मुंबई. जेट एयरवेज के फाउंडर नरेश गोयल के खिलाफ प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने मनी लॉन्ड्रिंग का नया केस दर्ज किया। केंद्रीय जांच एजेंसी ने बुधवार को उन्हें हिरासत में लेकर लंबी पूछताछ की। इसके बाद एजेंसी की टीम गोयल को लेकर उनके मुंबई स्थित घर पहुंची और यहां तलाशी ली। ईडी जेट के 12 साल के वित्तीय लेन-देन की जांच कर रही है। फेमा केस में गोयल, उनकी पत्नी और बेटे से भी कई बार पूछताछ हो चुकी है।
ईडी ने नरेश गोयल के खिलाफ नया मामला मुंबई पुलिस की एफआईआर के आधार पर दर्ज किया है. बता दें कि गोयल और उनकी पत्नी अनीता के खिलाफ हाल ही में एक ट्रैवल कंपनी के साथ 46 करोड़ रुपये की धोखाधड़ी का केस दर्ज हुआ था। भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) की विभिन्न धाराओं के तहत एक मामला दर्ज किया गया था। यह शिकायत अकबर ट्रैवल्स ऑफ इंडिया प्राइवेट लिमिटेड के मुख्य वित्त अधिकारी राजेंद्रन नेरुपरमबिल ने की थी, जिनका कार्यालय दक्षिण मुंबई के क्रॉफोर्ड मार्केट क्षेत्र में है।
इस मामले के अनुसार, कंपनी 1994 से जेट एयरवेज के साथ कारोबार कर रही थी। शिकायतकर्ता ने कहा है कि आरोपियों ने अपनी कंपनी में वित्तीय संकट को छिपाया और ट्रैवल एजेंसी को आश्वासन दिया कि उन्हें कोई नुकसान नहीं होगा। ट्रैवल एजेंसी ने आरोपियों के आश्वासन पर सस्ती दरों पर मैनचेस्टर-मुंबई उड़ान के टिकट बेचे। हालांकि, जनवरी 2019 में, कुछ जेट उड़ानों को रद्द कर दिया गया, जिससे शिकायतकर्ता को आरोपी से संपर्क करने के लिए मजबूर होना पड़ा।
पिछले साल अगस्त में भी जांच एजेंसी ने गोयल के आवास पर छापेमारी की थी। इस दौरान उनकी 19 कंपनियों से जुड़े संदिग्ध लेन-देन की जानकारी मिली थी। इनमें से 14 फर्म भारत और 5 विदेश में हैं। तब ईडी ने इन कंपनियों में फंड ट्रांसफर करने के कई डिजिटल सबूत और अहम दस्तावेज जुटाए थे। ईडी के मुताबिक, विदेशों में मौजूद कंपनियों पर गोयल का अप्रत्यक्ष रूप से नियंत्रण की बात सामने आई है। यह कंपनियां ऐसे देशों में हैं, जिन्हें टैक्स हैवन माना जाता है। आरोप है कि गोयल ने बंद हो चुकी अपनी एयरलाइन के जरिए लेन-देन में गड़बड़ी की।
वित्तीय संकट के कारण पिछले साल जेट की उड़ानें थमीं
नरेश गोयल ने पिछले साल मार्च में जेट एयरवेज के चेयरमैन पद से इस्तीफा दे दिया था। इसके बाद 14 अप्रैल को एयरलाइन ने वित्तीय संकट का हवाला देकर ऑपरेशन बंद कर दिया। जेट की उड़ानें बंद होने से इसमें काम करने वाले हजारों कर्मचारी बेरोजगार हो गए थे।