दिल्ली

दिल्ली के श्मशान गृहों में लकड़ियों की कमी, दाह संस्कार में भी हो रही मुश्किल

नई दिल्ली। लॉकडाउन का असर हर अगली चीज पर पड़ा है. राजधानी दिल्ली के श्मशान गृह भी इससे अछूते नहीं हैं. ट्रांसपोर्टेशन बंद होने से दिल्ली के श्मशान गृहों में लकड़ियों की भारी कमी हो गई है. जिससे शवों का दाह संस्कार भी मुश्किल से हो पा रहा है. यहां काम करने वाले कर्मचारियों को भी अब लॉकडाउन के जल्द से जल्द खुलने का इंतजार है.

शनिवार को विशेष खबर की टीम ने पंचकुइयां रोड स्थित उत्तरी दिल्ली नगर निगम के अधीन आने वाले श्मशान गृह का जायजा लिया. यहां काम करने वाले कमर्चारियों से जब काम के विषय में पूछा गया तो उन्होंने अपनी लकड़ियों से जुड़ी परेशानियां सामने रखीं.
‘लकड़ियों की भारी कमी’श्मशान गृह के कर्मचारियों ने बताया कि यहां लकड़ियों की भारी कमी है. कमी को देखते हुए संस्कार में लगने वाली लकड़ियों को घटा दिया है. पहले जहां 4 कुंटल लकड़ियों से एक शव को जलाया जाता था. वहीं अब 3 या साढ़े 3 कुंटल लकड़ियों में ऐसा करना पड़ रहा है. इससे न तो शव ठीक से जल पाता है और न ही परिजन ही संतुष्ट हो पाते हैं.

उन्होंने आगे बताया कि ट्रांसपोर्ट बंद हो जाने से लकड़ियां नहीं आ पा रही हैं. जिन एसेंशियल चीजों को इसमें छूट है, उनमें लकड़ियां नहीं हैं. इसके लिए स्पेशल परमिशन भी ली जाए तो उसमें भी कई झंझट हैं.पास बनवाने के लिए एक ट्रक का नंबर देना पड़ता है. लेकिन इसके लिए एक ट्रक फिक्स नहीं किया जा सकता. ऐसे में समन्यवय कर ड्राइवर को पास देना भी बड़ी चुनौती है. इससे अलग, दूसरे राज्यों से आने वाली लकड़ियां भी बंद हैं.

‘शव कम आने से राहत’श्मशान घाट के पंडित ने बताया कि लकड़ियों की कमी के बावजूद राहत की बात ये है कि श्मशान घाट में आने वाले शवों की संख्या में गिरावट है. पहले जहां रोजाना 5 से 8 शव आते थे. वहीं अब 1-2 या किसी दिन एक भी शव नहीं आता है.ये किसी एक श्मशान का नहीं बल्कि दिल्ली के हर श्मशान का हाल है. निगमबोध घाट, पंजाबी बाग और लोधी रोड जैसे श्मशान गृहों में आने वाले शवों की संख्या में 30 से 40 फीसदी तक की गिरावट आई है. इसका एक कारण है कि रोड एक्सीडेंट और लड़ाई झगडों में मरने वालों की संख्या घट गई है. वहीं लोग संस्कार के लिए अपने नजदीक का श्मशान भी देख रहे हैं.

‘सामान्य स्थिति की उम्मीद’श्मशान गृह में काम करने वाले लोग अब सामान्य स्थिति की उम्मीद लगाए बैठे हैं. उनका कहना है कि इस बंद के चलते वे अपने घर भी नहीं जा पा रहे हैं और उन्हें उम्मीद है कि जल्द से जल्द लॉकडाउन खुल जाएगा.

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