नई दिल्ली: दिल्ली में हिंसा के बाद अब हालात समान्य हो रहे हैं. वहीं हिंसा के बहाने मोदी सरकार पर नागरिकता कानून को वापस लेने और एनपीआर में बदलाव करने की मांग भी की जाएगी. हालांकि सरकार ने साफ कह दिया है कि वह झुकने वाली नहीं है. 2 मार्च से संसद के बजट सत्र का दूसरा भाग भी शुरू हो रहा है. उसके ठीक पहले दिल्ली में हुई हिंसा से सियासत गरमा गई है. ऐसे में संसद सत्र की शुरुआत में ही इस पर बवाल होना पक्का हो गया है. विपक्षी दलों ने साफ कर दिया है कि वह इस मसले को एक साथ मिलकर संसद में उठाएंगे.
आरजेडी के राज्यसभा सदस्य मनोज झा ने स्पष्ट शब्दों में कहा, ” ऐसी घटनाओं पर संसद मूकदर्शक बनी नहीं रह सकती है. हम मिलजुलकर अपनी आवाज उठाएंगे.” इस मसले पर कांग्रेस और अन्य विपक्षी दल पहले ही राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद को ज्ञापन देकर अपना विरोध जता चुके हैं.
अमित शाह के इस्तीफे की मांग
राष्ट्रपति को दिए अपने ज्ञापन में कांग्रेस ने साफ कर दिया है कि दिल्ली में हिंसा मोदी सरकार की असफलता का परिणाम है. कांग्रेस की अंतरिम अध्यक्ष सोनिया गांधी ने खुद सरकार पर हमला करते हुए गृह अमित अमित शाह के इस्तीफे की मांग की है. सूत्रों के मुताबिक सत्र की शुरुआत से ही कांग्रेस अमित शाह के इस्तीफे की मांग को लेकर सरकार को घेरने की कोशिश करेगी. हालांकि अमित शाह के इस्तीफे की मांग पर कांग्रेस को किन-किन दलों का साथ मिलता ये कहना अभी मुश्किल है. सीपीएम महासचिव सीताराम येचुरी ने एबीपी न्यूज़ से कहा कि अभी दलों को इस मसले पर साथ आना पड़ेगा.
बजट पर होगी चर्चा
बजट सत्र का दूसरा भाग मुख्य तौर पर आम बजट पारित करवाने से जुड़ा होता है. इस दौरान सरकार के अलग-अलग मंत्रालयों के काम काज पर चर्चा भी होती है. वैसे सरकार के सूत्रों के मुताबिक सरकार भी विपक्ष के आक्रमण का जवाब देने की रणनीति तैयार कर रही है. प्रधानमंत्री पहले ही नागरिकता कानून को वापस लेने की मांग को पूरी तरह खारिज कर चुके हैं.