गाज़ियाबादराज्य

पायलट को मात देकर गहलौत ने राजस्थान में सरकार बचा ली

दिल्ली। राजस्थान में मुख्यमंत्री अशोक गहलोत और डिप्टी सीएम सचिन पायलट के बीच सियासी शह मात का खेल जारी है. बगावती तेवर अख्तियार कर चुके पायलट ने दावा किया है कि 25 विधायक उनके साथ हैं. हालांकि, मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने विधायक दल की बैठक में 100 विधायकों को जुटाकर अपनी ताकत का एहसास करा दिया है. यही वजह रही कि गहलोत ने विक्ट्री का साइन दिखाया है. ऐसे में अब सचिन पायलट क्या सियासी कदम उठाएंगे?

हालांकि, केंद्रीय नेतृत्व की ओर से जयपुर भेजे गए रणदीप सुरजेवाला ने कहा कि पिछले 48 घंटे में कांग्रेस नेतृत्व ने कई बार सचिन पायलट से बात की है. उन्‍होंने कहा कि कभी-कभी वैचारिक मतभेद उत्पन्न होता है, लेकिन इससे अपनी ही सरकार को कमजोर करना ठीक नहीं हैं. अगर कोई मतभेद है तो कांग्रेस आलाकमान के दरवाजे सचिन पायलट समेत सभी के लिए खुले हैं. सोनिया गांधी और राहुल गांधी की अगुवाई में हम इसका समाधान निकालेंगे. व्यक्तिगत प्रतिस्पर्धा के लिए सरकार को कमजोर करना ठीक नहीं.

कांग्रेस नेताओं की ओर से डैमेज कन्ट्रोल की हो रही कोशिशों के बीच राजस्थान कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष और उपमुख्यमंत्री सचिन पायलट ने दावा किया है कि 25 विधायक उनके साथ हैं. सचिन पायलट ने साफ कहा कि वो जयपुर में बैठक में हिस्सा नहीं लेंगे. हालांकि, गहलोत 100 विधायकों का समर्थन जुटाने में सफल रहे हैं.

दरअसल, राजस्थान विधानसभा में कुल 200 सदस्य हैं. मौजूदा समय में कांग्रेस के 107 विधायक हैं. इसके अलावा उनके पास निर्दलीय और कुछ अन्य छोटे दलों के विधायकों का समर्थन मिलाकर यह नंबर123 तक पहुंचता है. वहीं, बीजेपी के 72 विधायक हैं इसके अलावा उन्हें 3 अन्य छोटे दलों के विधायक का समर्थन है. ऐसे में उनके पास कुल 75 विधायक हैं.

फिलहाल सचिन पायलट ने 25 विधायकों के अपने साथ होने का दावा किया है, अगर ऐसा होता है तो गहलोत सरकार के साथ सिर्फ 98 विधायक ही दिख रहे हैं. इसके अलावा एक स्पीकर का वोट है, जिसे मिलाकर 99 होता है. वहीं, राजस्थान में बहुमत के लिए 101 विधायकों का समर्थन होना चाहिए. कांग्रेस विधायक दल की बैठक में अगर 100 विधायक गहलोत जुटाने में सफल रहे हैं तो फिर पायलट का गणित गड़बड़ हो सकता है.

सचिन पायलट के सियासी कदम पर सभी की नजर है. ऐसे में अब पायलट कांग्रेस से इस्तीफा देकर बीजेपी का दामन थामते हैं या फिर अलग अपनी कोई पार्टी बनाते हैं. पायलट कांग्रेस को तोड़कर पार्टी बनाने का फैसला करते हैं तो उन्हें विधानसभा सदस्यता से इस्तीफा देना पड़ सकता है, क्योंकि अलग पार्टी बनाने के लिए कम से कम एक तिहाई विधायकों का साथ होना जरूरी है. हालांकि, सचिन पायलट के साथ कांग्रेस के 16 विधायकों के समर्थन का दावा है बाकी निर्दलीय विधायक उनके साथ माने जा रहे हैं. यह एक बड़ी चुनौती है.

वहीं, अगर मध्य प्रदेश की तर्ज पर कांग्रेस के कुछ विधायक विधानसभा की सदस्यता से इस्तीफा दे देते हैं और निर्दलीय भी कांग्रेस के बजाय बीजेपी का समर्थन कर दें तो गहलोत सरकार अल्पमत में आ सकती है. पायलट के समर्थक 25 विधायकों का दावा किया जा रहा है. हालांकि, गहलोत खेमा भी 102 विधायकों के समर्थन का दावा कर रहे हैं, ऐसे में कांग्रेस के अंदर शह-मात का खेल काफी दिलचस्प होता जा रहा है. देखना है कि इस सियासी जंग में कौन किस पर भारी पड़ता है.

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