नई दिल्ली: चीन के गोंगझाउ एयरपोर्ट से गुरुवार सुबह कोरोना वायरस के इलाज में इस्तेमाल होने वाली किट्स की खेप रवाई की गई. इस खेप में 650,000 टेस्टिंग किट्स शामिल हैं. इसके अलावा चीन से भारत के लिए रवाना इस खेप में रैपिड एंडीबॉडी टेस्ट और आरएनए एक्सट्रैक्शन किट्स भी शामिल है. चीन में भारत के राजदूत विक्रम मिसरी ने इसकी जानकारी दी.
इस बीच दुनिया भर के कई देशों ने चीन से मंगाए जाने वाले सामान पर घटिया क्वालिटी के हाने का आरोप लगाया है. हालांकि भारत की तरफ से ऐसी कोई शिकायत सामने नहीं आई है लेकिन यूरोप के कई देशों ने इस पर चिंता जताई है. कोरोना वायरस की जांच में लगने वाले उपकरण या स्वास्थ्यकर्मियों की सुरक्षा किट पर उठे सवाल को लेकर चीन ने कहा है कि ऐसे सामान उन्हीं कंपनियों से आयात किए जाएं जिन्हें चीन सरकार की ओर से इजाजत मिली हो. इन कंपनियों में घटिया सामान होने की संभावना कम है. चीन ने यह भी कहा है कि जिन कंपनियों पर आरोप सही पाए जाएंगे, उनके खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाएगी.
बता दें, दो महीने कोरोना महामारी से जूझने के बाद चीन की कई फैक्ट्रियों में उत्पादन शुरू हो गया है. बाकी दुनिया में काम ठप पड़ा है और उत्पादन का काम भी लगभग ठहर गया है. इसे देखते हुए चीन ज्यादा से ज्यादा उत्पादन कर दुनिया को बेचना चाहता है. कोरोना वायरस की ऐसी हालत में दुनिया के अधिकांश देशों को मेडिकल उपकरण की जरूरत है. इनमें वेंटिलेटर्स और पर्सनल प्रोटेक्शन किट (पीपीई) की भूमिका काफी अहम है जिसे चीन पूरी दुनिया में सप्लाई कर रहा है. दुनिया के अन्य देशों की तरह भारत भी चीन से आयात कर रहा है. इस काम में भारत की सरकारी और प्राइवेट दोनों कंपनियां लगी हैं.
इटली और स्पेन जैसे देशों ने चीन पर आरोप लगाया है कि वहां से आयात होने वाले मेडिकल उपकरण घटिया क्वालिटी के हैं. पीपीई, टेस्टिंग किट्स और वेंटिलेटर्स की क्वालिटी पर सवाल उठने के बाद चीन के निर्यात पर भी हल्का असर देखा जा रहा है. इस आरोप पर विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता झाओ लिजिय ने कहा कि चीनी सरकार इन शिकायतों पर गौर कर रही है और जल्द इस पर कड़ी कार्रवाई की जाएगी. दूसरी ओर चीन में भारत के राजदूत विक्रम मिसरी ने कहा कि भारत ने 15 मिलियन पर्सनल प्रोटेक्शन किट का ऑर्डर दिया है. इस किट का इस्तेमाल भारत में कोरोना वायरस के इलाज में होगा. इससे पहले भी टेस्टिंग किट्स के ऑर्डर दिए जा चुके हैं.