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लॉकडाउन की धजिजयां उडाकर महाबलेश्वर पहुंचे पीएफ घोटाले वाली DHFL कंपनी के वधावन बंधु

मुंबई: कोरोना वायरस महामारी को मात देने के लिए पूरे देश में इस वक्त लॉकडाउन लगा हुआ है. करीब 100 करोड़ से अधिक लोग अपने घरों में हैं और सरकार के निर्देशों का पालन करने की कोशिश कर रहे हैं. लेकिन इस बीच महाराष्ट्र में लॉकडाउन में वीआईपी ट्रीटमेंट के मामले ने पूरी व्यवस्था पर ही सवाल खड़े कर दिए हैं. दीवान हाउसिंग फाइनेंस लिमिटेड (DHFL) के प्रमोटर कपिल और धीरज वधावन अपने परिवार के साथ लॉकडाउन तोड़ महाबलेश्वर घूमने पहुंचे, जिसके बाद अब प्रशासन से लेकर सरकार तक सवालों के घेरे में है.

क्या है पूरा मामला?

Simon on Twitter: "Today we celebrated the generosity of the ...
DHFL प्रमोटर कपिल वधावन, परिवार के साथ

दरअसल, DHFL के प्रमोटर वधावन बंधु महाबलेश्वर घूमने गए थे, यहां उनके साथ परिवार के सदस्य और कुछ सहायक भी थे. जब वो महाबलेश्वर में मौजूद अपने बंगले पर पहुंचे, तो वहां आस-पास के लोगों ने उनके आने की सूचना पुलिस को दी. जिसके बाद जब पुलिस वहां पर पहुंची और तो उनसे इनका कारण पूछा.

सूत्रों की मानें, तो पुलिस के सवालों पर वधावन बंधुओं की ओर से मेडिकल इमरजेंसी का कारण बताया. लेकिन पुलिस ने बाद में सभी को क्वारनटीन में ले लिया और लॉकडाउन उल्लंघन का केस भी दर्ज किया गया. सभी 23 लोगों पर सेक्शन 188 के अलावा सेक्शन 51 के तहत केस दर्ज किया गया है.

परमिशन वाली चिट्ठी पर खड़े हुए सवाल

जब ये मामला चर्चा में आया तो विपक्ष की ओर से उद्धव सरकार पर हमला तेज हो गया. पूर्व मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने भी इस तरह के वीआईपी ट्रीटमेंट पर सवाल खड़े किए. इस बीच जांच में पता लगा कि वधावन बंधु सरकार की तरफ से ही इजाजत मिलने के बाद महाबलेश्वर घूमने के लिए गए थे.जब पुलिस ने वधावन बंधुओं से महाबलेश्वर आने का कारण पूछा तो उनकी ओर से एक चिट्ठी दिखाई गई. ये चिट्ठी महाराष्ट्र के प्रिंसिपल सेक्रेटरी (होम) अमिताभ गुप्ता की थी, जो 8 अप्रैल को जारी की गई थी.

जिसमें लिखा गया था कि वधावन परिवार उनके जान-पहचान वाले हैं, वह किसी पारिवारिक इमरजेंसी की वजह से महाबलेश्वर जा रहे हैं, ऐसे में उन्हें जाने दिया जाए. लेकिन जब पुलिस उनके फार्म हाउस पर पहुंची तो ऐसी कोई परिस्थिति नहीं थी.

विपक्ष ने आरोप लगाया, उद्धव ने लिया संज्ञान

इस पूरे मामले पर जब विवाद बढ़ने लगा तो देवेंद्र फडणवीस की ओर से सरकार पर आरोप लगाए गए, जिसमें उन्होंने वीआईपी ट्रीटमेंट की बात उठाई. इस बीच विवाद बढ़ता देख महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे भी एक्टिव हुए, उन्होंने तुरंत महाराष्ट्र पुलिस के डीजीपी से बात की और पूरे मामले का संज्ञान लिया.

इसी के बाद महाराष्ट्र के गृह मंत्री अनिल देशमुख ने जानकारी दी कि इस मामले की पूरी जांच होने तक अमिताभ गुप्ता को छुट्टी पर भेज दिया गया है और अब उनकी चिट्ठी की जांच की जा रही है. गौरतलब है कि महाराष्ट्र में कोरोना वायरस के सबसे अधिक मामले पाए गए हैं, ऐसे में अगर इस तरह की लापरवाही सामने आती है तो कई तरह के सवाल खड़े होते हैं.

इसलिए सुर्खियों में है डीएचएफसीएल

आपकों बता दें कि दीवान हाउसिंग फाइनेंस लिमिटेड वहीं कंपनी है जिस पर उत्त़र प्रदेश पॉवर कारपोरेशन के करोडो रूपए जालसाजी से हडपने का आरोप है। साल 2017 से अब तक यूपीपीसीएल ने 4,100 करोड़ रुपये से ज्यादा का रिटायरमेंट फंड हाउसिंग फाइनेंस कंपनी दीवान हाउसिंग फाइनेंस लिमिटेड में निवेश किया गया। इसमें से यूपीपीसीएल को केवल 1,855 करोड़ रुपये ही मिले हैं।

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कंपनी ने दो अफसरों की मिलीभगत से नियमों की धज्जियां उड़ाते हुए कर्मचारियों के भविष्य निधि के चार हजार करोड़ रुपये दीवान हाउसिंग फाइनेंस कॉरपोरेशन लिमिटेड (डीएचएफसीएल) में निवेश कर दिए थे। अब भी इस कंपनी में कर्मचारियों के 2268 करोड़ रुपये फंसे हुए हैं। ये मामला तब सुर्खियों में आया जब डीएचएफसीएल पर वित्ती संकट की खबरे बाहर आने लगी और कंपनी के खिलाफ इ्रडी जे जांच शुरू कर दी। फिलहाल ये कंपनी दिवालिया होंने की प्रक्रिय से गुजर रही है।

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