नई दिल्ली । चुनावी रणनीतिकार प्रशांत किशोर ने आज बिहार की राजधानी पटना में एक प्रेस कॉन्फ्रेंस को संबोधित किया। इस दौरान प्रशांत किशोर ने कहा कि नीतीश जी से मेरा संबंध विशुद्ध राजनीतिक नहीं रहा है। 2015 में जब हम मिले, उसके बाद से नीतीश जी ने मुझे बेटे की तरह ही रखा है। जब साथ नहीं थे तब भी उन्होंने मुझे बेटे जैसा ही रखा। जब मैं दल में था तब भी और नहीं था तब भी। नीतीश कुमार मेरे पिता तुल्ह ही हैं। उन्होंने जो भी फैसला लिया, मैं सहृदय स्वीकार करता हूं।
प्रशांत किशोर ने कहा कि जितना नीतीश जी को जानता हूं, वो हमेशा कहते रहे हैं को गांधी, जेपी और लोहिया की बातों को नहीं छोड़ सकते। मेरे मन में दुविधा रही है कि जब गांधी के विचारों पर आवाज उठा रहे हैं तो फिर उसी समय में गोडसे की विचारधारा वाले लोगों के साथ कैसे खड़े हो सकते हैं। उन्होंने कहा कि गांधी और गोडसे एक साथ नहीं चल सकते। नीतीश गोडसे की विचारधारा वाले लोगों के साथ।
उन्होंने कहा कि गांधी और गोडसे की विचारधारा को लेकर हम दोनों में मतभेद रहा है। हम दोनों के बीच मतभेद की पहली वजह रही है कि गांधी और गोडसे की विचारधारा। नीतीश कुमार गोडसे की विचारधारा वाले लोगों के साथ हैं।
दूसरी वजह रही है कि जिस भाजपा के साथ 2004 के बाद से रहे हैं और आज जिस तरह से रहे हैं। उसमें जमीन आसमान का फर्क हैं। प्रशांत किशोर ने कहा कि अगर आपके झुकने से भी बिहार का विकास हो रहा है तो हमें कोई दिक्कत नहीं है। क्या बिहार की इतनी तरक्की हो गई, जिसकी आकांक्षा यहां के लोगों की है। क्या बिहार को विशेष राज्य का दर्ज मिल गया।
प्रशांत किशोर ने कहा कि पटना यूनिवर्सिटी में नीतीश कुमार ने केंद्र सरकार से हाथ जोड़कर विनती की थी, मगर केंद्र ने आज तक विशेष राज्य के दर्जे की बात नहीं सुनी। जहां तक बिहार के विकास की बात है कि मैं जब भी उनके साथ था तब भी यह भी मानता था कि बिहार में उनके राज में विकास हुआ है। मैं इसे आज नहीं झूठला सकता। उनके 15 साल के राज में बिहार में खूब विकास हुआ है। मगर क्या आज के मानकों पर खरा उतरी है यह सरकार।
मगर बिहार की स्थिति आज भी अन्य राज्यों के मुकाबले पुरानी ही है। नीतीश जी ने साइकिल बांटी, पोशाक भी दिए, मगर अच्छी शिक्षा नहीं दे पाए। शिक्षा के मामले में बिहार आज भी नीचले स्तर का स्टेट है। बिहार सरकार अच्छी शिक्षा नहीं दे पाई।
उन्होंने कहा कि बिजली हर घर में पहुंची है पिछले दस साल में, मगर हाउसहोल्ड के स्तर पर बिजली उपभोग में बिहार देश का सबसे पिछड़ा राज्य है।