नई दिल्ली: कोरोना संक्रमित लोगों का इलाज करते हुए डॉक्टर व अन्य स्वास्थ्य कर्मी भी काफी संक्रमित हो चुके हैं. कई डॉक्टर की जान भी चली गई. संक्रमित लोगों की बढ़ती संख्या को देखते हुए दिल्ली सरकार ने मरीजों के लिए अतिरिक्त बेड के इंतजाम किए हैं, लेकिन वहां डॉक्टर व अन्य स्वास्थ्यकर्मियों की जरूरत महसूस की जा रही है. ऐसी स्थिति में दिल्ली सरकार अंतिम वर्ष के एमबीबीएस व पोस्ट ग्रेजुएट छात्रों को विभिन्न अस्पतालों में नियुक्त करने संबंधी विषय पर गंभीरता से विचार कर रही है. इसके लिए कैबिनेट स्तर पर मसौदा तैयार कर लिया गया है.
दो हजार से अधिक स्वास्थ्यकर्मी हो चुके हैं संक्रमित
दिल्ली के अलग-अलग अस्पतालों को मिलाकर अभी तक 2000 डॉक्टर, नर्स व पैरामेडिकल स्टाफ कोरोना से ग्रसित हो चुके हैं. इस कारण अस्पतालों में डॉक्टरों की कमी हो गई है. इस विषय पर समीक्षा करने के लिए सरकार ने कमेटी गठित की थी. जिसमें गुरु गोविंद सिंह विश्वविद्यालय के डॉ महेश वर्मा को राजीव गांधी सुपर स्पेशलिटी अस्पताल के डॉक्टर बी एल श्रेवाल को शामिल किया गया. इस कमेटी ने अपनी अनुशंसा रिपोर्ट दिल्ली सरकार को दे दी है. जिसके आधार पर मेडिकल छात्रों को कोरोना महामारी के दौरान अस्पतालों में डॉक्टरों की कमी को पूरा करने के लिए नियुक्त किया जा सकेगा.
युवा डॉक्टरों में कोरोना से लड़ने की क्षमता अधिक
इस कमेटी की रिपोर्ट को कैबिनेट नोट में शामिल किया गया है. इस कमेटी ने युवा डॉक्टरों को राजधानी के अस्पतालों में भर्ती करने पर जोर दिया है. क्योंकि वरिष्ठ डॉक्टरों में पहले से कोई अन्य बीमारी होने की संभावना से संक्रमण का खतरा बढ़ सकता है. लेकिन युवा डॉक्टरों में कोरोना से लड़ने की क्षमता ज्यादा होती है. कमेटी ने कहा कि एमबीबीएस अंतिम वर्ष व पोस्ट ग्रेजुएट छात्रों, डेंटल सर्जन व आयुष अधिकारियों को भी कोरोना अस्पतालों में भर्ती किया जा सकता है.
दिल्ली सचिवालय
युवा डॉक्टरों को लोक लुभावन पैकेज देने पर विचार
कमेटी ने अपनी रिपोर्ट में इन डॉक्टरों को नगद भुगतान करने, वर्तमान पैकेज से बेहतर पैकेज देने, इंश्योरेंस सुविधा, परिवहन भत्ता व क्वॉरेंटाइन में रहने की सुविधा देने का आग्रह किया है. साथ ही भविष्य में अन्य नौकरी प्राप्त करने के लिए संस्तुति पत्र देना को कहा है. कमेटी ने अनुशंसा की है कि जिन अस्पतालों में ज्यादा संख्या में विशेषज्ञ हैं, लेकिन अन्य अस्पतालों में डॉक्टरों की भारी कमी है तो ज्यादा डॉक्टर वाले अस्पताल से इन्हें डॉक्टर की कमी से जूझ रहे अस्पतालों में भेजना होगा. ताकि दिल्ली सरकार के अस्पतालों में डॉक्टर की कमी को पूरा किया जा सके.
बता दें कि दिल्ली में अभी कोरोना मरीजों के लिए लगभग 13500 बेड तैयार हैं, जिनमें से अधिकांश जगहों पर अभी डॉक्टर व अन्य स्वास्थ्य कर्मियों की जरूरत है.