संवाददाता
गाजियाबाद। कसक शायद इस बात की है कि भाजपा में गाज़ियाबाद मेयर से लेकर पालिका और नगर पंचायत अध्यक्षों के लेकर जितने भी नाम चल रहे हैं उनमें से ज्यादातर या तो पार्टी के बड़े नेताओं की पत्नियों के हैं या पार्टी में पैराशूट से उतारे गए लोग। शायद यहीं कारण है कि बीजेपी के महानगर महील मोर्चा ईकाई ने अब न खायेंगे न खाने देंगे की नीति पर चलने का फैसला किया है। इसीलिए गाजियाबाद महिला मोर्चा ने आज भाजपा के दिल्ली में राष्ट्रीय कार्यालय पर नेताओं की पत्नियों को चुनाव में टिकट देने को लेकर किया विरोध प्रदर्शन किया। जिसमे बीजेपी गाजियाबाद में महीला मोर्चा की नेताओं ने बढ़ चढ़ कर हिस्सा लिया।
दरअसल कसक दो तरह की बताई जा रही है। एक बीजेपी महानगर की महीला मोर्चा अध्यक्ष पूनम कौशिक जो पूरी ताकत से खोड़ा नगर पंचायत चेयरमैन का टिकट लेने की दावेदारी जता रही थी। वे इस बात को लेकर बेहद परेशान थी की ना सिर्फ उनका बल्कि महिला मोर्चा से टिकट की दावेदारी करने वाली महिला नेता को टिकट मिलने की कोई आस नहीं है। जिले में भाजपा को बुलंदियों पर पहुंचाने से लेकर बड़े-बड़े नेताओं को ऊंचाई तक पहुंचाने भाजपा महिला मोर्चा ने हमेशा महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। लेकिन जब टिकट की बारी आती है तो विधानसभा से लेकर पंचायत और नगर निगम तक के चुनाव में अध्यक्ष से लेकर पार्षद तक का टिकट महिला मोर्चा की नेताओं को नहीं बल्कि नेताओं की पत्नियों को दे दिया जाता हैं।
सूत्रों का कहना है कि बीजेपी महिला मोर्चा की क्षेत्रीय अध्यक्ष वर्षा कौशिक ने कल महिला कार्यकर्ताओं को मैसेज और फोन कर बताया था कि लखनऊ प्रदेश कार्यालय पर प्रदेश पदाधिकारियों से अपनी नाराजगी रखेंगे। लेकिन प्रतिक्रिया लखनऊ में नहीं बल्कि दिल्ली में देखने को मिली।
सूत्र बता रहे हैं कि महिला मोर्चा क्षेत्र अध्यक्ष ने यह भी कहा था कि मुझे बेहद अफसोस है कि मैं अपने क्षेत्र में किसी एक महिला मोर्चा की कार्यकर्ता को भी टिकट नहीं दिला पाए। ऐसा लगता है की शायद गाजियाबाद महिला मोर्चा ने अपनी नाराजगी दिल्ली में जाकर दिखाई हो। लेकिन हो ये भी सकता है कि निगाहें कहीं हों और निशाना कोई और हो। हो सकता है कि इस विरोध प्रदर्शन के पीछे मेयर के लिए किसी खास नाम का विरोध करने के लिए किसी ओर ने इसे प्रायोजित किया हो।