नई दिल्ली। रेलवे ने लॉकडाउन शुरू होने के बाद से पहली बार शुक्रवार को किसी पैसेंजर ट्रेन को चलाई। यह स्पेशल ट्रेन तेलंगाना के लिंगमपल्ली में फंसे 1,200 प्रवासियों को झारखंड के हटिया तक ले जाने के लिए रवाना की गई, जो रात करीब 11 बजे हटिया पहुंचेगी। ध्यान दें, यह स्पेशल ट्रेन है। अभी सिर्फ यही एक ट्रेन चलाई गई है, बाकी जगहों पर ट्रेनें नहीं चल रही हैं। रेलवे पहले ही स्पष्ट कर चुका है कि बिना केंद्र सरकार के निर्देश के ट्रेनों को चलाने का सवाल ही नहीं है।
आरपीएफ के डीजी अरुण कुमार ने बताया, ’24 बोगियों वाली यह ट्रेन शुक्रवार सुबह 4 बजकर 50 मिनट पर रवाना हुई।’ उन्होंने बताया कि यह प्रवासियों के लिए अब तक चलने वाली पहली ट्रेन है। संयोग से शुक्रवार को अंतरराष्ट्रीय मजदूर दिवस भी है।
दो दिन पहले ही केंद्र ने राज्यों को दूसरे राज्यों में लॉकडाउन के दौरान फंसे अपने यहां के प्रवासियों को निकालने को हरी झंडी दी थी। हालांकि, प्रवासियों को सिर्फ बसों से ले जाने की इजाजत है लेकिन कई राज्य केंद्र से इसके लिए स्पेशल ट्रेन चलाने की मांग कर चुके हैं।
केंद्र की गाइडलाइंस के मुताबिक प्रवासियों को बसों से ही ले जाया जा सकता है। उन्हें बैठाने में भी सोशल डिस्टेंसिंग का ख्याल रखना है। महाराष्ट्र ने तो तय कर दिया है कि प्रवासियों को ले जाने वाली बसों में 30 से ज्यादा लोग नहीं बैठ सकते। इससे प्रति व्यक्ति लाने का खर्च भी बहुत ज्यादा होगा।
यही वजह है कि पंजाब, बिहार जैसे कई राज्यों ने केंद्र से प्रवासियों को लाने-ले जाने के लिए स्पेशल ट्रेनों को चलाने की मांग की है। पंजाब के मुख्यमंत्री अमरिंदर सिंह ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को खत लिखकर कहा है कि फंसे हुए मजदूर इतनी बड़ी संख्या में हैं कि उन्हें बसों के जरिए नहीं ले जाया जा सकता। उन्होंने इसके लिए ट्रेनों को चलाने की मांग की है।
इसी तरह बिहार के डेप्युटी सीएम सुशील मोदी ने भी ऐसी ही मांग की है। उन्होंने कहा, ‘बड़ी संख्या में प्रवासी चेन्नै, बेंगलुरु और मुंबई जैसी जगहों पर हैं जो बहुत दूर हैं। बसों को वहां जाने और फिर वहां से लौटने में कम से कम 6 से 7 दिन लग सकते हैं। इसलिए इतने बड़े पैमाने पर लोगों को बसों से लाना व्यावहारिक नहीं है। इसमें एक महीने से ज्यादा वक्त लग जाएगा।’