नई दिल्ली। चाइनीज पीपल्स लिब्रेशन आर्मी (पीएलए) की ओर से भारत के पेट्रोलिंग पॉइंट पर निगरानी चौकी बनाए जाने की वजह से सोमवार की रात भारत और चीन के सैनिकों के बीच खूनी संघर्ष हुआ, जिसमें भारत के 20 सैनिक शहीद हुए तो चीन के 40 से अधिक सैनिक मारे गए हैं।
यदि इस पोस्ट को हटाया नहीं जाता तो चाइनीज ना केवल काराकोरम की तरफ भारतीय सेना की आवाजाही को देख सकते थे, बल्कि दारबुक-श्योक-दौलतबेग ओल्डी (डीबीओ) रोड पर सेना के वाहनों की आवाजाही को रोकने की क्षमता मिल जाती। सबसे महत्वपूर्ण यह है कि इस पोस्ट को भारतीय सीमा में एलएसी के इस पार बनाया गया था।
विदेश मंत्री एसजयशंकर ने बुधवार को चीनी समकक्ष वांग यी से फोन पर बातचीत के दौरान इस मुद्दे को उठाया, यह स्पष्ट है कि पीएलए की यह सोची समझी प्लान थी, ताकि एलएसी को बदला जा सके और भारतीय सेना को पेट्रोलिंग पॉइंट 14 से हटा दिया जाए। यदि चीनी आर्मी इसमें सफल हो जाती तो यह भारतीय हितों के लिए बहुत बड़ा नुकसान होता।
पॉइंट 14 को भारतीय सेना ने 1978 में स्थापित किया था। एक एक चोटी पर है जहां से गलवान नदी घाटी और गलवान नदी पर नजर रखी जा सकती है, जो श्योक नदी में मिल जाती है। इसी के किनारे भारतीय सेना के इंजिनीयर्स डीएसबीओ रोड का निर्माण कर रहे हैं।
सेना के उच्च अधिकारियों और पूर्व कमांडर्स के साथ बातचीत के बाद ‘हिन्दुस्तान टाइम्स’ को पता चला है कि 6 जून को मिलिट्री कमांडर्स की बैठक में यह तक तय किया गया था कि पॉइंट 14 तक हर पोस्ट पर कितने सैनिक रह सकते हैं। लेकिन जिस समय सैनिकों के पीछे हटने की प्रक्रिया चल रही थी चीनी सैनिकों ने पॉइंट 14 के करीब निगरानी पोस्ट बनाने की कोशिश की। इसका 16 बिहार रेजिमेंट के कमांडिंग ऑफिसर कर्नल संतोष बाबू ने विरोध किया।
सोमवार 15 जून को सूर्यास्त के समय कर्नल संतोष और उनके कंपनी कमांडर पॉइंट 14 पर पहुंचे और पीएलए के अपने समकक्षों को ढांचा हटाने को कहा। दोनों पक्षों में जोरदार बहस होने लगी। दोनों तरफ से और सैनिक पहुंच गए और हाथ-पैर चलने लगे। गलवान नदी के पास चोटी के नीचे चाइनीज पीएलए का बेस कैंप है, वहां से बड़ी संख्या में चीनी सैनिकों हथियारों के साथ पहुंच गए। शुरुआत में भारतीय सैनिकों की संख्या अच्छी खासी थी लेकिन चीनी उनसे अधिक संख्या में आ गए।
चाइनीज विदेश मंत्री ने भारतीय समकक्ष से कहा कि अनुशासन तोड़ने वाले सैनिकों को भारत सजा दे, जबकि सच्चाई यह है कि सीमा रेखा चीनी सैनिकों ने पार की। चीनी सेना वहां निगरानी पोस्ट बनाकर एलएसी को बदलना चाहती थी। झड़प से पहले चीनी अधिकारियों ने भारतीय अधिकारियों से कहा था कि एलएसी पाइंट 14 के पार है। चीन का यह अवैध पोस्ट पॉइंट 14 पर भारत की मौजूदगी को कमजोर कर देता। इससे चीनी सेना को बड़ा अडवांटेज मिल जाता और चीनी सेना भारतीय सेना की मूवमेंट को देख सकती थी और डीबीओ रोड पर आवाजाही को मर्जी के मुताबिक बाधित करने की क्षमता हासिल कर लेती।