नई दिल्ली ! अयोध्या में राम मंदिर के भूमि पूजन की तैयारियां जोरों पर चल रही हैं। पांच अगस्त को यहां पूजन होना है जिसके लिए अब से 48 घंटे से भी कम का समय बचा हुआ है। भूमि पूजन के लिए लगभग 200 लोगों को आमंत्रित किया गया है। इस लिस्ट में वरिष्ठ भाजपा नेता और राम मंदिर आंदोलन के अगुवा नेता लालकृष्ण आडवाणी और यूपी के पूर्व मुख्यमंत्री कल्याण सिंह का नाम नहीं है।
इन लोगों को भेजा गया न्योता
श्री राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के महासचिव चम्पत राय ने कहा है कि भूमि पूजन कार्यक्रम में यहां से लेकर नेपाल के संतों तक को बुलाया गया है। कुछ लोग संतों को भी दलित कहते हैं जबकि वो लोग भगवान के लोग हैं। भारत के भूगोल का हर हिस्सा यहां पर रहेगा। संत महात्मा मिलाकर करीब 175 लोग शामिल होंगे। उन्होंने बताया कि पद्मश्री पा चुके फैजाबाद के मोहम्मद यूनुस को बुलाया गया है। वो लावारिस लाशों का अंतिम संस्कार करते हैं। वो चाहे जिस धर्म के हों।
आडवाणी और कल्याण सिंह को नहीं बुलाया गया
श्री राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के महासचिव चम्पत राय ने कहा है कि जिन्हें नहीं बुलाया जा सका उन्हें व्यक्तिगत फोन कर माफी मांगी है। आयु का भी ध्यान रखा है। 90 साल के व्यक्ति कैसे आ पाएंगे। आडवाणी जी कैसे आ पाएंगे। चंपत राय ने कहा कि मैंने कल्याण सिंह से कहा कि आपकी उम्र बहुत ज्यादा है आप इस भीड़ में ना आएं, वह मान गए। आइये जानते हैं इन दोनों नेताओं का राम मंदिर आंदोलन में क्या रोल रहा है।
लालकृष्ण आडवाणी
लालकृष्ण आडवाणी ने सोमनाथ से अयोध्या तक रथयात्रा शुरू की थी। हालांकि बिहार के तत्कालीन मुख्यमंत्री लालू प्रसाद यादव ने समस्तीपुर जिले में उन्हें गिरफ्तार कर लिया था। चार्जशीट के अनुसार, आडवाणी ने छह दिसंबर 1992 को कहा था, ‘आज कारसेवा का आख़िरी दिन है.’ आडवाणी के खिलाफ मस्जिद गिराने की साजिश का आपराधिक मुकदमा अब भी चल रहा है।
कल्याण सिंह
छह दिसंबर 1992 को उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री कल्याण सिंह थे। ये वही तारीख है जिस दिन बाबरी मस्जिद को गिराया गया था। उन पर आरोप है कि उनकी पुलिस और प्रशासन ने जान-बूझकर कारसेवकों को नहीं रोका। बाद में कल्याण सिंह ने बीजेपी से अलग होकर राष्ट्रीय क्रांति पार्टी बनाई लेकिन वो फिर बीजेपी में लौट आए। कल्याण सिंह का नाम उन 13 लोगों में शामिल था जिन पर मस्जिद गिराने क साजिश का आरोप लगा था।