नई दिल्ली: रेलवे ने वित्त वर्ष 2019-20 में बिना टिकट यात्रा कर रहे 1.10 करोड़ से अधिक लोगों से 561 करोड़ रुपये जुर्माना वसूला है। यह पिछले वर्ष की तुलना में छह फीसदी अधिक है। रेलवे राजस्व में पिछले चार वर्षों में इस मद में करीब 38.57 फीसदी का इजाफा हुआ है। आरटीआई याचिका के जवाब में रेलवे ने यह जानकारी दी है।
मध्य प्रदेश के सूचना का अधिकार कार्यकर्ता चंद्र शेखर गौड़ की आरटीआई याचिका के जवाब में रेलवे ने बताय कि उसने 2016-2020 तक बिना टिकट यात्रियों से 1938 करोड़ रुपये का जुर्माना वसूला है।
रेलवे राजस्व में पिछले चार वर्षों में हुआ 38 फीसदी का इजाफा
रेलवे ने 2016-17 के बीच इस मद में 405.30 करोड़, 2017-18 में 441.62 करोड़ और 2018-19 में 530.06 करोड़ रुपये जुर्माना वसूला है। बिना टिकट पकड़े गए यात्री को किराये के अलावा 250 रुपये जुर्माना भरना होता है। ऐसा नहीं करने पर उसे आरपीएफ के सुपुर्द कर दिया जाता है। जहां से उसे मजिस्ट्रेट के समक्ष पेश किया जाता है ओर वहां मजिस्ट्रेट उस पर 1000 हजार रुपये का जुर्माना लगाते हें। जिसे नहीं चुकाने पर उसे छह महीने की जेल का प्रावधान है।
पांच महीने में 1.78 करोड़ से ज्यादा टिकट हुए रद्द
रेलवे ने इस साल मार्च के बाद से पिछले पांच महीने में कोरोना महामारी के चलते 1.78 करोड़ से ज्यादा टिकट रद्द किए हैं। इसके तहत 2727 करोड़ रुपये रिफंड किए हैं। रेलवे ने इससे पहले बताया था कि पहली तिमाही ने उसने 1066 करोड़ रुपये का रिफंड दिया था। लॉकडाउन के बाद रेलवे ने 25 मार्च से सभी यात्री सेवाओं को रद्द कर दिया था। जिस कारण अप्रैल मई और जून में की टिकटों के लिए रेलवे को रिफंड भुगतान करना पड़ा।