हर साल पूर्णिमा के दिन होलिका दहन किया जाता है। जिसके लिए प्रदोष काल का समय सबसे उत्तम माना गया है। लेकिन कई बार इस समय भद्रा होने के कारण होलिका जलाने के समय मैं अंतर आ जाता है। लेकिन इस बार भद्रा काल दोपहर में ही समाप्त हो रहा है। जिस कारण सूर्यास्त के बाद आप होलिका दहन कर सकते है।
आप जानेंगे होलिका दहन का समय, विधि, महत्त्व।
होलिका दहन का शुभ मुहुर्त
होलिका दहन करने के लिए मुहुर्त का कुल समय तकरीबन 2 घंटे 26 मिनट
शाम 6:26 से रात 8:52 तक
पूर्णिमा तिथि: प्रारम्भ 9 मार्च 3:03 प्रात:काल से रात्रि 23:16 तक
भद्रा पूँछ पर: 9:37 प्रात:काल से से 10:38 प्रात: तक
भद्रा मुख :- 10:39 प्रात: से 12:19 दोपहर तक
होलिका पूजन की विधि:-
होलिका दहन का पूजन प्रदोष काल में शास्त्र सम्मत है तभी करना चाहिए। प्राय महिलाएं पूजन करके ही भोजन ग्रहण करती हैं।
पूजा सामग्री: रोली ,कच्चा सूत, मूंग ,बतासे, मिष्ठान, नारियल गोबर के बड़बुले आदि।
विधि: यथाशक्ति संकल्प लेकर गोत्र नाम आदि का उच्चारण कर पूजा करें। पहले भगवान गणेश और गणपति का पूजन करें ।”ॐ होलिकायै नमः” इस मंत्र से होली का पूजन करें।
फिर ”ॐ पहलादाय नमः” से पहलाद का पूजन करें।
इसके पश्चात ”ॐ नृसिंहाय नमः” से भगवान नरसिंह (भगवान विष्णु के अवतार )का पूजन करें। तत्पश्चात् अपनी सभी मनोकामनाएं कहें।
एक कच्चा सूत लेकर होलिका की तरफ लपेटकर तीन परिक्रमा कर लें। आप चाहें तो सात भी कर सकते हैं ।
अंत में लोटे का जल चढ़ाकर ॐ ब्रह्मर्पणमस्तु कहें ।