नई दिल्ली: पूर्व राष्ट्रपति डॉ शंकर दयाल शर्मा की पत्नी विमला शर्मा सिर्फ 18 दिनों में ही कोविड को हराकर सबसे अधिक उम्र की कोरोना सर्वाइवर बन गई हैं. एम्स के ट्रामा सेंटर में उनका इलाज चल रहा था. गुरुवार को उन्हें अस्पताल से ग्रैंड सलामी के साथ छुट्टी मिल गई है. विमला शर्मा 93 वर्ष की हैं और ऊपर से हार्ट और लंग की बीमारी से भी पीड़ित हैं. ये वो कंडीशन्स हैं, जिनको अगर कोविड हो जाए तो बचने की संभावना लगभग नगण्य है.
ऑक्सीजन के लेवल पर नजर
विमला शर्मा 5 जून को कोविड पॉजिटिव पाई गईं थी, 7 जून को उन्हें एम्स ट्रामा सेंटर में भर्ती कराया गया था. हार्ट और लंग्स बीमारी की हिस्ट्री ने उनके परिजनों को डरा दिया था. डॉक्टर्स भी उनकी उम्र को देखते हुए बहुत आशान्वित नहीं थे, लेकिन विमला शर्मा ने अपनी दृढ़ इच्छाशक्ति के दम पर असंभव को ही संभव कर दिया.
24 जून को जब उनका दोबारा कोविड टेस्ट किया गया तो वो निगेटिव पाईं गई. उनके निगेटिव आते ही परिजनों के साथ-साथ डॉक्टर्स भी काफी खुश हुए. मेडिसिन विभाग के एसोसिएट प्रोफेसर डॉ निश्चल शर्मा उनका इलाज कर रहे थे. विमला शर्मा कुल 18-19 दिनों तक अस्पताल में रहने के बाद अब अपने घर आ गई हैं. यहां भी उनके शरीर में ऑक्सीजन के लेवल पर लगातार पल्स ऑक्सीमीटर से नजर रखी जा रही है.
कॉमोर्बिटी कंडीशन ने इलाज बनाया चुनौतीपूर्ण
विमला शर्मा का इलाज मेडिसिन विभाग के एसोसिएट प्रोफेसर डॉ नीरज निश्चल के नेतृत्व में हुआ. डॉक्टर्स के मुताबिक कोविड बड़ी उम्र और पहले से ही हार्ट, किडनी, डाइबिटीज, हाइपरटेंशन जैसी बड़ी बीमारियों वाले मरीजों के लिए जानलेवा होता है. विमला शर्मा सुपर ओल्ड 93 साल की हैं. ऊपर से वो हार्ट और लंग बीमारी से पीड़ित हैं. कोविड लंग सेल पर ही अटैक करता है और मरीज की सांस बंद कर देता है. इसका सबसे बड़ा खतरा था. एक अच्छी बात यह हुई कि उनकी स्थिति कभी भी इतनी खराब नहीं हुई कि उन्हें वेंटिलेटर पर रखना पड़े.
राष्ट्रपति ने खुद कॉल कर दी सलामी
पूर्व राष्ट्रपति डॉ शंकर दयाल शर्मा के पुत्र आशुतोष शर्मा ने बताया कि 93 वर्ष की उनकी मां विमल शर्मा का इस उम्र मेंकॉमोर्बिटी के बावजूद कोरोना को हराना किसी चमत्कार से कम नहीं है. राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने खुद फोन कर उन्हें ग्रैंड सलामी दी है.
‘सिर्फ दो बार ही कर पाए फोन से बात’
आशुतोष ने बताया कि इस बीमारी में सबसे अजीब चीज यह है कि मरीज के आसपास कोई परिजन भी नहीं जा सकते हैं. 18 दिनों तक मां अस्पताल में रही, काफी चिंता होती थी. इस दौरान सिर्फ दो बार ही उनसे फोन पर बात हुई. उन्होंने दूसरे मरीजों को हौसला और इच्छाशक्ति बनाए रखने की नसीहत दी है