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Cinema Preneur: छोटे बजट की भारतीय इनडिपेंडेंट फिल्मों का संग्रहालय साबित होगा ये OTT प्लेटफॉर्म

सिनेमाप्रेन्योर एक पे-पर-व्यू OTT प्लेटफॉर्म हैं जिसके पास पूरे विश्व में स्ट्रीम करने के लिए इनडिपेंडेंट फिल्मों का एक बड़ा संग्रह हैं।  

सुनील वर्मा

नई दिल्‍ली। हाल ही में भारतीय युवा फिल्मकार चैतन्या तामाहे का वैनिस फिल्म फैस्टिवल में नामांकन होने से भारतीय सिनेमा को एक नयी पहचान मिली है। लेकिन भारत में अभी भी बन रही इनडिपेंडेंट फिल्में सिर्फ़ फैस्टिवल तक ही सीमित रह जाती है क्यूंकी उन्हे रिलीस करने के आयाम बहुत ही कम है!

सिनेमा हॉल में पिक्चर रिलीज करना एक महंगा सौदा है, जो किसी भी कम बजट में बनी फिल्म पर काफ़ी भारी पड़ता है। और वह फिल्म खुद को बड़े OTT प्लेटफॉर्म्स के सामने भी अकेला ही पाती है। ये फिल्में भारत के बाहर तो दिखाई जाती है लेकिन हमारे खुद के देश में इन फ़िल्मों को उनकी ऑडियंस तक ले जाने का कोई माध्यम नही है।  

इसे बदलने के लिए सिनेमाप्रेन्योर लेकर आया है एक नया प्लॅटफॉर्म, ऑनलाइन पे-पर-व्यू की स्ट्रॅटजी के साथ। सिनेमाप्रेन्योर के संस्‍थापक गौरव रतूडी बताते हैं कि इस प्लॅटफॉर्म का ख़याल हमें तब आया जब बीते दिनों हमने कई उभरती फिल्में दिखाई,  जैसे अचल मिश्रा की ‘गमक घर’  और प्रतीक वत्स की ‘ईब आलाय ऊँ’।

उन फिल्मों को देखने के लिए लोग 50 किलोमीटर से भी ज़्यादा दूर से आए थे। हमें ये महसूस हुआ की अगर हम यही काम ऑनलाइन रहकर करते हैं, तो लोगो तक घर बैठे पहुंच सकेंगे और ज़्यादा फिल्में भी दिखा सकेंगे। इस तरह शुरूआत हुई सिनेमाप्रेन्योर की। प्लेटफॉर्म इस तरह डिज़ाइन किया गया है ताकि लोग कम से कम दामों में फिल्में देख सके और उनके दिए हुए पैसे का कुछ हिस्सा उस फिल्मकार तक भी पहुंच सके।

काे फाउंडर रूपिन्‍द्र कौर

सिनेमाप्रेन्योर की काे फाउंडर रूपिन्‍द्र कौर बताती हैं जब हमने कॉल फॉर एंट्री की घोषणा की ताे पहले लॉट में 200 से ज़्यादा एंट्रीज आई, जिससे हमें ये अहसास हो गया की इस तरह के मॉडल की बहुत ज़रूरत है।

गौरव तथा रूपिन्द्र मानते है कि अपनी कहानियों की ही तरह  भारत एक अनोखा देश है। लेकिन ये विचित्रता हमारे मेनस्ट्रीम प्लेटफॉर्म्स में नही दिखती। इसलिए ज़रूरत है भारत की रंगीन कहानियों को लोगों तक लाने की।

गाैरव ने बताया कि सिनेमाप्रेन्योर के कलेक्शन में जाे शॉर्ट्स, डॉक्युमेंट्रीज़ और फीचर फिल्मस दिखाई जा रही हैं, वे कहीं देखने का नहीं मिलेंगी ।

जाहनबी

अनिरबान दत्ता की फीचर फिल्म जाहनबी जो कई अंतर-राष्ट्रिय फिल्म समारोह में नाम कमा चुकी है! अश्विनी मलिक की माली, साथ ही नेशनल अवॉर्ड विनिंग डॉक्युमेंटरी ‘लाइफ इन मेटाफॉरस’ जो प्रसिद्ध  फिल्मकार गिरीश कसरावली के जीवन पर बनी है। ओबेहाेसेन इंटरनॅशनल शॉर्ट फिल्म फेस्टिवल में जीतने वाली संदीप कुमार वर्मा की ‘आरंभ’ और अनिरबान गुहा की ‘एलिक्सिर’ जो कई राष्‍ट्रीय  और अंतरराष्‍ट्रीय पुरूस्कार जीत चुकी है।

माली

लोकप्रिय फिल्मकार अमरत्या भट्टाचर्या की डॉक्युमेंटरी ‘मर्सी ऑफ गॉड’ तथा सनत गानु की फिल्म ‘अरेबीयन नाइट्स’ जो हाल ही में न्यूयॉर्क इंडियन फिल्म फेस्टिवल में बेस्ट शॉर्ट फिल्म (नरेटिव) का पुरूस्कार जीत के आई है।

केरला में स्क्रीन हो चुकी ततगता घोष की फिल्म ‘डोइट्टाे – द डीमन’ और एक युवा फिल्म मेकर शुभम घाटगे की चर्चित मराठी लघु फिल्म ‘पीपनया’।

सामाजिक मुद्दो के अलावा एक एक्शन थ्रिलर फिल्म भी है जिसका नाम है “अबाउट चोइसस” जिसका निर्देशन नहेश पोल ने किया है।

प्रतीक प्रजोश की फिल्म ‘Mrs. नांबियार’, आज़ादी के पहले से काम कर रहे है एक शिक्षक की ज़िंदगी पर आधारित है। LGBTQ  जैसे संवेदनशील मुद्दे को गहराई से दिखाती प्रीत गोहिल की ‘ग्रे’ और वीना कुलकर्णी/मुजीर पशा की ‘मुड़ मुड़ के ना देख’।

ग्रे फिल्म

बीते हुए रोमांस को याद दिलाती अभिजीत खुमान की ‘दैवार’, चंदन सेन की सोशिओ पोलिटिकल कॉमेंटरी ‘मायाद्वीप’ और अंशुमान चक्रबर्ती की धार्मिक मुद्दो को टटोलती ‘पैराडाइस लॉस्ट चिल्ड्रेन’।

एसिड अटैक सर्वाइवर्स की मुश्किल ज़िंदगी को दिखाती आशीष कुमार की ‘ब्यूटी ऑफ लाइफ’, वही रितेश शर्मा की फिल्म ‘राइबोज़ आर रीयल’ कोलकाता की ट्रांसजेंडर कम्यूनिटी को करीब से जानने की एक पहल है।

सचिन अशोक यादव की फीचर फिल्म ‘कॉन्दन’ किसानो की आत्महत्या को लेकर बनाई गयी है, वही राहुल यादव की फिल्म ‘कार्बन मोनोऑक्साइड- एक ग़लत मोड़ ले चुकी पार्टी पर बनी फिल्म है।

फिल्म ‘द होली फिश’

विमल पांडे और संदीप मिश्रा की फिल्म ‘द होली फिश’ एक इंसान के मोक्ष पाने की कथा है, वही सिद्धार्थ चौहान की फिल्म “द इनफायनायट स्पेस’ मॉन्क्स पर बनी एक खूबसूरत फिल्म है।

सिनेमाप्रेन्योर के संस्थापकाें का कहना है कि हमारी फिल्में देश के हर कोने की एक झलक प्रदान करती है, देश के लोगों की बातें करती हैं। ये सब मेनस्ट्रीम में मिलना बहुत ही मुश्किल हैं। इसलिए हमारा इरादा 2020 के अंत तक 300 से भी ज़्यादा टाइटल्स आप तक लाने का हैं।

सिनेमाप्रेन्योर की को-फाउंडर रूपिंदर कौर कहती हैं कि “हुमे शुरू मे ही बहुत अच्छा रिस्पांस मिला है जिससे हम काफ़ी उत्साहित है। हम इस प्लॅटफॉर्म को भारत के फिल्मकारों के साथ मिलकर और भी बड़ा बनाना चाहते है। हम दर्शकों का साथ भी चाहते है ताकि हम इस तरह की फिल्मों को उन तक ला सके।

सभी फिल्में हमारी वेबसाइट www.cinemapreneur.com पर आसानी से देखी जा सकती है। एक मोबाइल ऍप भी अगले 3-6 महीने में चालू करने की पूरी कोशिश है। उन्हाेंने उम्मीद जतायी है कि लाेग सिनेमाप्रेन्योर के रूप में नया सिनेमा घर देखकर खुश होंगे। मनाेरंजन के इस घर काे हमें किसी भी सोशल मीडिया पर @cinemapreneur  के नाम से खोजा जा सकता है।

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