नई दिल्ली। दिल्ली के मुख्यमंत्री और आम आदमी पार्टी के मुख्यिा अरविंद केजरीवाल वैसे तो अपनी मुस्लिम परस्त नीति और घटिया राजनीति को लेकर हमेशा ही सुर्खियों में रहते हैं लेकिन कोरोना काल में लॉकडाउन के दौरान उनका जो चरित्र दिल्ली की जनता ने देखा है उसे लेकर अब आम आदमी पार्टी के खिलाफ नफरत का माहौल देखने को मिल रहा है। जब पूरे देश में अनलॉक के पहले दौर की शुरूआत हो चकी है तो केजरीवाल ने दिल्ली की सभी सीमाओं को सील करके आग में घी डालने का काम कर दिया है। जनता से लेकर विपक्षी राजनीतिक दल केजरीवाल के इस कदम की जमकर आलोचना कर रहे हैं।
राजधानी दिल्ली सहित पूरे देश में कोरोना वायरस का संक्रमण कम होने का नाम नहीं ले रहा है। सभी राज्यों की सरकारें अपने अपने राज्य में इस विषम परिस्थिति से लड़ने में कोई कसर नहीं छोड़ रही हैं। लेकिन दूसरी तरफ दिल्ली की केजरीवाल सरकार है जो तमाम डीगें मारने के बावजूद न तो लोगों को कोरोना से बचा पा रही है न ही कोई ऐसी नीति बना सकी है जो सरकार की दूरदर्शिता दर्शाता हो। हैरानी की बात है कि बिजली पानी और महिलाओं की बसों में फ्री यात्रा पर सब्सिडी देकर करोडो रूपए खर्च करने वाले केजरीवाल अब कह रहे हैं कि उनकी सरकार के पास कर्मचारियों को वेतन देने के पैसे नहीं है। केजरीवाल ने केन्द्र से पांच हजार करोड रूपया देने की मांग की है। हैरानी इस बात पर है कि सरकार के कंगाल होने को रोना रो रहे केजरीवाल लॉकडाउन के दौरान भी विज्ञापन पर फिजुलखर्ची करने से बाज नहीं अ रहे हैं।
उन्होंने 22 मार्च को जनता कर्फ़्यू से लेकर 29 मई तक टेलीविजन, प्रिंट और इंटरनेट विज्ञापनों करोडों रूपया खर्च कर दिया।
अस्पतालों बेड और वेंटिलेटर पर नहीं हो रहा खर्च
लोगों आरोप लगा रहे हैं कि केजरीवाल चाहते हैं कि लोग निजी अस्पतालों में इलाज कराएं, जो कोरोना वायरस के इलाज के नाम पर मोटी रकम वसूल रहे हैं। दिल्ली के अस्पतालों में बिस्तरों की भारी कमी है, लेकिन मुख्यमंत्री केजरीवाल झूठ बोल रहे हैं कि 30,000 बेड हैं। जबकि वास्तविकता ये हैं कि दिल्ली के अस्पतालों में केवल 3,150 बिस्तर हैं। दिल्ली के अस्पतालों में नए बेड और वेंटिलेटर पर कितना रुपया खर्च विपक्ष से सवाल पूछ रहा है।
लॉकडाउन में छूट देकर दिल्ली का बनाया मौत का कुंआ
मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल लॉकडाउन चार के बाद जिस तरह एक के बाद एक छूट दी उससे पूरी दिल्ली मौत का कुआं बन गई हैं। कभी केजरीवाल के करीबी रहे कवि कुमार विश्वास ने मुख्यमंत्री केजरीवाल पर लाखों-करोड़ों रुपये की बंदरबांट का आरोप लगाया है और सिर्फ खुद की मार्केटिंग करने की बात कहकर भी निशाना साधा है। कुमार विश्वास ने एक ट्वीट में लिखा है, “लाखों करोड़ की चुनावी-रेवड़ियां, टैक्सपेयर्स के हजारों करोड़ अखबारों में 4-4 पेज के विज्ञापन व चैनलों पर हर 10 मिनट में थोबड़ा दिखाने पर खर्च करके, पूरी दिल्ली को मौत का कुआं बनाकर अब स्वराज-शिरोमणि कह रहे हैं कि कोरोना से लड़ रहे डॉक्टरों को सैलरी देने के लिए उनके पास पैसा नहीं हैं।” इस बार कुमार विश्वास इतने भड़के हुए हैं कि अपने ट्वीट के अंत में (जो कि बिना नाम लिए केजरीवाल के लिए ही है) जूते की इमोजी का भी इस्तेमाल कर दिया।
केजरीवाल को टीवी पर सुबह-शाम खुद का चेहरा देखने का नशा
कभी केजरीवाल के करीबी रहे एक दूसरे नेता कपिल मिश्रा जो वर्तमान में बीजेपी में हैं उन्होंने आरोप लगाया है कि केजरीवाल को टीवी पर सुबह शाम सिर्फ खुद का चेहरा देखने का नशा है। अखबारों में सिर्फ खुद की फ़ोटो का नशा, रेडियो पर सिर्फ खुद की आवाज का नशा है। विज्ञापनों में करोड़ो-अरबों फूंक कर नशे में मस्त केजरीवाल कर्मचारियों को सैलरी देने के लिए पैसा नहीं होने का रोना-रो रहे हैं।
फिजूलखर्ची की ये हालत तब है जब केजरीवाल खुद कह रहे हैं कि कोरोना व लॉकडाउन की वजह से दिल्ली सरकार का टैक्स कलेक्शन क़रीब 85% नीचे चल रहा है।
केजरीवाल से दिल्ली की जनता इसलिए भी नाराज है कि लॉकडाउन शुरू होंने के बाद उन्होंने दिल्ली में रहने वाले प्रवासी मजदूरों को साजिश के तहत बसों में भरकर बार्डर पर भेज दिया और दिल्ली के हालात बिगाड दिए। दरअसल जिन प्रवासी मजदूरों को कई तरह के लालच देकर उन्होने सरकार बनायी थी लॉकडाउन में उन्हें राशन और कोई सहायता न देनी पडे इसलिए उन्होंने प्रवासी मजदूरों को दिल्ली से भगाने का षडयंत्र रचा।
एक खास समुदाय को मिला राशन और खाने का सामान
सोशल मीडिया पर पिछले दिनों वायरल हुई कुछ वीडियों और आडियों क्लिप देखकर दिल्ली की जनता को इस बात का भी पता चल गया है कि केजरीवाल सरकार ने जो राशन और भोजन वितरण किया वह सब कुछ खास इलाकों और एक खास समुदाय के लोगों के बीच वितरित किया। कुछ दूसरे इलाकों में सरकारी रसोई से जो खाना वितरित भी किया गया उसकी क्वालिटी बेहद खराब थी और वह सडा हुआ था।
राशन कार्ड बनाने में भी साजिश
कोरोना की आड में दिल्ली सरकार पर रोहिग्याओं के राशन करार्ड बनाने और उन्हें सरकारी जमीनों पर बसान के आरोप लग रहे हैं। कांग्रेस और बीजेपी आरोप लगा रही है कि केजरीवाल ने दिल्ली में अवैध रूप से बसे रोहिग्ंया समुदाय के लाखें लोगों के प्रवासी मजूदरों के नाम पर राशन कार्ड बना दिए। इतना ही नहीं उन्हें कई इलाकों सरकारी भवनों, स्कूलों और मैट्रो पिलर्स के नीचे बसाने का काम भी कर दिया।
अस्पतालों के बेड को लेकर झूठ
केजरीवाल सरकार ने एक दिन पहले ही एक ऐप लांच किया है जिसमें बताया गया है कि दिल्ली में कोरोना मरीजों के लिए कितने बेड है और उनमें से किस अस्पातल में कितने उपलब्ध है। लेकिन यहां भी केजरीवाल झूठे साबित हुए क्योकि न तो इस ऐप से कोई सही जानकारी मिल रही है और न ही ऐप में बताए गए सरकारी अस्पताल लोगों को भर्ती करने की सही जानकारी दे रहे हैं।
दिल्ली की सीमा को सील करने का तुगलकी फरमान
जब केन्द्र सरकार ने लॉकडाउन पांच की घोषणा और अनलॉक 1 की गाइडलाइन जारी की तो केजरीवाल ने अचानक दिल्ली की सभी सीमाओं को सील करके दूसरे राज्यो से दिल्ली आने वालो लोगों की एंट्री बंद कर दी। दरअसल इसके पीछे भी केजरीवाल की एक सोची समझी चाल है। अगर वे ऐसा नहीं करते तो दिल्ली के अस्पतालों की पोल खुल सकती थी। इसलिए उन्होंने दिल्ली वासियों से राय लेने के बहाने एक सप्ताह के लिए दिल्ली की सीमा सील कर दी। केजरीवाल ने एक सोची समझी रणनीति अपनायी हुई है कि अपने फैसले को जनता का फैसला बताकर लागू कर दो । हर मामलें में वे दिल्ली की जनता से राय लेने के बहाने ईमेल, वाटसएप और पोल के जरिए सुझाव मांगते है कि क्या किया जाए और क्या नहीं। इसके बाद लाखों की तादाद में उनकी पार्टी के वालंटियर वहीं सुझाव भेज देते हैं जो केजरीवाल चाहते हैं। दिल्ली की सीमा सील करने के पीछे भी उन्होंने सही रणनीति अपनायी कि दिल्ली के अस्पताल कोरोना संकट रहने तक सिर्फ दिल्ली की जनता के इलाज के लिए रिजर्व रहे या नहीं। जहिर है कि इस बात भी सुझाव उनके मन माफिक ही आयेंगे।
कैसे रोक सकते है दिल्ली में आवागमन
दिल्ली देश की राजधानी है और यहां केन्द्र सरकार के दफ़तरो से लेकर केन्द्र द्वारा संचालित बड़े अस्पताल, इंस्ट्रीट्यूट और दूसरे संस्थान है। इनमें काम करने वाले अधिकांश लोग दिल्ली से सटे यूपी व हरियाणा के सीमावर्ती जिलों में रहते हैं। ऐसे में केजरीवाल किस अधिकार से लोगों को एम्स या केन्द्र द्वारा संचालित अस्पतालों में इलाज के लिए जाने से रोक सकते हैं। एक के बाद एक केजरीवाल की घटिया हरकतों के बाद अब देश के लोग सवाल उठा रहे हैं कि केजरीवाल आखिर चाहते क्या हैं।