे उम्मीदवार
अब यहां भी रार शुरू हो गई है। सहारनपुर की नगर पंचायत अंबेहटा पीर पर अध्यक्ष पद के लिए पहले रालोद प्रत्याशी रेशमा ने पर्चा भरा तो अंतिम दिन सपा ने इशरत जहां ने भी नामांकन पत्र दाखिल कर दिया। इसके अलावा विभिन्न जिलों में पार्षद एवं सदस्य सीटों पर बंटवारे को लेकर कई जिलों में हंगामा हुआ है। शामली की कांधला नगर पालिका पर सपा ने नजमुल हसन को तथा रालोद से मिर्जा फैसल बेग को उतार दिया है।
रालोद का गढ़ माना जाता है बड़ौत
बागपत व बड़ौत को रालोद का गढ़ माना जाता है। रालोद ने बागपत नगर पालिका से पूर्व चेयरमैन राजुद्दीन एडवोकेट, खेकड़ा नगर पालिका से रंजनी धामा को अध्यक्ष पद के लिए प्रत्याशी घोषित किया है। लेकिन रालोद के गढ में जब सपा ने नगर पालिका बड़ौत सीट पर बतौर अध्यक्ष प्रत्यशी सपा ने रणधीर प्रधान को खेकडा से संगीता धामा को अध्यक्ष पद के लिए अपना उम्मीदवार घोषित किया तो दोनों दलों के बीच पैदा हुई दरार खुलकर सामने आ गई। हांलाकि बाद में समाजवादी पार्टी के मुखिया अखिलेश यादव ने ऐलान किया कि बागपत में सपा किसी भी सीट पर अपने उम्मीदवार खड़े नहीं करेगी बल्कि रालोद का सर्मथन करेगी। तब जाकर बात संभली।
बिजनौर में सभी छह सीटों पर आमने-सामने
बिजनौर नगर पालिका अध्यक्ष के लिए स्वाति वीरा को सपा ने उम्मीदवार घोषित किया है। सपा से नाराज हुई रुखसाना परवीन को यहां से रालोद ने अपना उम्मीदवार घोषित करते हुए पर्चा दाखिल कर दिया। बिजनौर जिले में ही बिजनौर नगर पालिका परिषद समेत अध्यक्ष पद के लिए छह सीटों हल्दौर, नहटौर, नूरपुर, धामपुर, चांदपुर पर यही स्थिति खड़ी हो गई है।
गाजियाबाद में भी खुली गठबंधन की गांठ, लोनी में दोनों के उम्मीदवार आमने-समाने
जिले में सपा-रालोद गठबंधन की गांठ खुल गई है। निकाय चुनाव में सभी सीटों पर दोनों दल एक साथ मिलकर चुनाव लड़ने का दावा कर रहे थे, लेकिन चुनाव से पहले ही इस दावे की हवा निकल गई है।
लोनी में रालोद ने निवर्तमान चेयरमैन रंजीता धामा को प्रत्याशी बनाकर चुनाव के मैदान में उतारा तो नामांकन खत्म होने से चार दिन पहले बृहस्पतिवार को सपा ने इस सीट पर उम्मेद पहलवान की पत्नी हसीना इदरीसी को प्रत्याशी बना दिया है। उनको चुनाव चिह्न भी आवंटित कर दिया गया है।
उम्मेद पहलवान 20 साल से सपा से जुड़े हैं, पूर्व में मुलायम सिंह यादव यूथ ब्रिगेड के जिलाध्यक्ष रह चुके हैं। एक बुजुर्ग को पीटने और दाढ़ी काटने का वीडियो बनाने के बहुचर्चित मामले में उन पर राष्ट्रीय सुरक्षा कानून (रासुका) के तहत कार्रवाई की गई थी।
गठबंधन की गांठ भले ही लोनी नगर पालिका सीट पर खुली है लेकिन इसका असर अन्य सीटों पर भी दिखाई देने के आसार हैं। नगर पालिका परिषद लोनी से चेयरमैन पद पर समाजवादी पार्टी द्वारा प्रत्याशी उतारे जाने को लेकर पार्टी स्तर से कोई पत्र सार्वजनिक नहीं किया गया, जबकि अन्य प्रत्याशियों की सूचना समाजवादी पार्टी ने अपने फेसबुक पेज पर दी है।
गुपचुप तरीके से लोनी सीट पर प्रत्याशी उतारा गया है। इसकी पुष्टि सपा के निवर्तमान जिलाध्यक्ष राशिद मलिक ने की है। उधर, रालोद इससे बेखबर है। रालोद के जिलाध्यक्ष अमित त्यागी सरना का कहना है कि लोनी सीट पर सपा प्रत्याशी उतारने की सूचना नहीं है। गठबंधन को लेकर फिलहाल अफवाहों का बाजार गर्म है। सभी निकायों में वार्ड से लेकर अध्यक्ष पद पर रालोद अकेले भी चुनाव लड़ सकती है, लेकिन इसका फैसला राष्ट्रीय संगठन ही करेगा।
पार्षद पद की 100 सीटों पर प्रत्याशी उतारने को लेकर भी दरार के आसार
गाजियाबाद नगर निगम की पार्षद पद की 100 सीटों पर प्रत्याशी उतारने को लेकर गठबंधन में दरार पड़ने के आसार हैं। रालोद का गठबंधन आजाद समाज पार्टी के साथ भी है। रालोद को जो सीट सपा देगी, उसमें से कुछ सीट रालोद ने आजाद समाज पार्टी को देने का निश्चय किया है।
रालोद का दावा है कि 33 सीटों पर सपा से सहमति बन गई, लेकिन सपा ने इसकी पुष्टि नहीं की है। सपा नेताओं का दावा है कि 20 सीटें रालोद को दी जा सकती हैं। रालोद की महानगर अध्यक्ष रेखा चौधरी का दावा है कि यदि शीर्ष नेतृत्व का आदेश मिलता है तो महापौर से लेकर सभी वार्डों पर रालोद अपने प्रत्याशी भी उतार सकती है, इसकी तैयारी पूरी है।