प्रयागराज: इलाहाबाद हाईकोर्ट ने कोरोना की भयावहता को देखते हुए 20 अप्रैल से जिला अदालतों को खोलने के फैसले को वापस ले लिया है। हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश गोविंद माथुर ने 20 अप्रैल से अदालतों को शुरू करने के निर्णय पर रोक लगाते हुए इसे बढ़ाकर 27 अप्रैल कर दिया है। अब 27 अप्रैल तक अदालतें केवल अतिआवश्यक मुकदमों की ही सुनवाई करेंगी। अदालतें आम लोगों के लिए बंद रहेंगी। 2020 में प्रदेशभर के न्यायिक अधिकारियों के ट्रांसफर और पोस्टिंग पर भी रोक लगाई गई है।
सरकार की गाइडलाइन का पालन करना होगा
महानिबंधक अजय कुमार श्रीवास्तव ने सभी जिला न्यायाधीशों/पीठासीन अधिकारियों को आदेश जारी कर इसका कड़ाई से पालन करने का निर्देश दिया है। 18 अप्रैल को कोरोना वायरस से पीड़ित जिलों को छोडकर प्रदेश की जिला अदालतों को खोलने का निर्णय लिया गया था। किन्तु प्रतिकूल रिपोर्ट आने के बाद अदालतों को खोलने का निर्णय वापस ले लिया गया है। अब इस संबंध में 27 अप्रैल को आगे की कार्य योजना पर विचार कर निर्णय लिया जाएगा। राज्य सरकार की ओर से जारी दिशा निर्देशों का पालन करना अनिवार्य होगा, जिसमें कर्मचारियों की उपस्थिति व शारीरिक दूरी की गाइडलाइन दी गई है।
हाईकोर्ट में अति आवश्यक मुकदमों की सुनवाई ई-फाइलिंग से
हाईकोर्ट में ई-फाइलिंग प्रक्रिया के जरिए अति आवश्यक मुकदमों की ही सुनवाई होती रहेगी। किसी भी अधिवक्ता या मुंशी को न्यायालय परिसर में प्रवेश की अनुमति नहीं रहेगी, जो अधिवक्ता याचिका दायर करना चाहते हैं उन्हें ई-मेल के जरिए शीघ्र सुनवाई की सकारण अर्जी देनी होगी। पासवर्ड के साथ कार्यालय द्वारा अधिवक्ता के जरूरी सूचना दी जाएगी। यह व्यवस्था अगले आदेश तक अनवरत जारी रहेगी।
इस साल नहीं होंगे प्रदेश के न्यायिक अधिकारियों के तबादले
हाईकोर्ट ने कोरोना महामारी के कारण उत्पन्न परिस्थितियों को देखते हुए इस साल न्यायिक अधिकारियों के स्थानांतरण पर रोक लगा दी है। महानिबंधक अजय कुमार श्रीवास्तव प्रदेश के सभी जिला जजों को भेजे गए पत्र में कहा है कि महामारी के संक्रमण और लॉकडाउन से उत्पन्न स्थिति के कारण राज्य सरकार के सामने आर्थिक संकट आ खड़ा हुआ है। इस स्थिति में 2020 में प्रदेशभर के न्यायिक अधिकारियों के ट्रांसफर और पोस्टिंग पर रोक लगाई जा रही है। अब अधिकारियों के ट्रांसफर पोस्टिंग 2021 में ही किए जाएंगे। महानिबंधक ने जिला जजों से इसकी सूचना सभी न्यायिक अधिकारियों, कामर्शियल कोर्ट के पीठासीन अधिकारियों, मोटर एक्सीडेंट ट्रिब्यूनल के पीठासीन अधिकारियों और लैंड एग्जीविशन रिहैबिलिटेशन एंड रिसेटेलमेंट अधिकारियों को भी देने का निर्देश दिया है।