गाज़ियाबाद

गाजियबाद में बेखौफ अपराधियों का विशेष खबर संपादक से झपटमारी का प्रयास

असफल लूट की सूचना पुलिस को देनी चाही तो नहीं मिला कंट्रोल रूम का नंबर

गाजियाबाद। कोरोना महामारी के दौरान हुए लॉकडाउन के बाद से उत्तर प्रदेश में अपराधी बेलगाम हो गए हैं। दिल्‍ली से सटे सूबे के सबसे प्रमुख शहर गाजियाबाद में तो बदमाशों के हौंसले इस कदर बुलंद है कि बदमाशों में यूपी पुलिस के ऑपरेशन क्लीन का भी कोई खौफ नहीं रह गया है। अपराधियों के दुस्‍साहस का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि शहर के नेहरू नगर सेंकेड जैसे पॉश और व्‍यस्‍त इलाके मेन मार्किट में विशेष खबर मीडिया समूह के प्रधान संपादक से बाइक सवार बदमाशों ने चेन झपटने की कोशिश की। सूचना देने के लिए जब पुलिस कंट्रोल रूम का फोन लगाया गया तो फोन ही नहीं मिला। इतना ही नहीं घटना के बारे में जब मीडिया हाउस के कार्यकारी संपादक ने ट्विटर के जरिए गाजियाबाद पुलिस को सूचना दी तो उसका भी कोई उत्‍तर नहीं दिया गया। पुलिस की व्‍यवस्‍था से नाराज पीडित संपादक ने मामलें की शिकायत पुलिस में नहीं करने का फैंसला लिया।

बदमाश दिन दहाड़े सरेराह लोगों से छिनैती और लूट की वारदातों को अंजाम दे रहे हैं। बदमाशों की धरपकड़ करने की जगह पुलिस चालान करने में मस्‍त है। विशेष खबर मीडिया ग्रुप के प्रधान संपादक विनीत कांत पाराशर से शुक्रवार शाम करीब सात बजे यह वारदात नेहरू नगर सेकेंड के मेन मार्किट के सामने उस वक्‍त हुई जब वे दिल्‍ली स्थित अपने कार्यालय से वापस लौटे थे। विनीत कांत ने इस संवाददाता को बताया कि उन्‍होंने मेन मार्किट के पास ही अपने ड्राइवर को गाडी लेकर घर जाने के लिए कहा और खुद गाडी से उतरकर पैदल ही कुछ दूर पर स्थित अपने घर की तरफ चल दिए। इसी दौरान सामने से आ रही बाइक पर सवार दो लोगों ने उनके गले पर झपट्टा मारा।

विशेष खबर मीडिया ग्रुप के प्रधान संपादक विनीत कांत पाराशर

सावधानी के कारण पाराशर ने खुद को बचा लिया और उनकी चेन छीनने से बच गई। हालां‍कि चंद कदम आगे जाकर बाइक सवारों ने फिर से वापस मुडकर वारदात करने का प्रयास किया था। लेकिन इस दौरान कुछ लोग श्री पाराशर के करीब आ गए इसलिए बदमाश वापस नहीं लौटे। सबकुछ इतनी जल्‍दी हुआ कि अंधेरे के कारण पाराशर बाइक का नंबर नहीं देख सके। उन्‍होंने उसी वक्‍त 112 नंबर पर फोन करके पुलिस को इत्‍तला देने की कोशिश की। लेकिन कई बार प्रयास के बावजूद पुलिस कंट्रोल रूम का फोन नहीं मिला। पहले भी पुलिस कंट्रोल रूम का नंबर नहीं मिलने की शिकायतें आती रही हैं।


विनीत कांत पाराशर ने विशेष खबर समाचार पत्र के कार्यकारी संपादक सुनील वर्मा को फोन करके इस बात की इत्‍तला दी तो सुनील वर्मा ने अपने ट्विटर हैंडल से गाजियाबाद पुलिस तथा सीएम ऑफिस के ट्विटर पर इसकी सूचना पोस्‍ट की लेकिन हैरानी की बात ये है कि दो ही ट्विटर हैंडल से जवाब में कोई रिस्‍पांस नहीं मिला। इसके बाद पुलिस की व्‍यवस्‍था से खफा विशेष खबर के प्रधान संपादक ने फैंसला किया कि वे पुलिस में कोई शिकायत नहीं करेंगे।

लॉकडाउन में बने थे पुलिस के मददगार   

लॉकडाउन के दौरान गाजियाबाद के एसपी सिटी को टेम्‍पेरेचर गन भेंट करते विनीतकांत पाराशर

दरअसल, विनीतकांत पाराशर ने पुलिस में शिकायत नहीं करने के फैंसला इसलिए लिया क्‍योंकि उन्‍होंने लॉकडाउन के दौरान गाजियाबाद के कई थानों की पुलिस और एसपी सिटी कार्यालय को भी पुलिसकर्मियों के उपयोग के लिए टेम्‍पेरेचर गन, मास्‍क, सेनेटाइजर, फेशशील्‍ड और ग्‍लूकोज के पैकेट को भारी संख्‍या में वितरण किया था। समाज सेवा के कामों में बढ़ चढ़ कर सक्रिय रहने वाले विनीत कांत पाराशर के लोगों की मदद के लिए किए गए कामों की चौतरफा सराहना हुई थी और कई संस्‍थाओं ने उन्‍हें कोरोना योद्धा सम्‍मान पत्र भी दिया था। लेकिन इसके बावजूद उनके साथ हुई घटना पर पुलिस की निष्क्रियता ने पुलिस की छवि को उनकी नजरों में धूमिल किया है।

कवि नगर पुलिस काे टेंपरेचर गन व अन्य सुरक्षा उपकरण भेंट करते विनीतकांत पाराशर

पुलिस पस्‍त बदमाश मस्‍त

गाजियाबादद में अपराधी पूरी तरह बेलगाम हो गए है। बदमाश हाल के दिनों में इस कदर हावी हो गए है कि लोग योगी राज में कानून व्यवस्था की तुलना सपा शासन के जंगल राज से भी बदतर बताकर करने लगे हैं। हांलाकि ये अलग बात है कि प्रदेश पुलिस से नाराज मुख्यरमंत्री योगी आदित्यनाथ पुलिस अधिकारियों की लगाम कसने में कोई कोताही नहीं बरत रहे हैं। लेकिन इसके बावजूद कानून व्यवस्था की स्थिति बेहतर होती नजर नहीं आ रही हैं।

पुलिस कप्तान की जनता से बनती दूरी 

गाजियाबाद के एसएसपी कलानिधि नैथानी के बारे में कहा जाता है कि सीएम योगी के गृहराज्य उत्तराखंड का होंने के कारण उन्हें गाजियाबाद जैसे अहम जिले की बागड़ोर सौपी गई है। लेकिन कागजी कवायदों के अलावा पुलिस कप्तान आज तक जनता के उपर अपनी छाप नहीं छोड़ पाए हैं। कोरोना महामारी शुरू होंने के बाद तो एसएसपी की लोकप्रियता का ग्राफ तेजी से घटा है। दरअसल, कोरोना के कारण पुलिस कप्तान अपने कैंप ऑफिस से लेकर पुलिस कार्यालय तक में जनता से को प्रर्याप्‍त समय नहीं दे रहे हैं। जिस कारण थानों में पु‍लिस की मनमानी की शिकायते जनता उनसे नहीं कर पा रही हैं। यहीं कारण है कि थाने और चौंकियों में तैनात पुलिसकर्मी जनता के साथ मनमाना व्यवहार कर रहे हैं।

चिरंजीव विहार की घटना

फरियादियों को थानों से किया जा रहा है दूर 

गाजियाबाद के किसी भी थाने में चले जाईये, थाने के भीतर प्रवेश करना ऐसा जोखिम भरा काम साबित होगा, जैसे आप किसी प्रतिबंधित क्षेत्र में घुस रहे हों। पीडितों के लिए थाने के प्रवेश द्वार के पास कोविड हेल्प डेस्क बनाई गई ताकि थाने के भीतर पहुंचे बिना पीडित अपनी शिकायत दे सके और उसकी मदद की जा सके। लेकिन कोरोना संकट की इसी आड़ में थानों में तैनात पुलिसकर्मी न तो लोगों की शिकायत ले रहे हैं ना ही उनकी मदद की जा रही है। पुलिस फिल्मी अंदाज में तभी घटनास्‍थल पर पहुंचती है जब अपराध हो जाता है। विजय नगर थाना क्षेत्र में गत दिनों पत्रकार विकम जोशी की हत्या इसी बात का साफ उदाहरण हैं।

पुलिस सिर्फ चालान और वसूली में मस्त  

कोरोना संकट के बाद गाजियाबाद पुलिस अगर किसी काम में सबसे ज्यादा व्यस्त है तो वो है लॉकडाउन उल्लघंन करने वालों के चालान करने और दुपहिया वाहनों की चैंकिग करने में। इस चैंकिग अभियान से कितने अपराधी पकड़े गए या अपराध कितना नियंत्रित हुआ इसका तो जनता को पता नहीं लग रहा है, लेकिन पुलिस इस अभियान से सरकार के लिए राजस्व जुटाने का जरिया जरूर बन गई है। पुलिस की गाडियां और पुलिसकर्मी शहर की सड़को पर दिखाई तो दे रहे हैं लेकिन उनके हाथों में चालान बुक देखकर समझ आ जाता है कि वे किस काम में व्यस्त है।

अपराधियों के हौंसलो की बुलंद उड़ान

न तो हम पुलिस का निकम्मा साबित करना चाहते हें ना ही उसे गलत ठहराने की कोशिश कर रहे हैं। लेकिन गाजियाबाद में इन दिनों अपराधियों ने जिस तरह की धमाचौकड़ी मचाई हुई है उसे देखकर कोई भी कह सकता है कि अपराधियों में पुलिस का न तो कोई खौफ है ना ही कानून व्यवस्था नाम की कोई चीज दिखाई देती है। केवल अनलॉक 1 और 3 के बीच की ही बात करें तो इस दौरान हुए ताबड़तोड अपराधों से पूरा शहर दहल उठा है।

कुछ रोज पहले साप्ताहिक कर्फ्यू के दौरान बदमाशों ने चिंरंजीव विहार के एक घर में घुसकर परिवार को बन प्वांइट पर बंधक बनाकर लाखों की डकैती डाली। इतना ही नहीं सरेराह बदमाश हथियारों के बूते लोगों से उनके वाहन, नकदी और मोबाइल फोन लूट रहे है। अपराधियों के बुलंद हौंसलों का अंदाजा इसी बात से लगा सकते हैं कि एक ही रात में शहर के एक मार्केट में बदमाशों ने एक दर्जन दुकानों के ताले तोड़कर लाखों के माल पर हाथ साफ कर दिया। चंद रोज पहले लोनी के चिरौड़ी कस्बे में हुई वारदात तो बदमाशों के बुलंद हौसलों की इंतेहा बताती है। जहां दिनदहाड़े सरेबाजार एक कारोबारी की दुकान में घुसकर दो युवको ने उसे मारकर हत्या कर दी। हैरानी की बात यह थी कि इस हत्याकांड को अंजाम देने के लिए हत्यारों के पास कोई ठोस वजह भी नहीं थी। बस लोगो में खौफ कायम करने के लिए वारदात को अंजाम दिया और इस दौरान हमलावरों ने पूरी तरीके से अपनी पहचान उजागर कर रखी थी। इससे समझा जा सकता है कि गाजियाबाद में लोग किस कदर अपराधियों की दहशत के साए में जीने का मजबूर हैं। लेकिन कुछ भी हो जाए चुप्प रहिए क्योंकि कप्तान साहब सीएम के खास हैं?

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