नई दिल्ली। पुरी में जगन्नाथ रथ यात्रा को सुप्रीम कोर्ट की हरी झंडी मिल गई है. कोरोना के मद्देनजर सुप्रीम कोर्ट ने शर्तों के साथ रथयात्रा की इजाजत दी है. कोर्ट ने कहा कि प्लेग महामारी के दौरान भी रथ यात्रा सीमित नियमों और श्रद्धालुओं के बीच हुई थी.
बता दें कि कोरोना वायरस संक्रमण की वजह से पुरी रथ यात्रा पर रोक के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में कई याचिकाएं डाली गई थी. इन याचिकाओं पर सोमवार को सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हुई. इस मामले में चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया (सीजेआई) एसए बोवडे ने तीन जजों की बेंच गठित की. इस बेंच में सीजेआई एसए बोवडे, जस्टिस एएस बोपन्ना और जस्टिस दिनेश माहेश्वरी शामिल रहे.
बहस की शुरुआत करते हुए सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कोर्ट से कहा कि यात्रा की अनुमति दी जानी चाहिए. किसी भी मुद्दे से समझौता नहीं किया गया है और लोगों की सुरक्षा का भी ध्यान रखा गया है. इस पर CJI ने कहा कि UOI को रथयात्रा का संचालन क्यों करना चाहिए.
मेहता ने कहा कि शंकराचार्य, पुरी के गजपति और जगन्नाथ मंदिर समिति से सलाह कर यात्रा की इजाजत दी जा सकती है. केंद्र सरकार भी यही चाहती है कि कम से कम आवश्यक लोगों के जरिए यात्रा की रस्म निभाई जा सकती है.
इस पर Cji ने कहा कि शंकराचार्य को क्यों शामिल किया जा रहा है? पहले से ट्रस्ट और मंदिर कमेटी ही आयोजित करती है तो शंकराचार्य को सरकार क्यों शामिल कर रही है? वहीं, मेहता बोले- नहीं, हम तो मशविरा की बात कर रहे हैं. वो धार्मिक सर्वोच्च गुरु हैं.
वहीं, वरिष्ठ वकील हरीश साल्वे ने कहा कि कर्फ्यू लगा दिया जाय. रथ को सेवायत या पुलिसकर्मी खींचें, जो कोविड निगेटिव हों. रणजीत कुमार याचिकाकर्ता की ओर से कहा गया कि ढाई हजार पंडे मंदिर व्यवस्था से जुड़े हैं. सबको शामिल करने से और दिक्कत अव्यवस्था बढ़ेगी.
इस पर सीजे सीजेआई ने कहा कि हमें पता है. ये सब माइक्रो मैनेजमेंट राज्य सरकार की जिम्मेदारी है. केंद्र की गाइडलाइन के प्रावधानों का पालन करते हुए जनस्वास्थ्य के हित मुताबिक व्यवस्था हो. वहीं, तुषार मेहता ने कहा कि गाइडलाइन के मुताबिक व्यवस्था होगी. फिर सीजेआई ने कहा कि आप कौन सी गाइड लाइन की बात कर रहे हैं?
मेहता ने कहा कि जनता की सेहत को लेकर गाइडलाइन का पालन होगा.