गाजियाबाद। कोरोना मरीजों की तादाद तेजी से बढ़ रही है. कोरोना संक्रमितों की तादाद रोज नया रिकॉर्ड बनाते हुए देश में 10 लाख के पार पहुंच चुकी है. दिल्ली एनसीआर की हालत भी कुछ बेहतर नहीं. एनसीआर के तहत आने वाले उत्तर प्रदेश के नोएडा, ग्रेटर नोएडा और गाजियाबाद शहर में लोग कोरोना वायरस की जांच कराने से कतरा रहे हैं. इसकी वजह होम आइसोलेशन सुविधा का न होना वजह बताया जा रहा है.
नोएडा ग्रेटर नोएडा और गाजियाबाद की हाई राइज सोसाइटी में कोरोना की जांच के लिए लोग आगे नहीं आ रहे, यह प्रशासन के लिए बड़ी चुनौती बन गया है. नोएडा फेडरेशन ऑफ अपार्टमेंट ऑनर्स एसोसिएशन के अध्यक्ष राजीव सिंह ने बताया कि लोगों के जांच कराने से कतराने के पीछे सबसे बड़ी वजह उनका डर है. उन्होंने बताया संक्रमित पाए जाने पर एल-1 श्रेणी के अस्पताल में जाना होगा, जिसमें ज्यादातर हाई राइज सोसाइटी के लोग जाने से कतराते हैं.
राजीव सिंह बताते हैं कि ऐसा इसलिए, क्योंकि वहां असुविधाओं का अंबार लगा हुआ है और दूसरी सबसे बड़ी वजह आइसोलेशन के लिए प्राइवेट अस्पताल का रुख करने पर मनमाने रुपये लिए जाना भी है. यही वजह है कि लोग टेस्टिंग के लिए आगे नहीं आ रहे. वहीं, यूपी के ही एक अन्य शहर गाजियाबाद में हालात और खराब हैं. पॉश सोसाइटी इंदिरापुरम के काउंसलर अभिनव जैन का कहना है कि प्रशासन के कहने पर कोरोना की टेस्टिंग के लिए 20 से ज्यादा कैंप लगाए, टेस्ट भी किए लेकिन 20 संक्रमित लोगों का कोई अता-पता नही है.
जैन ने कहा कि पूरे शहर के हालात तो और भी खराब हैं. 100 से ज्यादा संक्रमित लोगों का अब तक कोई अता-पता नहीं है. उन्होंने कहा कि प्रशासन को यह डर समाप्त करने के लिए होम आइसोलेशन की इजाजत देनी चाहिए. तकरीबन 40 से ज्यादा हाई राइज सोसाइटी का प्रतिनिधित्व करने वाले फेडरेशन ऑफ अपार्टमेंट ऑनर्स एसोसिएशन के संस्थापक आलोक कुमार ने बताया कि संक्रमण को लेकर लोगों में इतना ज्यादा डर है कि लोग अस्पताल नहीं जाना चाहते. उन्होंने कहा कि ऐसे में कम लक्षण वाले या फिर बिना लक्षण वाले लोगों को दिल्ली की तरह होम आइसोलेशन की सुविधा दी जाए, इसके लिए प्रदेश के हेल्थ सेक्रेट्री समेत प्रशासनिक अधिकारियों को भी पत्र लिखे.
आलोक कुमार ने कहा कि हमने होम आइसोलेशन की गाइडलाइन जारी करने या फिर सोसाइटी के अंदर ही आइसोलेशन की सुविधा की अनुमति देने की मांग की थी. प्रशासन की ओर से अनुमति और गाइडलाइन की कौन कहे, कोई जवाब तक नहीं मिला. उन्होंने कहा कि हाई राइज सोसाइटी के कम्युनिटी हॉल और अन्य खाली स्थलों का उपयोग कर सोसाइटी के अंदर ही आइसोलेशन सेंटर बनाया जा सकता है. सोसाइटियों के डॉक्टर्स भी इन आइसोलेशन सेंटर्स पर काम करने को तैयार हैं.
एक हाई राइज सोसाइटी के निवासी डॉक्टर मनोज ने कहा कि प्रशासन के सहयोग से होम आइसोलेशन की व्यवस्था में डॉक्टरी मदद के साथ अस्पतालों को भी जोड़ेंगे. एंजेल मर्करी सोसाइटी के निवासी इंदर कसाना ने इसका विरोध करते हुए कहा कि सोसाइटी परिसर में आइसोलेशन सेंटर बनने से निवासी डरे-सहमे रहेंगे और सबसे ज्यादा खौफ बच्चों में रहेगा.
प्रशासन को है इस बात का डर
इस संबंध में प्रशासन से जुड़े सूत्रों का कहना है कि उसकी नजर सरकार की तरफ है. प्रशासन को इस बात का भी डर है कि होम आइसोलेशन की सुविधा शुरू होने की स्थिति में लोग शायद इसका सख्ती से पालन ना करें और कहीं यही संक्रमण बढ़ने की वजह न बन जाए. बता दें कि अस्पतालों में बेड की किल्लत के बाद दिल्ली सरकार ने बिना लक्षण या कम लक्षण वाले मरीजों के लिए होम आइसोलेशन की इजाजत दे दी थी.