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MP मामले पर SC का राज्य सरकार, कांग्रेस और बागी विधायकों को नोटिस, कल होगी सुनवाई

दिल्ली। मध्य प्रदेश के मामले में मंगलवार को सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हुई. अदालत ने अभी राज्य सरकार, स्पीकर और बागी विधायकों को नोटिस जारी किया है, जिसपर कल सुनवाई होगी. मध्य प्रदेश में पिछले दो हफ्तों से जारी सियासी घमासान अपने चरम पर है. सोमवार को विधानसभा की कार्यवाही शुरू हुई लेकिन बहुमत परीक्षण नहीं हो पाया. विधानसभा की कार्यवाही को 26 मार्च तक के लिए स्थगित कर दिया, हालांकि राज्यपाल लालजी टंडन की ओर से कमलनाथ सरकार को 17 मार्च तक बहुमत साबित करने को कहा गया.

बीजेपी की ओर से मुकुल रोहतगी ने अदालत में कहा कि ये पूरा मामला लोकतंत्र को जीवित रखने को लेकर है, लेकिन दूसरा पक्ष इस मामले में कृतज्ञता नहीं दिखा रहा है.
इस दौरान जस्टिस चंद्रचूड़ ने कहा कि उन्हें उम्मीद है कि मीडियाकर्मियों को कोर्ट में आने से नहीं रोका गया होगा, जिसपर उन्हें जानकारी दी गई कि कुछ मीडियाकर्मियों को अदंर आने की इजाजत है. बागी कांग्रेस विधायकों की तरफ से पूर्व ASG मनिंदर सिंह पेश हुए.

बागी विधायक बोले- हमारे नेता ज्योतिरादित्य सिंधिया
इसीी बीच पिछले कई दिनों से कर्नाटक के बेंगलुरु में रुके हुए कांग्रेस के बागी विधायकों ने मंगलवार को मीडिया से बात की. बागी विधायकों का कहना है कि हमारे नेता ज्योतिरादित्य सिंधिया हैं. हालांकि, विधायकों का कहना है कि अभी उन्होंने बीजेपी में जाने पर फैसला नहीं लिया है, वे इसपर विचार करने के बाद फैसला करेंगे.

इससे पूर्व राज्यपाल लालजी टंडन ने मुख्यमंत्री कमलनाथ को पत्र लिखकर आज ही फ्लोर टेस्ट कराने को कहा है. अपने पहले निर्देश का पालन नहीं किये जाने पर मध्यप्रदेश के राज्यपाल लालजी टंडन ने मुख्यमंत्री कमलनाथ को पुन: एक पत्र लिखकर मंगलवार यानी 17 मार्च तक सदन में शक्ति परीक्षण करवाने एवं बहुमत सिद्ध करने के निर्देश दिए हैं.

राज्यपाल ने मुख्यमंत्री से कहा कि यदि आप ऐसा नहीं करेंगे तो यह माना जाएगा कि वास्तव में आपको विधानसभा में बहुमत प्राप्त नहीं है.

टंडन ने सोमवार को कमलनाथ को लिखे अपने पत्र में कहा, ‘मेरे पत्र दिनांक 14 मार्च 2020 का उत्तर आपसे प्राप्त हुआ है. धन्यवाद. मुझे खेद है कि पत्र का भाव / भाषा संसदीय मर्यादाओं के अनुकूल नहीं है.’

राज्यपाल ने आगे लिखा, ‘मैंने अपने 14 मार्च 2020 के पत्र में आपसे विधानसभा में 16 मार्च को विश्वास मत प्राप्त करने के लिए निवेदन किया था. आज विधानसभा का सत्र प्रारंभ हुआ. मैंने अपना अभिभाषण पढ़ा, परन्तु आपके द्वारा सदन का विश्वास मत प्राप्त करने की कार्यवाही प्रारंभ नहीं की गई और इस संबंध में कोई सार्थक प्रयास भी नहीं किया गया और सदन की कार्यवाही दिनांक 26 मार्च 2020 तक स्थगित हो गई.’

राज्यपाल ने कहा कि आपने अपने पत्र में सर्वोच्च न्यायालय के जिस निर्णय का जिक्र किया है वह वर्तमान परिस्थितियों और तथ्यों में लागू नहीं होता है. जब यह प्रश्न उठे कि किसी सरकार को सदन का विश्वास प्राप्त है या नहीं, तब ऐसी स्थिति में सर्वोच्च न्यायालय द्वारा अपने कई निर्णयों में निर्विवादि रुप से स्थापित किया गया है कि इस प्रश्न का उत्तर अंतिम रुप से सदन में शक्ति परीक्षण के माध्यम से ही हो सकता है.

उन्होंने लिखा कि यह खेद की बात है कि आपने मेरे द्वारा दी गई समयावधि में अपना बहुमत सिद्ध करने के बजाय, यह पत्र लिखकर विश्वास मत प्राप्त करने एवं विधानसभा में शक्ति परीक्षण कराने में अपनी असमर्थता व्यक्त की है/ आना-कानी की है, जिसका कोई भी औचित्य एवं आधार नहीं है. आपने अपने पत्र में शक्ति परीक्षण नहीं कराने के जो कारण दिये है, वे आधारहीन एवं अर्थहीन हैं.

टंडन ने अंत में पत्र में लिखा है, ‘अत: मेरा आपसे पुन: निवेदन है कि आप संवैधानिक एवं लोकतंत्रीय मान्यताओं का सम्मान करते हुए कल 17 मार्च 2020 तक मध्यप्रदेश विधानसभा में शक्ति करवाएं तथा अपना बहुमत सिद्ध करें, अन्यथा यह माना जाएगा कि वास्तव में आपको विधानसभा में बहुमत प्राप्त नहीं है.’

क्या कहता है नंबर गेम?बीजेपी – 107
कांग्रेस – 91 (+1 स्पीकर)
बागी विधायक – 16 (अभी तक इस्तीफा स्वीकार नहीं)
बसपा – 2
सपा – 1
निर्दलीय – 4
6 लोगों का इस्तीफा स्वीकार हुआ.
मध्य प्रदेश विधानसभा में कुल 228 की संख्या है, 6 विधायक इस्तीफा दे चुके हैं. ऐसे में विधानसभा की संख्या 222 है और बहुमत साबित करने के लिए 112 का आंकड़ा चाहिए.

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