गाज़ियाबाद

भाई की कलाई पर राखी नहीं बांध पाने पर डासना जेल के गेट पर ही रोने लगी बहनें

गाजियाबाद: डासना जेल के गेट पर सोमवार को एक बेबस बहन काफी देर तक रोती रही क्योंकि वो अपने भाई से रक्षाबंधन के त्यौहार पर भी नहीं मिल पाई. भाई से न मिल पाने की वजह कोरोना है. मामला गाजियाबाद की डासना जेल से जुड़ा हुआ है. दरअसल कोरोना काल में सावधानी बरतने के चलते, जेल में बंद कैदियों से मुलाकात पर पाबंदी लगी हुई है.

सरकार का आदेश है कि बहनें सिर्फ जेल के गेट तक राखी वाला लिफाफा पहुंचा सकती हैं. जहां से सेनेटाइज करके लिफाफा उनके कैदी भाइयों तक पहुंचा दिया जाएगा. भाई खुद ही अपनी कलाई पर राखी बांधेंगे. ऐसे में डासना जेल पर जो बहनें पहुंच रही हैं, वो अपने कैदी भाई से मुलाकात किये बिना मायूस होकर वापस लौट रही हैं. इसी तरह से कुछ बहनों का दर्द भी छलक उठा.

आंसू नहीं रोक पाईं निशा

दूर-दूर से आई बहनों को जब पता चला कि जेल में मुलाकात पर पाबंदी है, तो रक्षाबंधन पर भाई से नहीं मिल पाने का दर्द उनकी आंखों में छलक उठा. उन्हीं में से एक हैं निशा. जिनका भाई एक मामले में डासना जेल में बंद है. लेकिन जब निशा अपने भाई से नहीं मिल पाईं तो वो जेल के गेट पर ही रोने लगीं.

हालांकि, जेल प्रशासन ने उन्हें समझाया कि पहले ही इस बात की सूचना जारी कर दी गई थी कि इस बार रक्षाबंधन पर कैदियों और उनकी बहनों के बीच मुलाकात नहीं हो पाएगी. राखी का लिफाफा पहुंचाने की अंतिम तारीख भी 1 अगस्त तय की गई थी. लेकिन जेल प्रशासन ने बहनों के लिए आज राखी के दिन भी लिफाफे पहुंचाने का काम त्वरित गति से किया.

सिर्फ आवाज पहुंचा पाईं बहनें

बहनों के दर्द को देखते हुए जेल प्रशासन ने एक अलग से इंतजाम किया. जेल प्रशासन ने बहनों की आवाज को वॉइस मैसेज में रिकॉर्ड किया और उसे उनके भाइयों तक जेल रेडियो के जरिए पहुंचाया. जेल के भीतर बंद कैदी अपनी बहनों की आवाज रक्षाबंधन के दिन सुनकर काफी खुश हुए. लेकिन उन्हें दुख इस बात का था कि वह बहन से रूबरू होकर मुलाकात नहीं कर पाए और न ही रक्षा का धागा अपनी कलाई पर बंधवा पाए.

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