नई दिल्ली। आज पूरी दुनिया में अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस मनाया जा रहा है. इस मौके पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने लोक कल्याण मार्ग स्थित अपने आधिकारिक आवास पर आज देश की नारी शक्ति पुरस्कार से सम्मानित महिलाओं से संवाद किया. इस खास मौके पर पीएम मोदी महिलाओं की प्रेरित करने वाली कहानियां भी सुनी. इस कार्यक्रम की दिलचस्प बात ये भी है कि आज ही पीएम मोदी अपना सोशल मीडिया अकांउट किसी महिला को सौपा. इस कार्यक्रम से पहले सरकार की ओर से कई ऐसी महिलाओं की कहानी शेयर की जा रही है तो समाज के लिए प्रेरणादायी है.
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने लोगों से भी इस प्रकार की महिलाओं की कहानी उनके साथ शेयर करने का अनुरोध किया है. अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस को खास बनाने के लिए पीएम मोदी ने ट्वीट करते हुए कहा था, इस महिला दिवस पर, मैं अपने सोशल मीडिया अकाउंट ऐसी महिलाओं को सौंपे दूंगा जिनका जीवन और कार्य हमें प्रेरित करते हैं. इससे उन्हें लोगों को प्रोत्साहित करने में मदद मिलेगी.
बात महिलाओं की हो और अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस का जिक्र न हो ऐसा हो नहीं सकता है. पूरे देश में अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस मनाया जा रहा हैं. 8 मार्च को अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस मनाया जाता है. क्यों मनाया जाता है महिला दिवस क्या है इसका इतिहास आइए जानते हैं.
अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस को मनाने का कारण
इस दिवस को मनाने के पीछे विभिन्न क्षेत्रों में सक्रिय महिलाओं के प्रति सम्मान प्रकट करने का दिन है. इस दिन सराहनीय कार्य करने वाली महिलाओं की प्रशंसा की जाती है और उनके योगदान पर चर्चा की जाती है. देश में इस दिवस को एक उत्सव के रूप में मनाया जाता है. संयुक्त राष्ट्र इस दिवस को जोर-शोर से मनाता है. इस दिन बैंगनी रंग का रिबन पहनकर महिलाओं के प्रति सम्मान जाहिर करने की भी परंपरा है.
न्यूयॉर्क में सबसे पहले मनाया गया था महिला दिवस
न्यूयॉर्क विश्व का पहला ऐसा देश है जहां इस दिवस को सबसे पहली बार आयोजित किया गया था. 1909 में न्यूयॉर्क शहर में एक समाजवादी राजनीतिक आयोजन के रूप में इसे मनाया गया था. इसके बाद 1917 में सोवियत संघ ने इस दिन को एक राष्ट्रीय अवकाश के तौर घोषित किया था. इसके बाद इस दिवस को मनाने की परंपरा विश्व के अन्य देशों में भी फैल गई.
कोपेनहेगन सम्मेलन में मिला अन्तर्राष्ट्रीय दर्जा
अमेरिका में सोशलिस्ट पार्टी के आह्वान पर इस दिवस सबसे पहले 28 फ़रवरी 1909 में मनाया गया है. बाद में1910 में सोशलिस्ट इंटरनेशनल के कोपेनहेगन सम्मेलन में इसे अन्तर्राष्ट्रीय दर्जा दिया गया. जिसका उस समय मकसद महिलाओं को वोट देने का अधिकार दिलाना था. क्योंकि उस समय अधिकतर देशों में महिला को वोट देने का अधिकार नहीं था.
जब रूस की महिलाओं ने की हड़ताल
रूस की महिलाओं ने रोटी और कपड़ा के लिए हड़ताल शुरू की. ये समय सन 1917 का था. यह एक ऐतिहासिक हड़ताल थी. जब जार ने सत्ता छोड़ी तब वहां की अन्तरिम सरकार ने महिलाओं को वोट देने के अधिकार दिया.
इसलिए 8 मार्च को मनाया जाता है
जिस समय रूस में महिलाओं को वोट का अधिकार प्राप्त हुआ उस समय रूस में जुलियन कैलेंडर चलन में था और बाकी दुनिया में ग्रेगेरियन कैलेंडर. इन दोनों की तारीखों में कुछ अन्तर है. जुलियन कैलेंडर के मुताबिक 1917 की फरवरी का आखिरी रविवार 23 फ़रवरी को था जबकि ग्रेगेरियन कैलैंडर के अनुसार उस दिन 8 मार्च थी. इसीलिए 8 मार्च महिला दिवस के रूप में मनाया जाने लगा.