सुनील वर्मा
नई दिल्ली। देश में तेजी से बढ़ रहे कोरोना वायरस के मामलों में बडी भूमिका उन राज्यों की है जहां गैर बीजेपी दलों की सरकार हैं। ये बात एक स्टडी में सामने आयी है। साथ ही ये तथ्य भी सामने आया है कि इन राज्यों में कोरोना पर नियंत्रण के लिए प्रभावी नीति का इस्तेमाल नहीं किया गया।
बीजेपी शासित राज्यों में सरकारों ने लॉकडाउन के कडाई से पालन के साथ कोरोना वायरस के खिलाफ प्रभावी कदम उठाए जिससे वहां महामारी अड़े स्तर पर अपने पांव नहीं पसार सकी।
देश के सबसे बड़े राज्य उत्तर प्रदेश में तो करीब पच्चीस करोड से अधिक की आबादी के बावजूद कोरोना संक्रमण के मामलें 6 हजार से भी कम है जबकि 2 करोड से कम आबादी वाले दिल्ली में ये आंकडा 11 हजार से अधिक पहुंच गया है।
दरअसल माना जा रहा है कि गैर बीजेपी शासित राज्यों ने अल्पसंयख्यक समुदाय को खुश करने के लिए लॉकडाउन का कडाई से पालन नही कराया और संक्रमित लोगों के उपचार की उचित देखभाल नहीं की जिससे ये मामले इन राज्यों में तेजी से बढे हैं। देश में 23 मई तक कोरोना के कुल 1 लाख 18 हजार 447 मामलें थे जिनमें 48534 मरीज ठीक हो चुके हैं जबकि 3583 लोगों की मौत हुई है। इनमें लगभग 63 फीसदी मामलें गैर बीजेपी शासित राजयों से हैं। एक नजर डालते है कि उन राज्यों में कोरोना मरीजों की तादाद कितने है जहां गैर भाजपा सरकारें हैं।
गैर भाजपा शासित 11 राज्यों में कोरोना मरीजो की संख्या देखिए ..
छत्तीसगढ़ 128 | आंध्र प्रदेश 2647 |
केरल 690 | महाराष्ट 41,642 |
ओडिशा 1103 | पंजाब 2028 |
राजस्थान 6227 | तमिलनाडु 13,967 |
तेलंगाना 1699 | प.बंगाल 3197 |
दिल्ली (केंद्र शासित प्रदेश) 1659 | इन राज्यों में कुल मामलें 74,987 |
देश में कुल मामलें 1,18,447 |
मतलब साफ है कि देश में कोरोना काल में भी जमकर राजनीति हो रही है। विपक्ष पर पीएम मोदी के विरोध का जुनून इस कदर सवार है कि इन राज्यो ने, लॉकडाउन को गंभीरता से नही लिया और अपने प्रदेश की जनता का जीवन खतरे में डाल दिया और तमाम आरोप पीएम मोदी के सिर मढ दिए। अब चूंकि देश में चौथे लॉकडाउन का अंतिम चरण शुरू होंने वाला है और हे सकता है इसके बाद लॉकडाउन पूरी तरह हट जाए। ऐसे में इस बात की कल्पना करना भयावह हो सकता है जब देश में कोरोना के मामलें और भी तेजी से बढे़गें।