नई दिल्ली: सबसे लंबे समय तक हिज्बुल मुजाहिदीन के कमांडर रहे आतंकी रियाज नायकू और उसके एक सहयोगी को सुरक्षाबलों ने मार गिराया है. बुधवार को रियाज नायकू के पैतृक गांव, पुलवामा जिले के बेगपोरा में सुरक्षाबलों और आतंकवादियों के बीच मुठभेड़ शुरू हुई थी. जिसमें रियाज नायकू मारा गया है. रियाज नायकू पर 12 लाख का इनाम था.नायकू को जिस जगह पर मारा गया, वहां स्थानीय लोगों ने पत्थरबाजी शुरू कर दी है. मुठभेड़ स्थल के आसपास के इलाके में पथराव किए जाने की सूचना है. आतंकी नायकू के मारे जाने के बाद अवंतीपोरा सहित पूरे कश्मीर के हालात पर केंद्रीय गृह मंत्रालय की कड़ी नजर है. गृह मंत्रालय कानून-व्यवस्था को लेकर जम्मू-कश्मीर पुलिस के संपर्क में है. घाटी की स्थिति के बारे में पुलिस महानिदेशक दिलबाग सिंह का कहना है कि हालात नियंत्रण में है और चिंता की कोई बात नहीं है.
रियाज नायकू घाटी में मोस्ट वांटेड आतंकी था. 35 साल का नायकू गणित का टीचर रह चुका है. हिज्बुल मुजाहिद्दीन के पोस्टर बॉय बुरहान वानी के मारे जाने के बाद नायकू तेजी से उभरा. इसके बाद एक और आतंकी सद्दाम पोद्दार के मारे जाने बाद उसे संगठन का कमांडर बनाया गया था. कानून और व्यवस्था की स्थिति के मद्देनजर सुरक्षाबलों ने इलाके में इंटरनेट सेवा बंद कर दी है.
बुरहान की तरह, नायकू भी सोशल मीडिया का इस्तेमाल करता था. सेना की हिटलिस्ट में वह नंबर एक पर आ गया था. नायकू कश्मीरी आतंकवाद का भारतीय चेहरा था.
नायकू भागने और छुपने में बहुत माहिर था. कई मुठभेड़ों में बेहद करीब होते हुए भी वह हमेशा बच निकलने में कामयाब रहा. लेकिन मंगलवार की रात को बहुत सटीक ‘खुफिया सूचना’ पर उसे घेर लिया गया. संभावित सुरंगों या भूमिगत ठिकाने के बारे में जानकारी मिलने के बाद कई क्षेत्रों, रेलवे पटरियों को खोदा गया था. मंगलवार रात कॉर्डन सर्च ऑपरेशन शुरू किया था और यह सुबह तक चलता रहा. सुबह नौ बजे आतंकवादियों से सामना हुआ और मुठभेड़ शुरू हो गई..
कथित तौर पर अपनी मां के बीमार होने के बाद नायकू अपने पैतृक गांव आया था. नायकू के अभी तक जिंंदा बचे रहने का कारण था कि उसे अपने बेहद क्लोज ग्रुप के अलावा किसी और पर भरोसा नहीं था. सुरक्षाबलों ने 2018-2019 में उसे घेरने के लिए कड़ी मेहनत की, लेकिन वह सुरक्षाबलों के साथ लुका-छिपी खेलता रहा.
सुरक्षाबलों ने उसके कई करीबियों को ट्रैक किया था. एक अधिकारी ने बताया कि एक बार उसने अपने किसी चाहने वाले को एक संदेश भेजा, जिसमें लिखा था, “तुम मुझे चिनार के पेड़ की याद दिलाते हो.” लेकिन जब भी घेरा बिछाया गया, नायकू बचकर निकलने में कामयाब रहा.
एक बार और ऐसा हुआ जब उसने एक शीर्ष अधिकारी को धोखा दिया था. उसने कहा था कि वह 2018 में आत्मसमर्पण करेगा. लेकिन उसने ऐसा नहीं किया. यह जानबूझकर किया गया एक छलावा था.
हालांकि, नायकू का मारा जाना हिज्बुल मुजाहिद्दीन के लिए एक बड़ा झटका है. लेकिन सुरक्षाबलों के खाते में आई एक बड़ी सफलता है. नायकू ने इस साल घाटी में दर्जनों युवकों की भर्ती की थी. कश्मीर घाटी में उसने कम से कम एक दर्जन युवकों को हिज्बुल में शामिल कराया था.