नई दिल्ली : राष्ट्रीय बाल अधिकार सुरक्षा आयोग ने जानकारी दी कि मंगलवार को उसे कोरोना वायरस के हाहाकार के बीच भी शाहीन बाग में छोटे बच्चों को लेकर बैठ रही महिलाओं के खिलाफ शिकायत मिली है। बता दें कि महिलाएं यहां महीनों से सीएए कानून के खिलाफ धरने पर बैठी हैं। बता दें कि बुधवार को लोकसभा में भी शाहीन बाग की महिलाओं को हटाने को लेकर चर्चा हुई थी।
कोरोना वायरस के खतरे और दिल्ली सरकार द्वारा दी गई सलाह के बावजूद शाहीन बाग में मंगलवार को करीब 500 से अधिक महिलाएं धरनास्थल पर एक दूसरे से सटकर बैठी हुई नजर आईं। प्रदर्शन स्थल पर मौजूद इन महिलाओं का कहना है कि उनके स्वास्थ्य की जिम्मेदारी सरकार की है। खास बात यह रही कि प्रदर्शन स्थल पर न तो महिलाओं के लिए हाथ धोने की कोई व्यवस्था है न ही इस दौरान किसी ने अपना मुंह ढका है और न ही कोरोना वायरस से बचने का कोई और इंतजाम यहां किया गया है।
प्रदर्शन में मौजूद सोफिया ने कहा, “हमें कोरोना वायरस और सीएए एवं एनआरसी दोनों से ही लड़ना है। इस लड़ाई में हमारे लिए कोरोना वायरस से ज्यादा खतरनाक एनआरसी और सीएए है। इसलिए सीएए के खिलाफ हमारी यह लड़ाई लड़ाई जारी रहेगी। बीमार होने के डर से हम अपने आंदोलन को छोड़कर घर नहीं बैठ सकते।”
प्रदर्शन में मौजूद रुखसत ने प्रदर्शनकारी महिलाओं को संबोधित करते हुए कहा, “दिल्ली सरकार ने दिल्ली में अलग-अलग स्थानों पर मोहल्ला क्लीनिक खोले हैं। सरकार को अगर हमारी इतनी ही चिंता है, तो शाहीन बाग में भी धरनास्थल के पास एक मोहल्ला क्लीनिक खोल दे।” कोरोना वायरस को लेकर दी जा रही चेतावनी के बावजूद यहां शाहीनबाग में मंगलवार (17 मार्च) को सैकड़ों प्रदर्शनकारी एक दूसरे से सटकर कर बैठे रहे। इस दौरान उन्होंने जमकर नारेबाजी भी की। प्रदर्शनकारियों ने बिना साबुन से हाथ धोए दोपहर का भोजन भी यही धरनास्थल पर किया।